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मुंबई में आरे जंगल को बचाने के लिए लोग सड़क पर आए, शिवसेना का समर्थन

मुंबई में आरे जंगल को बचाने के लिए लोग सड़क पर आए, शिवसेना का समर्थन

मुंबई में आरे जंगल को बचाने का संघर्ष फिर से शुरू हो गया है। उद्धव ठाकरे सरकार ने लोगों की मांग पर आरे जंगल से कार शेड परियोजना को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया था। लेकिन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पद संभालने के चंद घंटों के अंदर इस फैसले को पलट दिया और आरे के जंगल में कार शेड परियोजना बनाने को हरी झंडी दिखा दी। यही वजह है कि आदित्य ठाकरे ने रविवार को मौके पर पहुंचकर आंदोलन को समर्थन दे दिया।

मुंबई के लिए फेफड़ों का काम करने वाले आरे फॉरेस्ट को बचाने के लिए रविवार को लोगों ने प्रदर्शन किया। लोगों ने कहा कि वो शहर के हरे-भरे आरे जंगल में मेट्रो शेड परियोजना का विरोध जारी रखेंगे।

आरे फॉरेस्ट की इस परियोजना को उद्धव ठाकरे की सरकार ने दूसरी जगह (कांजुरमार्ग) शिफ्ट कर दिया था। लेकिन जैसे ही सत्ता परिवर्तन हुआ और एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने, कुछ ही घंटे में फैसला पलट दिया गया। यानी सीएम शिंदे ने पिछली एमवीए सरकार के प्रस्तावित मुंबई मेट्रो लाइन -3 कार शेड को आरे कॉलोनी से ट्रांसफर करने के फैसले को पलट दिया। इस फैसले से तमाम पर्यावरण प्रेमी और इलाके के लोग नाराज हैं। यहां यह बताना महत्वपूर्ण है कि ठाकरे सरकार ने आरे को आरक्षित वन (रिजर्व फॉरेस्ट) घोषित किया था। मुंबई का यह 1,800 एकड़ आरे क्षेत्र जिसे 'ग्रीन लंग' भी कहा जाता है।

रविवार को हुए प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों ने तख्तियां ले रखी थीं। उन्होंने नई सरकार के मेट्रो - 3 कार शेड परियोजना को वापस मुंबई के आरे जंगल में स्थानांतरित करने के प्रस्ताव के खिलाफ नारे लगाए।

पर्यावरण कार्यकर्ताओं के अनुसार, जंगल न केवल शहर के लोगों को ताजी हवा प्रदान करता है, बल्कि कुछ स्थानीय प्रजातियों सहित वन्यजीवों के लिए एक प्रमुख आवास भी है।उनका कहना है कि जंगल में लगभग पाँच लाख पेड़ हैं, और इसमें कुछ नदियाँ और कुछ झीलें भी बहती हैं।

शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने आरे के जंगल को बचाने के लिए अपना पूरा समर्थन दे दिया है। वो रविवार के प्रदर्शन में भी शामिल हुए। आदित्य ने इस मौके पर कहा कि यह मुंबई की लड़ाई है, जिंदगी की लड़ाई है। हमने जंगल के लिए और अपने आदिवासियों की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी। जब हम यहां थे तो कोई पेड़ नहीं काटा गया।

आदित्य ने कहा- उनका (महाराष्ट्र सरकार) हमारे खिलाफ जो भी गुस्सा है, उसे शहर पर नहीं निकालना चाहिए। जंगलों और पर्यावरण को संरक्षित करने की जरूरत है, जलवायु परिवर्तन हम लोगों पर भारी पड़ने वाला है। हमने तो यहां पशु चिकित्सालय बनाने का प्रस्ताव दिया था।

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