पेट्रोल-डीजलः वित्त मंत्री का पलटवार- इस टैक्स कटौती का पूरा बोझ केंद्र पर
केंद्र और विपक्ष के बीच पेट्रोल डीजल की कीमतों में सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी (केंद्रीय उत्पाद शुल्क) में कटौती पर जबरदस्त बयानबाजी चल रही है। राहुल गांधी समेत कांग्रेस के कई नेताओं ने सरकार पर आंकड़ों की बाजीगरी से लोगों को बेवकूफ देने का आरोप लगाया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को ट्वीट करके पलटवार किया। कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में जो कमी की है, उसका अंश राज्यों द्वारा साझा किया जाता है। हकीकत ये है कि पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतों को कम करने के लिए कोई बड़ी कोशिश नहीं की गई है।
वित्त मंत्री सीतारमण ने ट्वीट्स के जरिए बताया कि एक्साइज ड्यूटी कंपोनेंट जिसे राज्य और केंद्र द्वारा साझा नहीं किया गया है, पूरी लागत वहन करता है। उन्होंने विकासात्मक खर्च और सब्सिडी के तुलनात्मक आंकड़ों की ओर इशारा करते हुए दावा किया कि एनडीए सरकार ने पिछले 8 वर्षों में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए के 10 वर्षों की तुलना में बहुत अधिक खर्च किया है।उन्होंने कहा कि बेसिक एक्साइज ड्यूटी (बीईडी), स्पेशल एडिशनल एक्साइज ड्यूटी (एसएईडी), रोड एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सेस (आरआईसी) और एग्रीकल्चर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट सेस (एआईडीसी) मिलकर पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बनाते हैं। बेसिक ईडी राज्यों के साथ साझा की जाती है। एसएईडी, आरआईसी और एआईडीसी साझा करने योग्य नहीं हैं। इस तरह पेट्रोल पर ₹8/लीटर और डीजल पर ₹6/लीटर की एक्साइज ड्यूटी में कमी (रविवार से लागू) पूरी तरह से रोड एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सेस (आरआईसी) में की गई है।
2/Basic Excise Duty (BED), Special Additional Excise duty (SAED),Road & Infrastructure Cess (RIC) and Agriculture & Infrastructure Development Cess (AIDC) together constitute Excise Duty on petrol and diesel.
— Nirmala Sitharaman (@nsitharaman) May 22, 2022
Basic ED is sharable with states.
SAED,RIC & AIDC are non-sharable.
उन्होंने कहा कि नवंबर 2021 में पेट्रोल में ₹5/लीटर और डीजल में ₹10/लीटर की अंतिम एक्साइज ड्यूटी में कटौती पूरी तरह से आरआईसी में की गई थी। मूल ईडी जो राज्यों के साथ साझा करने योग्य है, उसे छुआ नहीं गया है। इसलिए, इन दो टैक्स कटौती (21 नवंबर और शनिवार 21 मई को की गई) का पूरा बोझ केंद्र ने उठाया है। आरबीआई के आंकड़ों का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि 2014-22 के दौरान पीएम मोदी की सरकार द्वारा किए गए कुल विकास व्यय 90.9 लाख करोड़ रुपये थे। इसके विपरीत, 2004-2014 के दौरान विकासात्मक व्यय पर सिर्फ ₹ 49.2 लाख करोड़ खर्च किए गए थे।
एक और तथ्य बताते हुए उन्होंने कहा, पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा किए गए कुल खर्च में भोजन, ईंधन और उर्वरक सब्सिडी पर अब तक खर्च किए गए ₹ 24.85 लाख करोड़ और पूंजी निर्माण पर ₹ 26.3 लाख करोड़ शामिल हैं। यूपीए के 10 वर्षों में सब्सिडी पर केवल ₹13.9 लाख करोड़ खर्च किए गए।उन्होंने कहा कि कल की गई टैक्स कटौती की वजह से केंद्र पर हर साल ₹ 1,00,000 करोड़ का बोझ पड़ेगा। नवंबर 2021 में की गई शुल्क कटौती का सालाना असर ₹1,20,000 करोड़ है। बता दें कि लोगों को राहत देने के लिए केंद्र ने शनिवार को पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 8 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 6 रुपये प्रति लीटर की कटौती की घोषणा की थी। कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा था कि यह कटौती बहुत कम है और केंद्र पर लोगों को 'मूर्ख' बनाने का आरोप लगाया। एक वरिष्ठ नेता ने 60 दिन पहले के आंकड़ों और 2014 की दरों की ओर इशारा करते हुए कहा, देश के लोगों को ठगने के लिए आंकड़ों की बाजीगरी की जरूरत नहीं है।