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अधिकतर बांग्लादेशी और श्रीलंकाई भारत के पक्षधर विचार रखते हैं: प्यू रिसर्च

अधिकतर बांग्लादेशी और श्रीलंकाई भारत के पक्षधर विचार रखते हैं: प्यू रिसर्च

श्रीलंका और हाल के दिनों में बांग्लादेश की विदेश नीति के बारे में कहा जाता रहा है कि वे भारत से दूर जाते दिखते हैं, तो वहाँ के लोगों की भारत के बारे में क्या राय है?

श्रीलंका और बांग्लादेश के लोग भारत के बारे में किस तरह की राय रखते हैं- सकारात्मक या नकारात्मक? इस सवाल को लेकर प्रतिष्ठित सर्वे व शोध संस्थान प्यू रिसर्च सेंटर ने एक सर्वे की रिपोर्ट जारी की है। इसने कहा है कि भारत के बारे में श्रीलंकाई और बांग्लादेशियों के विचार काफी हद तक सकारात्मक हैं।

प्यू रिसर्च सेंटर की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 65% श्रीलंकाई भारत के बारे में अनुकूल विचार रखते हैं, और 57% बांग्लादेशी भी कुछ ऐसी ही राय रखते हैं। रिपोर्ट के अनुसार कमोबेश पूरे दक्षिण एशिया में पड़ोसी देशों के प्रति राय सकारात्मक ही है। हालाँकि, पाकिस्तान को लेकर भारतीयों की राय ऐसी नहीं है।

प्यू रिसर्च के विश्लेषण से पता चलता है कि भारत और श्रीलंका में बांग्लादेश के बारे में नकारात्मक लोगों की तुलना में सकारात्मक विचार अधिक हैं। श्रीलंका के लगभग आधे वयस्क (47%) बांग्लादेश के बारे में सकारात्मक राय रखते हैं, जबकि भारत में लगभग एक तिहाई (35%) लोग बांग्लादेश के बारे में सकारात्मक राय रखते हैं।

इसके विश्लेषण में यह भी पाया गया कि जहां अधिकांश दक्षिण एशियाई पड़ोसी देशों का भारत के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण है, वहीं धार्मिक समूहों के बीच राय में उल्लेखनीय अंतर है। श्रीलंका और बांग्लादेश में हिंदुओं का भारत के प्रति बौद्ध, मुस्लिम और ईसाईयों की तुलना में अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण है।

विश्लेषण का उद्देश्य 1947 में भारत के विभाजन के बाद से इस क्षेत्र में ऐतिहासिक, भू-राजनीतिक और धार्मिक तनावों को देखते हुए दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय गतिशीलता का पता लगाना था। शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि क्षेत्र के अधिकांश दक्षिण एशियाई अपने पड़ोसी देशों को नकारात्मक की तुलना में अधिक सकारात्मक रूप से देखते हैं।

यह अध्ययन इस साल 5 जनवरी से 25 मार्च के बीच भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका में किया गया था, लेकिन शोधकर्ता पाकिस्तान से प्रतिक्रियाएँ दर्ज नहीं कर पाए। 

सर्वे के अनुसार बांग्लादेशियों और भारतीयों में श्रीलंका के बारे में सकारात्मक विचार रखने की संभावना, उनके नकारात्मक विचार रखने की संभावना से लगभग दोगुनी है। हालांकि, दोनों जगहों पर लगभग एक तिहाई लोगों ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एनडीए का समर्थन करने वालों में श्रीलंका के बारे में अनुकूल विचार रखने की संभावना गैर-समर्थकों की तुलना में अधिक है। यह सर्वेक्षण जुलाई में श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की भारत यात्रा से पहले हुआ था। इसी तरह, बांग्लादेश में पूर्व शासक दल के समर्थकों में श्रीलंका के बारे में सकारात्मक राय व्यक्त करने की संभावना गैर-समर्थकों की तुलना में अधिक थी।

भारत और श्रीलंका में बांग्लादेश के बारे में विचार नकारात्मक की तुलना में अधिक सकारात्मक हैं। श्रीलंका के लगभग आधे वयस्क (47%) बांग्लादेश के बारे में अनुकूल राय रखते हैं, जबकि भारत में लगभग एक तिहाई (35%) लोग ऐसा ही मानते हैं।

लेकिन दोनों देशों में बड़ी संख्या में लोगों ने या तो पता नहीं का जवाब दिया या फिर सवाल का जवाब नहीं दिया। वास्तव में भारत में यह हिस्सा उन लोगों से कहीं ज़्यादा है जिन्होंने कहा कि उनका बांग्लादेश के बारे में या तो अनुकूल या प्रतिकूल विचार है। जुलाई में बांग्लादेशी पुलिस और छात्र प्रदर्शनकारियों के बीच हुई घातक झड़पों से पहले यह सर्वेक्षण किया गया था।

सर्वेक्षण किए गए तीन दक्षिण एशियाई देशों में अन्य देशों के बारे में विचार अक्सर धर्म के आधार पर अलग रहे। बांग्लादेश और श्रीलंका दोनों में, हिंदुओं में अन्य धार्मिक समूहों की तुलना में भारत के बारे में अनुकूल विचार होने की संभावना अधिक है। उदाहरण के लिए श्रीलंका में दस में से आठ हिंदू भारत के बारे में सकारात्मक राय व्यक्त करते हैं, जबकि बौद्ध, ईसाई और मुसलमानों में से सात से भी कम लोग भारत के बारे में सकारात्मक राय व्यक्त करते हैं। 

बांग्लादेश और भारत में, हिंदुओं में भी मुसलमानों की तुलना में श्रीलंका के बारे में अधिक सकारात्मक विचार होते हैं। उदाहरण के लिए, बांग्लादेश में 62% हिंदुओं का कहना है कि वे श्रीलंका को अनुकूल नज़र से देखते हैं, जबकि मुसलमानों में से 44% का ऐसा कहना है। 

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