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संसद में अप्रतिबंधित एंट्री के लिए प्रेस क्लब को बिरला, धनखड़ समय देंगे?

संसद में अप्रतिबंधित एंट्री के लिए प्रेस क्लब को बिरला, धनखड़ समय देंगे?

संसद भवन परिसर में पत्रकारों की आवाजाही प्रतिबंधित होने का मुद्दा तब चर्चा में आया था जब राहुल गांधी ने इस मुद्दे को संसद में उठाया था। जानिए, इसको लेकर प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया ने क्या कहा है।

संसद भवन परिसर में पत्रकारों की आवाजाही प्रतिबंधित होने के जिस मामले को राहुल गांधी ने संसद में 'पिंजरे में बंद मीडिया' कहा था, उस मामले को अब प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया ने उठाया है। इसने पत्र लिखकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा अध्यक्ष जगदीप धनखड़ से मिलने की मांग की है। पत्रकारों का यह संगठन संसद भवन परिसर में मान्यता प्राप्त पत्रकारों को अप्रतिबंधित आवाजाही की पैरवी करता रहा है।

दोनों सदनों के अध्यक्षों को लिखे ख़त में प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया ने कहा है कि कोविड-पूर्व के समय की तरह संसद में सभी मान्यता प्राप्त पत्रकारों और फोटो पत्रकारों की पूरी पहुँच दिलाने पर वह चर्चा करना चाहता है।

पत्र में कहा गया है, 'जैसा कि आप जानते ही होंगे कि 2020 के बजट सत्र के दौरान कोविड-19 महामारी के मद्देनजर मीडिया (पत्रकारों और फोटो पत्रकारों) पर प्रतिबंध लगाए गए थे। पत्रकारों के स्थायी पास और लॉन्ग एंड डिस्टिंग्विश्ड श्रेणी के पास रद्द कर दिए गए थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 5 मई, 2023 को महामारी के अंत की घोषणा के साथ हमें उम्मीद थी कि पत्रकारों और फोटो पत्रकारों को पूरी पहुँच बहाल कर दी जाएगी। दुर्भाग्य से, ऐसा नहीं हुआ।'

यह पत्र प्रेस क्लब की पिछली मांग के बाद आया है, जिसमें लोकसभा प्रेस गैलरी और संसद भवन में मीडिया के लिए अप्रतिबंधित प्रवेश की मांग की गई थी।

हाल में यह मुद्दा तब उठा है जब पत्रकारों को संसद भवन परिसर में इधर-उधर घूमने और सांसदों से सवाल पूछने या बाइट लेने से रोक दिया गया है। उनके लिए अलग से शीशा का रूम बनाया गया है जहाँ पत्रकार अंदर ही रह सकते हैं। 29 जुलाई को संसद की कार्यवाही शुरू होने के साथ ख़बर आई थी कि संसद कवर करने वाले पत्रकारों को एक कमरे में बंद कर दिया गया। शीशे की दीवारों का कमरा है, जिससे अंदर-बाहर दिखता है। 

इसी को लेकर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मीडिया कर्मियों के लिए आवाज़ उठाई थी। राहुल गांधी ने कहा था, 'मीडिया वालों को आपने पिंजरे में बंद कर दिया है। उन्हें बाहर निकाल दीजिए प्लीज़।' विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा संसद के मानसून सत्र में मीडिया को पिंजरे से मुक्त करने वाले बयान के बाद इस मुद्दे ने और भी अधिक ध्यान खींचा। 

राहुल गांधी ने सदन में मीडिया वालों के लिए बेचारे शब्द का इस्तेमाल किया। इस पर स्पीकर ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि उन्हें बेचारे मत कहिए, वे बेचारे नहीं हैं।

टीओआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक के दौरान लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने संसद भवन में मीडिया कवरेज को प्रतिबंधित करने के मौजूदा रवैये की आलोचना की। गोगोई ने कथित तौर पर संसद की कार्यवाही में पत्रकारों की पहुँच पर कोविड के बाद के प्रतिबंधों को हटाने का आह्वान किया। उन्होंने मीडिया आउटलेट्स को सीमित पास जारी करने का हवाला भी दिया।

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