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कर्नल की अंत्येष्टि के लिए माता-पिता को सड़क से जाना पड़ा 2600 किलोमीटर

कर्नल की अंत्येष्टि के लिए माता-पिता को सड़क से जाना पड़ा 2600 किलोमीटर

सैनिक के अंतिम संस्कार के लिए उसके माता-पिता को लॉकडाउन में 2,600 किलोमीटर की दूसरी सड़क से तय करनी पड़ी। 

सैनिक के अंतिम संस्कार के लिए उसके माता-पिता को लॉकडाउन में 2,600 किलोमीटर की दूसरी सड़क से तय करनी पड़ी। 

एनडीटीवी के अनुसार, शौर्य पुरस्कार से सम्मानित इस अफ़सर का शव तो हवाई जहाज़ से ले जाया गया, पर उसमें उसके माता-पिता को नहीं बैठने दिया गया। पूर्व सेनाध्यक्ष वी. पी. मलिक ने इस पर नाराज़गी जतायी है। 

भारतीय सेना के स्पेशल फ़ोर्सेज के कर्नल एन. एस. बल की मृत्यु कैंसर से अमृतसर में हो गई। उन्हें वीरता के तीसरे सबसे बड़े पुरस्कार शौर्य चक्र से नवाजा गया था और उनका बहुत नाम था। 

कर्नल बल की मृत्यु के समय उनके माता-पिता उनके साथ अमृतसर में ही थे। कर्नल के शव को विशेष हवाई जहाज़ से बेंगलुरू ले जाया गया, पर नियम का हवाला देकर उसमें उनके माता-पिता को बैठने की अनुमति नहीं दी गई। 

नतीजतन, कर्नल बल के माता-पिता को इस लॉकडाउन में सड़क के रास्ते 2600 किलोमीटर की दूरी तय कर अमृतसर से बेंगलुरू जाना पड़ा।

पूर्व सेनाध्यक्ष वी. पी. मलिक ने ने कर्नल बल के भाई नवतेज़ सिंह बल से संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि भारत सरकार ने मदद नहीं की। उन्होंने कहा कि नियम पत्थर पर लिखे नहीं होते हैं, विशेष स्थितियों में उन्हें बदला जा सकता है। 

सरकार के सूत्रों ने एनटीडीवी से कहा कि सैनिक की मृत्यु के तुरन्त बाद उसके शव को अंत्येष्टि के लिए हवाई जहाज से उसके घर ले जाने का नियम है, पर उसमें किसी और को बैठने की अनुमति नहीं है। इस मामले में छूट देकर नई प्रथा नहीं शुरू की जा सकती थी। 

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