+
पेट्रोल 100 पार होने के बाद भी ख़ुद का बचाव कर रही सरकार

पेट्रोल 100 पार होने के बाद भी ख़ुद का बचाव कर रही सरकार

भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम का जो हाल है, उसकी टीवी से लेकर अख़बारों और आम लोगों के बीच खूब चर्चा है। 

भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम का जो हाल है, उसकी टीवी से लेकर अख़बारों और आम लोगों के बीच खूब चर्चा है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में पेट्रोल के दाम 100 के पार हैं और इसकी तुलना दूसरे देशों में ईंधन के कम दामों से की जा रही है और इसे लेकर सरकार की किरकिरी हो रही है। लेकिन ऐसे वक़्त में कुछ लोग ऐसे हैं, जो सरकार का समर्थन करने के कारण खोज रहे हैं। यानी वो 100 के पार दाम को जस्टिफाई कर रहे हैं, इसे सही ठहरा रहे हैं। 

केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने एएनआई से कहा कि सरकार को अपनी अर्थव्यवस्था बढ़ाने के लिए, लोगों की सेवा करने के लिए पैसे की ज़रूरत है, वो पैसा कहां से आएगा। अठावले कहते हैं कि लॉकडाउन में फैक्ट्रियां बंद थीं और इस वजह से अर्थव्यवस्था पर ख़राब असर हुआ है। 

सोशल मीडिया पर लोग पीएम मोदी के कुछ साल पहले एक रैली में दिए गए उस भाषण को ख़ूब शेयर कर रहे हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके नसीब से अगर पेट्रोल-डीजल के दाम कम होते हैं तो बदनसीब वाले को लाने की क्या ज़रूरत है। 

सरकार समर्थकों का तर्क है कि पेट्रोल-डीजल पर जो मुनाफ़ा हो रहा है उसका इस्तेमाल विकास के काम पर किया जा रहा है। कांग्रेस के शासन में पेट्रोल के दामों के 75 पार होने पर ट्वीट करने वाले बॉलीवुड के अभिनेताओं अमिताभ बच्चन और अक्षय कुमार को भी घेरा जा रहा है। 

बिहार सरकार के मंत्री नारायण प्रसाद सिंह कहते हैं कि आम लोग तो बस और ट्रेन से चलते हैं और पेट्रोल-डीजल के बढ़े दामों का असर खास लोगों पर पड़ेगा क्योंकि वे गाड़ी से चलते हैं। 

डब्ल्यूटीओ समझौते का तर्क

बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी का कहना है कि पहले सरकारें पेट्रोल-डीजल के दाम तय करती थीं लेकिन डब्ल्यूटीओ समझौते के बाद सरकार का इन पर नियंत्रण ख़त्म हो गया। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूटीओ समझौते के कारण अक्टूबर, 2014 के बाद भारत सरकार को कोई अधिकार नहीं है कि वह पेट्रोल-डीजल के दाम में आंशिक दख़ल भी दे सके। 

राजस्व नहीं मिलने का तर्क

यह भी तर्क दिया जा रहा है कि कोरोना महामारी को रोकने के लिए लगे लॉकडाउन के कारण काम-धंधे बंद रहे, सरकार को राजस्व नहीं मिला और इस वजह से सरकार का खजाना खाली है क्योंकि उसे जीएसटी, कॉरपोरेट टैक्स और राजस्व के दूसरे तरीक़ों से पैसा नहीं आ पाया। इसलिए सरकार राजस्व बढ़ाने के लिए और वित्तीय घाटे को बढ़ने से रोकने के लिए कच्चा तेल सस्ता होने के बाद भी पेट्रोल-डीजल के दाम को कम नहीं कर रही है। 

लेकिन इस सबके बाद भी जनता बहुत परेशान है। ऐसे लोग जो तेल के खेल को नहीं समझते वे कहते हैं कि उनसे कहा गया था कि मोदी जी आएंगे तो पेट्रोल-डीजल के दाम कम करेंगे लेकिन यहां तो हालात बदतर हो रहे हैं जो लोग तेल के खेल को थोड़ा-बहुत समझते हैं, उनका सरकार से सवाल है कि कच्चा तेल 40 फ़ीसदी सस्ता होने के बाद भी आम लोगों को उसका फ़ायदा सरकार क्यों नहीं दे रही है। 

आख़िर क्यों केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी को और राज्य सरकारें सरकारें वैट को घटाकर आम लोगों को राहत नहीं देतीं। लेकिन यह सारा खेल राजनीति का है।

जब दूसरे दल की सरकार केंद्र में हो तब नेताओं की भाषा दूसरी होती है और जब वे सत्ता में आते हैं तब वे सब भूल चुके होते हैं। इस सबके बीच लोग 100 रुपये प्रति लीटर का पेट्रोल डलवाने के लिए मजबूर हैं और सरकार को कोस रहे हैं। 

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें