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सीएए के नियमों पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका

सीएए के नियमों पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने नए सीएए नियमों पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। जानिए क्या हैं उसकी आपत्तियांः

केंद्र सरकार द्वारा विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 को लागू करने के लिए नियमों को अधिसूचित करने के एक दिन बाद, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने नागरिकता संशोधन नियम 2024 पर रोक लगाने की मांग करते हुए एक अर्जी दायर किया। लाइव लॉ के मुताबिक IUML की CAA को चुनौती देने वाली याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही लंबित हैं। उसने अब सीएए लागू करने पर तत्काल रोक लगाने की मांग करते हुए अंतरिम आवेदन दायर किया। इसमें तर्क दिया गया कि किसी क़ानून की संवैधानिकता की धारणा का सामान्य नियम तब लागू नहीं होगा जब कानून "स्पष्ट रूप से मनमाना" हो। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि चूंकि अधिनियम ने नागरिकता को धर्म से जोड़ा है और केवल धर्म के आधार पर वर्गीकरण पेश किया है, यह "पहली नजर में ही असंवैधानिक" है, इसलिए इस पर रोक लगाई जानी चाहिए।

IUML ने स्पष्ट किया कि वह प्रवासियों को नागरिकता देने के खिलाफ नहीं है, लेकिन इसे धर्म से जोड़े जाने पर उसे आपत्ति है।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि चूंकि सीएए 4.5 साल तक लागू नहीं हुआ, इसलिए अगर इसे लागू करने को अदालत के अंतिम फैसले तक टाल दिया जाता है तो कोई पूर्वाग्रह नहीं होगा। इसके विपरीत, यदि सीएए के तहत नागरिकता प्राप्त करने वाले व्यक्तियों को अंततः अदालत द्वारा कानून को असंवैधानिक पाए जाने पर उनकी नागरिकता छीन ली जाती है, तो यह एक विसंगतिपूर्ण स्थिति पैदा करेगा।

लाइव लॉ के मुताबिक आईयूएमएल ने अर्जी में रेखांकित किया है-  "चूंकि सीएए धर्म के आधार पर भेदभाव करता है, यह धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा की जड़ पर हमला करता है, जो संविधान के मूल में है। इसलिए, अधिनियम लागू करने का एक तरीका यह होगा कि इसे धर्म तटस्थ बनाया जाए और सभी प्रवासियों को उनकी धार्मिक स्थिति की परवाह किए बिना नागरिकता प्रदान की जाए।''

आवेदन में, आईयूएमएल ने केंद्र सरकार को यह निर्देश भी देने की मांग कि याचिका पर निर्णय लंबित होने तक, किसी भी धर्म या संप्रदाय के सदस्यों को, जिन्हें उनके धर्म के कारण बाहर रखा गया है, सीएए के दायरे में, नागरिकता अधिनियम, 1955, पासपोर्ट अधिनियम, 1920, विदेशी अधिनियम, 1946 के तहत कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाए।

इसमें रिट याचिका पर फैसला आने तक नियमों के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने के लाभ से वंचित मुस्लिम समुदाय के लोगों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने की मांग की गई है। साथ ही केंद्र सरकार को मुस्लिम समुदाय से संबंधित व्यक्तियों को अस्थायी रूप से अनुमति देने का निर्देश देने का भी आदेश देने की मांग की गई है। केंद्र से मुस्लिमों की नागरिकता के लिए आवेदन करने और उनकी पात्रता पर एक रिपोर्ट पेश करने की मांग भी की गई है।

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