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मॉनसून सत्र: अधीर के बयान पर दोनों सदनों में हंगामा

मॉनसून सत्र: अधीर के बयान पर दोनों सदनों में हंगामा

मॉनसून सत्र में लोकसभा और राज्यसभा में लगातार हंगामा हुआ है। विपक्षी दलों के सांसदों ने तमाम मुद्दों को सदन में उठाया है लेकिन अब सत्ता पक्ष ने अधीर रंजन चौधरी के बयान पर कांग्रेस को घेर लिया है। 

गुरुवार को कार्यवाही शुरू होते ही संसद के दोनों सदनों में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के बयान को लेकर जबरदस्त शोरगुल हुआ और दोनों सदनों को स्थगित करना पड़ा। अधीर रंजन चौधरी ने एक टीवी चैनल के साथ बातचीत में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के लिए राष्ट्रपत्नी शब्द का प्रयोग किया था। हालांकि विवाद होने के बाद उन्होंने कहा कि यह शब्द उनसे ग़लती से निकल गया था। चौधरी लोकसभा में कांग्रेस के संसदीय दल के नेता हैं। 

बीजेपी ने संसद के दोनों सदनों में इसे जोर-शोर से उठाया और कहा कि कांग्रेस को बर्दाश्त नहीं है कि कोई आदिवासी देश के राष्ट्रपति के पद तक पहुंचे। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और निर्मला सीतारमण ने संसद में मोर्चा संभाला और कहा कि अधीर रंजन चौधरी के बयान के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को माफी मांगनी चाहिए। 

बीजेपी सांसदों का प्रदर्शन

स्मृति ईरानी ने कहा कि अधीर रंजन चौधरी का यह बयान आदिवासी विरोधी, दलित विरोधी और महिला विरोधी है। बीजेपी और एनडीए के सांसदों ने अधीर रंजन चौधरी के बयान को लेकर संसद परिसर में प्ले कार्ड लेकर भी प्रदर्शन किया। बीजेपी की महिला सांसदों ने कहा कि इस तरह के बयान को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। 

विवाद बढ़ने के बाद कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा है कि अधीर रंजन चौधरी अपने बयान के लिए पहले ही माफी मांग चुके हैं।

'मुझसे चूक हुई'   

अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि एक प्रदर्शन के दौरान बयान देते वक्त राष्ट्रपति बोलने के बाद उनके मुंह से राष्ट्रपत्नी शब्द निकल गया। उन्होंने कहा कि भारत के राष्ट्रपति के पद पर ब्राह्मण, मुसलमान, आदिवासी या जो कोई भी हो, हमारे लिए वह राष्ट्रपति है। उन्होंने कहा कि यह शब्द सिर्फ एक बार निकला और उनसे चूक हुई है लेकिन बीजेपी बेवजह बात का बतंगड़ बना रही है।

अधीर ने कहा है कि वह राष्ट्रपति का अपमान करने की बात सोच भी नहीं सकते और अगर राष्ट्रपति को बुरा लगा है तो वह व्यक्तिगत रूप से उनसे मिलेंगे और अपनी गलती के लिए माफी मांगेंगे। उन्होंने कहा कि वह अपनी गलती की सजा भुगतने के लिए तैयार हैं लेकिन इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को क्यों घसीटा जा रहा है।

गुरुवार को तीन और सांसदों को राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया। इनके निलंबन के पीछे भी खराब व्यवहार को वजह बताया गया है। निलंबित सांसदों के नाम अजीत कुमार भुइयां, सुशील कुमार गुप्ता और संदीप पाठक हैं।

बुधवार को विपक्षी सांसदों ने लोकसभा और राज्यसभा से सांसदों के निलंबन की कार्रवाई के खिलाफ नारेबाजी की थी। 

बीते दिनों में दोनों सदनों में कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सांसदों ने महंगाई, जीएसटी की बढ़ी दरों और मूल्य वृद्धि पर चर्चा की मांग सहित कई मुद्दों पर नारेबाज़ी की है। महंगाई समेत तमाम मुद्दों को लेकर विपक्षी सांसद संसद परिसर में प्रदर्शन भी कर चुके हैं। 

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विपक्षी सांसदों का धरना जारी

उधर, लोकसभा और राज्यसभा से विपक्ष के सांसदों को निलंबित किए जाने के खिलाफ और अहम मुद्दों पर संसद में चर्चा कराने की मांग को लेकर विपक्षी सांसदों का संसद परिसर में धरना जारी है। 

सांसदों ने बुधवार को कहा था कि वे 50 घंटे तक संसद परिसर में धरना देंगे। बुधवार रात को संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने बैठे सांसदों की तस्वीरें सामने आई हैं। कांग्रेस के सांसद मनिकम टैगोर ने ट्वीट कर कहा कि संसद परिसर में काफी मच्छर हैं।

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धरने पर बैठे आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा है कि सरकार कह रही है कि सांसद माफ़ी माँगें लेकिन उनका कहना है कि गुजरात में ज़हरीली शराब से हुई 55 लोगों की मौत पर बीजेपी सरकार गुजरात के लोगों से माफ़ी माँगे।

विपक्षी सांसदों का यह प्रदर्शन शुक्रवार दिन में 1 बजे तक चलेगा। धरना देने वाले सांसदों में कांग्रेस, डीएमके, टीएमसी, सीपीएम और आम आदमी पार्टी के सांसद शामिल रहे। दोनों सदनों से कुल 23 सांसदों को निलंबित किया गया है। सांसदों का कहना है कि जब वे महत्वपूर्ण मुद्दों को संसद में उठाते हैं तो उन्हें निलंबित कर दिया जाता है। 

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सत्र शुरू होने से पहले ही रार

बता दें कि मॉनसून सत्र शुरू होने से पहले ही सत्ता पक्ष और विपक्ष में जबरदस्त रार शुरू हो गई थी। तब लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी किए गए बुलेटिन में कुछ शब्दों को असंसदीय करार दिए जाने पर अच्छा-खासा हंगामा हुआ था। विपक्ष के कई नेताओं ने कहा था कि वे इन शब्दों का इस्तेमाल जरूर करेंगे। 

इसके अलावा राज्यसभा सचिवालय की ओर से जारी एक लिखित आदेश में कहा गया था कि सांसद किसी भी तरह के प्रदर्शन, धरना, हड़ताल, उपवास या फिर कोई धार्मिक कार्यक्रम करने के उद्देश्य से संसद भवन के परिसर का इस्तेमाल ना करें। इसका विपक्ष ने विरोध किया था। संसद भवन में प्लेकार्ड, पैंफलेट आदि ले जाने पर भी रोक लगाई गई थी। 

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