स्वेज़ नहर के कारण भारत में बढ़ेंगी पेट्रोल-डीज़ल की कीमतें?
क्या भारत में पेट्रोल-डीज़ल की कीमतें जल्द ही 100 रुपए प्रति लीटर के पार चली जाएगी? क्या इससे पूरी अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी और महंगाई की दर एक बार फिर बढ़ने लगेगी? लॉकडाउन से धीरे-धीरे उबरने की कोशिश में लगी भारतीय अर्थव्यवस्था को क्या इससे झटका लगेगा और मंदी से बाहर निकलने की क्या इसे पहले से अधिक समय लगेगा?
दिलचस्प बात यह है कि यह सब कुछ निर्भर करता है उस कंटेनर जहाज़ पर जो स्वेज नहर में तिरछे इस तरह फँसा हुआ है कि पूरा यातायात ठप है।
क्या है मामला?
भूमध्य सागर और लाल सागर को जोड़ने वाली स्वेज नहर में एक बड़े कंटनर जहाज़ के फँस जाने से दुनिया का सबसे व्यस्त व्यापार रास्ता एकदम बंद है। भूमध्य सागर और लाल सागर में स्वेज नहर के बिल्कुल मुहाने पर सैकड़ों जहाज़ फँसे हुए है। अब सबको इंतजार है कि किसी ऊँजी समुद्री लहर का, जिससे पानी का स्तर उठे और वह जहाज किसी तरह निकाला जा सके। लेकिन इस बीच कच्चे तेल की कीमत बढ़ती जा रही है और इसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ने लगा है।
ऐसे में यह सवाल उठना लाज़िमी है कि भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा। क्या इसे कच्चे तेल के लिए अधिक पैसे देने होंगे जिससे भारत में पेट्रोल- डीज़ल की कीमतें बेतहाशा बढे़ंगी। भारत में पेट्रोल की कीमत 90 रुपए प्रति लीटर के आसपास पहुँच चुकी है और डीज़ल उससे थोड़ा ही कम है। तो क्या बहुत जल्दी पेट्रोल की कीमत 100 रुपए से ज्यादा हो जाएगी?
गैस व तेल परिवहन की ढुलाई पर नज़र रखने वाली कंपनी वर्टेक्सा के अनुसार, भारत उन देशों में है जिसके तेल आयात का बड़ा हिस्सा स्वेज़ नहर से गुजरता है।
भारत रोज़ाना जितने कच्चे तेल का आयात करता है, उसमें से पाँच लाख बैरल इस नहर से होकर ही जाता है। भारत के बाद चीन लगभग चार लाख बैरल का आयात रोज़ाना करता है। भारत और चीन के बाद दक्षिण कोरिया और सिंगापुर का नंबर है।
बढ़ सकता है संकट
वर्टेक्सा ने चेतावनी दी है कि यदि एक- दो दिन में इस समस्या का समाधान नहीं निकाल लिया गया तो इसका बहुत ही बुरा असर पड़ेगा।
भारत कच्चे तेल के अलावा अमेरिका से ईथेन का आयात भी नहीं कर पाएगा।
भारत अपनी ज़रूरतों का लगभग 85 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करता है। भारत के लिए कच्चा तेल स्वेज़ नहर होते हुए जिन देशों से होकर आता है, उनमें प्रमुख रूस, सऊदी अरब, इराक़, लीबिया और अल्जीरिया हैं।
कच्चे तेल की कीमत बढ़ी
एवरग्रीन का जो जहाज़ स्वेज़ नहर में फँसा हुआ है, वह 449 मीटर लंबा व 59 मीटर चौड़ा है, इसका एक सिरा पूर्वी तट पर दूसरा पश्चिमी तट पर और इस तरह पूरी नहर ही बंद है।
नहर बंद होने से कच्चे तेल की कीमत में सिर्फ एक दिन यानी शुक्रवार को चार प्रतिशत की वृद्धि हो गई। उस दिन ब्रेन्ट कच्चा तेल 64.32 डॉलर प्रति बैरल की दर से बिका था।
क्या होगा समाधान?
साल 2020 में स्वेज़ नहर से होकर रोज़ाना 1.79 मिलियन बैरल कच्चे तेल का परिवहना हुआ, इसके अलावा 1.54 मिलियन टन दूसरे उत्पाद इसी रास्ते लाए-ले जाए गए।
हालांकि स्वेज़ नहर प्राधिकरण ने कहा है कि वह जहाँ जहाज़ फँसा हुआ है वहाँ समुद्र से नीचे की मिट्टी और गाद काट कर निकाल रहा है ताकि जहाज़ आगे बढ़ सके। प्राधिकरण के अनुसार लगभग 87 प्रतिशत काम हो चुका है।
लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि ऊँची समुद्री लहर उठने से ही जहाज आगे बढ़ सकता है।
भारत में पेट्रोलियम उत्पादों के विपणन की स्थिति यह है कि उपभोक्ताओं को इन पर केंद्रीय उत्पाद कर चुकाना होता है और राज्यों का मूल्य संवर्धित कर भी। ऐसे में इसकी कीमत लगातार बढ़ती ही जाती है।
लेकिन स्वेज़ नहर संकट के कारण जब अंतरराष्ट्रीय कीमत बढ़ेगी तो भारत में पेट्रोल-डीज़ल की कीमत नहीं बढ़ने का एक ही उपाय है और वह है सरकारी हस्तक्षेप, यानी सरकार सब्सिडी बढ़ा दे।
जब पाँच राज्यों में चुनावों की तारीख का एलान हुआ, उसके बाद से कीमतें नहीं बढ़ रही हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या सरकार सब्सिडी बढ़ाएगी ताकि क़ीमतें नहीं बढ़े? चुनाव खत्म होने के बाद यह बड़ा सवाल बन जाएगा।