पटेल का इस्तीफ़ा विरोध का वक्तव्य: राजन
रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि उर्जित पटेल का इस्तीफ़ा सरकार के रवैए के प्रति उनके ‘विरोध का वक्तव्य’ है। उधर, पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि पटेल को तो 19 नवंबर को हुई बोर्ड की बैठक के बाद ही पद छोड़ देना चाहिए था। लेकिन शायद उन्हें यह उम्मीद थी की सरकार अपने पैर पीछे खींच लेगी। यह अच्छा है कि उन्होंनें एक और अपमानजनक बैठक के पहले ही इस्तीफ़ा दे दिया। रघुराम राजन ने कहा कि केंद्रीय बैंक के गवर्नर और केंद्र सरकार के बीच सम्मान और ज़िम्मेदारी का रिश्ता रहता है, जो बने रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस तरह का इस्तीफ़ा केंद्रीय बैंक जैसी महत्वपूर्ण संस्था के लिए बड़ी चिंता की बात है और हमें यह देखना चाहिए कि इस स्थिति को कैसे ठीक किया जाए। उन्होंने कहा कि इस्तीफ़े को विरोध का वक्तव्य माना जाना चाहिए।
'स्वायत्तता बनी रहे, टकराव न हो'
राजन ने कहा, 'केंद्रीय बैक की स्वायत्तता बनी रहनी चाहिए और किसी भी सरकार को उसमें कटौती करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। पर इसके साथ ही बैंक को भी केंद्र सरकार के साथ टकराव का रास्ता नहीं अख़्तियार करना चाहिए।' उन्होंने कहा, 'पटेल के इस्तीफ़े से हर भारतीय को चिंतित होना चाहिए।' राजन ने यह भी कहा कि उद्योगपतियों और राजनेताओं को केंद्रीय बैंक के बोर्ड से बाहर रखा जाना चाहिए।'सरप्लस हथियाने की कोशिश थी'
चिदंबरम ने कहा कि सरकार का अजंडा रिज़र्व बैंक के सरप्लस को हथियाना है ताकि वह अपना राजस्व घाटा कम कर सके और चुनाव के साल में पैसे लुटा सके। सरकार रिज़र्व बैंक की स्वायत्तता को ख़त्म कर उसे बोर्ड के नियंत्रण में चलने वाली कंपनी जैसा बनाना चाहती थी।Government's immediate agenda is to grab the reserves of the RBI to meet its fiscal deficit target and to get funds for spending in an election year.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) December 10, 2018