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पेट्रोल 9.5, डीजल 7 रुपये सस्ता होगा, केंद्र ने एक्साइज ड्यूटी घटाई

पेट्रोल 9.5, डीजल 7 रुपये सस्ता होगा, केंद्र ने एक्साइज ड्यूटी घटाई

केंद्र सरकार ने शनिवार शाम को पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने का फैसला किया है। इससे पेट्रोल और डीजल सस्ता हो सकता है। बढ़ती महंगाई की वजह से सरकार जनता की आलोचना का सामना कर रही है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार शाम को फ्यूल की कीमतों पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क (सेंट्रल एक्साइज) में बड़ी कटौती की घोषणा की है। इससे पेट्रोल की कीमत में 9.5 रुपये की कमी आएगी, जबकि डीजल 7 रुपये सस्ता हो जाएगा। देश में खुदरा महंगाई दर उच्चतम पर है। इससे सरकार को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा था। ज्यादातर आवश्यक वस्तुओं के दाम पेट्रोल-डीजल महंगा होने के कारण बढ़ जाते हैं। हालांकि सरकार ने शनिवार को सीएनजी के रेट दो रुपये बढ़ा दिए थे। पिछले कई दिनों से सीएनजी, रसोई गैस और कमर्शल गैस के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने और इस वजह से पेट्रोल-डीजल के सस्ता होने का स्वागत किया है। पीएम ने कहा कि हमारे लिए आम आदमी पहले है। हाल ही में पीएम मोदी राज्यों से पेट्रोल-डीजल पर वैट घटाने का आग्रह करके खुद सवालों में घिर गए थे। कई राज्यों ने उनके बयान के लिए जबरदस्त आलोचना की थी। इस विवाद में यह बात साफ हो गई थी कि केंद्र अपनी एक्साइज ड्यूटी घटाने को तैयार नहीं है लेकिन वो राज्यों से वैट कम करने को कह रही है। कांग्रेस ने तमाम आंकड़ों के साथ मोदी सरकार पर जबरदस्त हमला बोला था।

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार शाम रो कहा कि पेट्रोल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में 8 रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई है और डीजल पर 6 रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई है। सरकार का कहना है कि केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कटौती से उसे ₹1 लाख करोड़ का नुकसान होगा। मंत्री ने राज्यों से इसी तरह की कटौती लागू करने और आम आदमी को लाभ देने का आग्रह किया। सीतारमण ने अपील की, "मैं सभी राज्य सरकारों, विशेषकर उन राज्यों से अपील करना चाहती हूं, जहां नवंबर 2021 के दौरान कटौती नहीं की गई थी। इसके अलावा, केंद्र सरकार उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को एक वर्ष में 12 सिलेंडरों के लिए ₹ 200 प्रति सिलेंडर सब्सिडी देगी, ताकि रसोई गैस की दरों के रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ने से उत्पन्न होने वाले कुछ बोझ को कम करने में मदद मिल सके।

दाम बढ़े थे 13 रुपये, घटे थे महज 5 रुपये

‘राज्य के लोगों की भलाई’ वाली केंद्र सरकार की मानसिकता को समझना हो तो उत्पाद शुल्क उस कटौती की भी बात करें और उस कटौते से पहले उत्पाद शुल्क में हुई बढ़ोतरी को भी याद करें।
  • नवंबर 2021 में मोदी सरकार ने पेट्रोल पर 5 रुपये और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क में कटौती की घोषणा की थी। 
  • मार्च 2020 से मई 2020 के बीच पेट्रोल और डीजल पर 13 रुपये और 16 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क बढ़ायी गयी थी।
  • उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी से पेट्रोल पर केंद्रीय कर 32.90 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर यह 31.80 रुपये प्रति लीटर हो गया था।

यह बढ़ोतरी तब हुई थी जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतें लगातार घट रही थीं और उसका फायदा आम जनता को मिल सकता था। लेकिन, आम लोगों की भलाई की बात तब प्रधानमंत्रीजी को याद नहीं रही। जब बढ़े हुए उत्पाद शुल्क में कटौती की गयी तब यह राहत छोटी थी। उसी राहत की याद दिलाकर पीएम मोदी ने गैर बीजेपी शासित राज्यों को कोसा था।

हर दिन 1018 करोड़ वसूलता है केंद्र 

संसद में दी गयी जानकारी के मुताबिक पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी से 2020-21 में 3.719 लाख करोड़ रुपये केंद्र सरकार ने जुटाए। इसका मतलब यह है कि हर दिन 1018.93 करोड़ रुपये कमाए गये। 2019-20 में यह कमाई 488.52 करोड़ रुपये प्रति दिन थी। मतलब दुगुने से भी ज्यादा कमाई बीते वर्ष के मुकाबले सिर्फ 2020-21 में कर ली गयी। 

ईंधन पर उत्पाद शुल्क से सालाना और प्रतिदिन केंद्रीय राजस्व 

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जनता करों के अत्यधिक बोझ से परेशान है। राज्य सरकारें भी पेट्रोल-डीजल पर वैट वसूलती है और केंद्र सरकार भी उत्पाद शुल्क लेती है। वर्ष 2020-21 में पेट्रोल-डीजल पर करों से जुटायी गयी रकम से राज्य सरकारों को 18,972 करोड़ रुपये हिस्सेदारी दी गयी थी। यानी प्रदेश सरकारों को औसतन 51.97 करोड़ रुपये दिए गये। यह मूल रूप से जो पेट्रोल-डीजल से बेसिक कर वसूले जाते हैं, उसका हिस्सा होता है।

524.36 करोड़ है औसत वसूली  

अप्रैल 2016 से मार्च 2021 के दौरान पांच साल में राज्यों ने वैट से कुल 9,56,959 करोड़ रुपये वसूल किए। इसका मतलब यह है कि औसतन सालाना वसूली रही 1,91,391.8 करोड़ रुपये। प्रतिदिन औसत यह रकम होती है 524.36 करोड़ रुपये। अब तुलना कीजिए कि केंद्र सरकार प्रतिदिन पेट्रोल-डीजल से राजस्व की वसूली करती है 1018.93 करोड़ रुपये, जबकि राज्य सरकारों की ओर से वसूला गया वैट प्रतिदिन औसतन 524.36 करोड़ रुपये है। 

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