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विशेष सत्र से एक दिन पहले केंद्र ने सर्वदलीय बैठक बुलाई

विशेष सत्र से एक दिन पहले केंद्र ने सर्वदलीय बैठक बुलाई

संसद का विशेष सत्र 18 सितंबर से शुरू होगा लेकिन केंद्र सरकार ने उससे एक दिन पहले यानी 17 सितंबर को सभी दलों की संयुक्त बैठक बुलाई है। सरकार ने इस सर्वदलीय बैठक का भी एजेंडा नहीं बताया है। विपक्ष लगातार संसद सत्र का एजेंडा बताने की मांग कर रहा है। 

सरकार ने संसद के विशेष सत्र से एक दिन पहले सोमवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। सर्वदलीय बैठक में विशेष सत्र के एजेंडे पर चर्चा होने की संभावना है। हालांकि केंद्र सरकार अपने रुख पर अड़ी हुई है। उसने न तो संसद सत्र का एजेंडा बताया और न ही सोमवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक का एजेंडा बताया है। सूत्रों ने कहा है कि विशेष सत्र संसद की पुरानी बिल्डिंग में शुरू होगा और 19 सितंबर को नए भवन में चलेगा।

एजेंडा साफ नहीं होने के कारण विपक्षी नेता इसकी लगातार आलोचना कर रहे हैं। कई नेताओं ने कहा कि मंगलवार को गणेश चतुर्थी है लेकिन इसके बावजूद सांसदों को सत्र में आने को कहा जा रहा है। शिवसेना यूबीटी की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि "भारत के सबसे महत्वपूर्ण त्योहार गणेश चतुर्थी के दौरान बुलाया गया यह विशेष सत्र दुर्भाग्यपूर्ण है और हिंदू भावनाओं के खिलाफ है। तारीखों के चयन पर हैरानी है!" राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले ने तारीख फिर से तय करने की मांग की है।

विशेष सत्र के एजेंडे का खुलासा नहीं करने के लिए सरकार पर निशाना साधते हुए, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “आज 13 सितंबर है। संसद का पांच दिवसीय विशेष सत्र अब से पांच दिन बाद शुरू होगा और एक आदमी को छोड़कर (शायद एकाध और हो) कोई नहीं जानता कि एजेंडा क्या है।

उन्होंने कहा कि अतीत में हर विशेष सत्र का एजेंडा पहले से पता होता था और आरोप लगाया कि यह केवल मोदी सरकार है जो संसदीय परंपराओं को ''विकृत'' कर रही है। रमेश ने पिछले संसदीय सत्रों का पूरा इतिहास पेश करते हुए बताया कि कब-कब विशेष सत्र हुए और उसके एजेंडे की जानकारी दी गई थी। 

विपक्ष को विशेष सत्र को लेकर सबसे बड़ा ऐतराज ये है कि इस सत्र के दौरान कोई प्रश्नकाल या शून्यकाल नहीं होगा और न ही किसी निजी सदस्य विधेयक की अनुमति दी जाएगी।

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