बुलडोजर राजनीति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने हिंसा जैसी आपराधिक घटनाओं में शामिल लोगों के घरों और दुकानों को ध्वस्त करने के लिए बुलडोजर के इस्तेमाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से केंद्र और सभी राज्यों को उचित निर्देश जारी करने की मांग की गई है। निर्देश जारी किया जाए कि घर को गिराने को दंडात्मक उपाय नहीं माना जा सकता है।दायर याचिका का विवरण साझा करते हुए, जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी ने ट्वीट किया, जमीयत उलमा-ए-हिंद ने अल्पसंख्यकों विशेषकर मुसलमानों के घरों को नष्ट करने के लिए शुरू किए गए बुलडोजर की खतरनाक राजनीति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। बीजेपी शासित राज्यों में अपराध की रोकथाम की आड़ में इसे अंजाम दिया जा रहा है।
जमीयत उलमा-ए-हिंद ने अपनी याचिका में कहा कि दंगों जैसी आपराधिक घटनाओं में कथित रूप से शामिल व्यक्तियों के खिलाफ दंडात्मक उपाय के रूप में, कई राज्यों में प्रशासन द्वारा आवासीय (रेजीडेंशल) और वाणिज्यिक (कमर्शल) संपत्तियों को गिराने की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है।याचिका में कहा गया है, हिंसा के कथित कृत्यों के जवाब में, कई राज्यों में प्रशासन ऐसे कृत्यों / घटनाओं में शामिल लोगों के घरों को गिराने के लिए बुलडोजर लगा रहा है। मध्य प्रदेश के गृह मंत्री ने इस तरह के कृत्यों की वकालत करते हुए बयान दिए हैं और विशेष रूप से दंगों के मामले में अल्पसंख्यक समूहों को उनके घरों और व्यावसायिक संपत्तियों को नष्ट करने की धमकी दी है।
Jamiat Ulama-e-Hind has filed a petition in the Supreme Court against the dangerous politics of bulldozers that have been started to destroy minorities especially Muslims under the guise of crime prevention in BJP ruled states. https://t.co/6Os0EnbA7A
— Arshad Madani (@ArshadMadani007) April 17, 2022
याचिका के अनुसार, इस तरह के उपायों / कार्यों का सहारा लेना स्पष्ट रूप से अभियुक्त व्यक्तियों के अधिकारों का उल्लंघन है और साथ ही यह संवैधानिक लोकाचार और आपराधिक न्याय प्रणाली के खिलाफ है।
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि ऐसे लोगों और संस्थाओं को आगे बढ़ने से रोका जाए। सरकार द्वारा घरों को ध्वस्त करने के फैसले देश की आपराधिक न्याय प्रणाली को कमजोर करते हैं। अदालतों की भूमिका पर सवाल होंगे।
बता दें कि यूपी के बाद एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साम्प्रदायिक हिंसा में शामिल लोगों के अवैध भवनों को गिराने का आदेश दिया था। 11 अप्रैल को प्रशासन ने करीब 16 घरों और 29 दुकानों को गिराने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया था।