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संसद का मानसून सत्र : विपक्ष के विरोध के बाद लिखित प्रश्न के जवाब देने पर राजी सरकार

संसद का मानसून सत्र : विपक्ष के विरोध के बाद लिखित प्रश्न के जवाब देने पर राजी सरकार

इस बार संसद के मानसून सत्र में शून्य काल और प्रश्न काल नहीं होने पर पूरे विपक्ष ने सरकार पर तीखा हमला बोला,  इसके बाद सरकार लिखित प्रश्नों के जवाब देने पर राजी हो गई। 

विपक्ष के ज़बरदस्त विरोध के बाद केंद्र सरकार संसद के मानसून सत्र के दौरान लिखित प्रश्नों के जवाब देने पर राजी हो गई है। पहले लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया था कि शून्यकाल और प्रश्न काल इस बार नहीं होंगे। 

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद वेंकटेश जोशी ने एनडीटीवी से कहा कि तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय इस पर राजी हो गए हैं। 

जोशी ने कहा, 'हमने प्रश्न काल रद्द करने पर सहमति बनने के बाद ही नोटिफिकेशन जारी किया था। तृणमूल कांग्रेस सासंद डेरेक ओ ब्रायन को छोड़ कर सभी सदस्य इस पर राजी थे।' 

उन्होंने कहा, 

'मैंने और राजनाथ सिंह ने सभी वरिष्ठ नेताओं से बात की थी, डेरेक ओ ब्रायन को छोड़ किसी ने विरोध नहीं किया था। सबका कहना था कि महामारी की स्थिति है और इस व्यवस्था पर राजी हो गए थे। सुदीप बंदोपाध्याय सहमत थे। वह सदन में तृणमूल कांग्रेस के नेता हैं।'


प्रह्लाद वेंकटेश जोशी, संसदीय कार्य मंत्री

लोकसभा व राज्यसभा सचिवालयों ने बुधवार को नोटिफिकेशन जारी कर संसद के मानसून सत्र की जानकारी दी। नोटिफिकेशन में कहा गया था कि मानसून सत्र 14 सितंबर से 1 अक्टूबर तक चलेगा। इसके तहत सुबह 9 बजे से दोपहर बाद 1 बजे तक राज्यसभा और दोपहर बाद 3 बजे से शाम के 7 बजे तक लोकसभा की बैठकें होंगी।

प्रश्न काल, शून्य काल रद्द

नोटिफिकेशन की जिस बात से विपक्ष गुस्से में था वह यह थी कि इस बार शून्य काल नहीं होगा न ही प्रश्न काल होगा। इसके अलावा प्राइवेट मेम्बर के लिए कोई दिन निश्चित नहीं किया गया है।

नोटिफिकेशन में कहा गया है, 'सत्र के दौरान प्रश्न काल नहीं होगा। कोविड-19 की ख़ास स्थितियों को देखते हुए सरकार के इस आग्रह को मान लिया गया है और स्पीकर ने कहा है कि प्राइवेट मेम्बर के कामकाज के लिए अलग से कोई दिन न रखा जाए।'

'लोकतंत्र की हत्या'

पूरे विपक्ष ने इसका विरोध किया था। तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस व डीएमके समेत कई राजनीतिक दलों ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि लोकतंत्र की हत्या है।

तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट कर कहा कि 'लोकतंत्र की हत्या के लिए महामारी एक बहाना है।'

उन्होंने कहा, सांसदों को प्रश्न काल के 15 दिन पहले ही सवाल देने होते हैं, सत्र 14 सितंबर से शुरू हो रहा है, तो क्या  प्रश्न काल रद्द हो गया विपक्ष के सांसदों को सरकार से सवाल पूछने का हक नहीं रहा 1950 के बाद से यह पहली बार हो रहा है।

डीएमके सांसद कानीमोडी ने ट्वीट किया, 'संसद के पूरे सत्र के लिए प्रश्न काल को रद्द कर बीजेपी सरकार एक ही संकेत देना चाहती है-चुने हुए प्रतिनिधियों को भी सरकार से सवाल पूछने का अधिकार नही है।'

लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने स्पीकर ओम बिड़ला को पत्र लिख कर गुजारिश की थी कि प्रश्न काल रद्द न किया जाए।

दूसरी ओर, कांग्रेस के ही सदस्य ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि संसद का मानसून सत्र असाधारण स्थितियों में हो रहा है और सामान्य दिन का कामकाज आधे समय में नहीं हो सकता।

बता दें कि प्रश्न काल में कोई भी सदस्य सरकार से तारांकित व अतारांकित सवाल पूछ सकता है। सदस्यों को दो पूरक प्रश्न पूछने का अधिकार भी है। अतारांकित प्रश्नों का लिखित जवाब संबंध विभाग के मंत्री को देना होता है।

प्रश्न काल में कोई भी सदस्य स्पीकर की अनुमति लेकर कोई भी महत्वपूर्ण सवाल सरकार से पूछ सकता है।

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