संसदीय राजनीतिः बीजेडी खुलकर बीजेपी विरोध में, YSRCP अभी भी साथ
संसद में भाजपा का कई नाजुक मौकों पर साथ देने वाली बीजेडी भी बुधवार को खुलकर बीजेपी के विरोध में आ गई। बुधवार को उसने राज्यसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के दौरान बाकी विपक्षी दलों के साथ वॉकआउट किया। हालाँकि, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) अभी भी भाजपा के समर्थन में है और विपक्ष के व्यवहार की निन्दा कर रही है। बीजेडी और वाईसआरसीपी विपक्ष में होने के बावजूद अभी भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा नहीं बने हैं लेकिन दोनों की राहें जुदा हैं।
245 सदस्यीय राज्यसभा में बीजेडी के 9 सदस्य हैं, जबकि वाईएसआरसीपी के 11 सदस्य हैं। लोकसभा में बीजेडी का कोई सांसद नहीं है, जबकि लोकसभा में वाईएसआरसीपी के चार सदस्य हैं।
बीजेडी संसद में बीजेपी की विश्वसनीय अनौपचारिक सहयोगी कहलाती थी। लेकिन बीजेडी अब उस शर्म से निकलने के लिए कसमसा रही है। एक हफ्ते में यह दूसरा मौका था जब बीजेडी सांसदों ने राज्यसभा से वाकआउट किया। वे पेपर लीक और नीट जैसी परीक्षाओं में धांधली पर चर्चा की मांग को लेकर 28 जून को भी सदन में विपक्षी इंडिया गठबंधन के विरोध में शामिल हुए थे।
वाईएसआरसीपी और बीजेडी दोनों हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव और आंध्र प्रदेश और ओडिशा विधानसभा चुनावों के दौरान किसी भी राष्ट्रीय स्तर के गठबंधन से दूर रहे। जबकि दोनों दलों ने आम चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन किया। दोनों ही अपने-अपने राज्यों में सत्ता से भी हाथ धो बैठे।
पिछले हफ्ते जब 18वीं लोकसभा का पहला सत्र शुरू हुआ, तो बीजेडी ने घोषणा की कि वह सदन में भाजपा को "मुद्दा-आधारित समर्थन" देना बंद करेगी। बीजेडी सुप्रीमो और पांच बार के सीएम पटनायक ने अपनी पार्टी के राज्यसभा सांसदों के साथ बैठक की और उनसे कहा कि पार्टी "ओडिशा के हितों की रक्षा" के लिए हर संभव प्रयास करे और संसद में एक "मजबूत और जीवंत" विपक्ष के रूप में उभरे। बीजेडी खेमे के अनुसार, पटनायक का अपने सांसदों को संदेश था: "भाजपा का अब समर्थन नहीं, सिर्फ विरोध।" पिछले 10 वर्षों में बीजेडी के रुख में यह एक उल्लेखनीय बदलाव है।
बुधवार को राज्यसभा में पीएम मोदी के भाषण के दौरान विपक्षी सांसदों ने नारे लगाए, क्योंकि विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को संबोधन के दौरान हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दी गई थी। इस पर जब इंडिया के दलों ने वॉकआउट किया तो उसमें बीजेडी के सांसद भी शामिल हुए। बीजेडी नेता और राज्यसभा सांसद सस्मित पात्रा को इंडिया गठबंधन की पार्टियों के साथ अपनी पार्टी के सांसदों के साथ राज्यसभा से वॉकआउट करते देखा गया।
बीजेडी के सस्मित पात्रा ने संसद के बाहर अन्य विपक्षी नेताओं की तरह बयान भी दिया। पात्रा ने पीटीआई से कहा- "यह प्रधानमंत्री का एक और, वही नियमित जवाब था, जो उनकी सरकार की उन्हीं उपलब्धियों को गिना रहा था। जब ओडिशा के लोगों की आकांक्षाओं और मांगों का कोई जिक्र नहीं था तो वहां बैठने का कोई मतलब नहीं है।राष्ट्रपति मुर्मू ने भी अपने भाषण में ओडिशा का कोई जिक्र नहीं किया।" पात्रा ने कहा- कोयला रॉयल्टी बढ़ाने, ओडिशा में राजमार्ग, रेलवे और दूरसंचार को लेकर केंद्र सरकार किनारा कर चुकी है।
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बीजेडी के सूत्रों ने कहा कि बीजेपी सरकार के खिलाफ पार्टी की नई आक्रामकता "चुनावी असफलताओं के बाद लोगों का विश्वास वापस जीतने की सोची-समझी रणनीति" का हिस्सा है।
बीजेडी इस बात से आहत है कि ओडिशा में चुनाव प्रचार के दौरान नवीन पटनायक की सेहत को लेकर भाजपा ने "झूठा अभियान" चलाया। बीजेडी नेताओं ने कहा कि “जब ओडिशा में भाजपा सरकार ने शपथ ली, तो नवीन पटनायक ने उस समारोह में भाग लिया। बीजेपी ने अब यह पता लगा लिया होगा कि वह ठीक हैं या नहीं, तो फिर उन्होंने (पीएम) गलत बयान क्यों दिए? अपने चुनाव अभियान के दौरान, मयूरभंज लोकसभा क्षेत्र के बारीपदा में एक रैली को संबोधित करते हुए, मोदी ने कहा था कि पटनायक के स्वास्थ्य में "अचानक गिरावट" के बारे में "रहस्य को उजागर करने" के लिए विस्तृत जांच की आवश्यकता है। उन्होंने आरोप लगाया था कि इसके पीछे सत्ता की "लॉबी" की साजिश थी। मोदी ने रत्न भंडार को लेकर भी आरोप लगाए थे। इससे ओडिशा चुनाव का पूरा रुख पलट गया था।
बहरहाल, बीजेपी को लेकर वाईएसआरसीपी अभी भी अपने पुराने रुख पर कायम है। विपक्ष के अभी तक सभी विरोध प्रदर्शनों से वह दूर है। राज्यसभा में वाईएसआरसीपी नेता वी विजयसाई रेड्डी ने मंगलवार को जब प्रधानमंत्री ने लोकसभा में भाषण दिया तो उन्होंने विपक्ष के विरोध की निंदा की।
रेड्डी ने कहा, "इसकी निंदा की जानी चाहिए।" उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के भाषण को धैर्यपूर्वक सुना जाना चाहिए था क्योंकि वो केवल विभिन्न सांसदों द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब दे रहे थे। रेड्डी ने कहा, "विपक्ष ने जो किया है वह संसद में मजबूत लोकतांत्रिक सिद्धांतों और मिसालों के अनुरूप नहीं है।"
कई बार राजनीतिक भूल बहुत महंगी पड़ती है। ओडिशा में बीजेडी उसकी कीमत चुका रही है। इसी तरह आंध्र प्रदेश में वाईएसआरसीपी अभी तक अपनी राजनीति की दिशा तय नहीं कर पाई है। लोकसभा औऱ विधानसभा बुरी तरह हारने के बाद पार्टी प्रमुख और पूर्व सीएम जगनमोहन रेड्डी ने संकेत दिया था कि उनकी पार्टी भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा बनेगी। लेकिन बाद में वो इससे पीछे हट हए। कहा जा रहा है कि जगनमोहन रेड्डी के खिलाफ ईडी और सीबीआई के कुछ केस हैं, जिससे वो केंद्र सरकार का विरोध करने से हिचक रहे हैं। लेकिन दूसरी तरफ आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू वाईएसआरसीपी को ठिकाने लगाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। राज्य में वाईएसआरसीपी के कई दफ्तर गिरा दिए गए। जगनमोहन रेड्डी ठीक से उनका भी विरोध नहीं कर पाए।