पप्पू यादव को रात में मधेपुरा जेल ले गई पुलिस, समर्थकों का जोरदार विरोध
कोरोना काल में नीतीश सरकार के लिए मुसीबत बन चुके पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की गिरफ़्तारी को लेकर मंगलवार को बिहार सहित उत्तर भारत के कई राज्यों में माहौल बेहद गर्म रहा। पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी से लेकर नीतीश कुमार की सरकार में सहयोगी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा, विकासशील इंसान पार्टी ने इस गिरफ़्तारी की खुलकर निंदा की है। इसके अलावा विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने भी पप्पू यादव की गिरफ़्तारी को हिटलरशाही बताया।
32 साल पुराना मुक़दमा
मंगलवार को पटना पुलिस ने पप्पू यादव की गिरफ़्तारी को लेकर पहले यह कारण बताया कि उन्होंने लॉकडाउन के नियमों को तोड़ा है। लेकिन शाम को जब उन्हें मधेपुरा जेल ले जाने के लिए पुलिस आई तो पता चला कि 32 साल पुराने एक मुक़दमे में उन्हें जेल भेजा जा रहा है। पप्पू यादव को मधेपुरा जेल भेजे जाने के ख़िलाफ़ उनके समर्थकों ने पटना में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।
साल 1989 के इस मामले में अपहरण का एक मामला दर्ज हुआ था और इसमें पप्पू यादव अभियुक्त थे। पप्पू यादव को मामले में जमानत मिल गई थी लेकिन वह इस मामले में पेशी में अदालत में उपस्थित नहीं हुए। इसके बाद मार्च में अदालत ने उनके ख़िलाफ़ वारंट जारी कर दिया था।
पप्पू यादव ने देर रात ट्वीट कर कहा कि उन्हें मंगलवार को पूरे दिन लॉकडाउन के उल्लंघन के आरोप में बैठाकर रखा गया और फिर ढूंढकर मामला निकाला गया। यादव ने आरोप लगाया कि बीजेपी के दबाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह कार्रवाई की है।
अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे
यादव ने कहा कि कोरोना मरीजों, उनके परिजनों एवं गरीब रिक्शा-ठेला चालकों, मजदूरों को विगत एक सप्ताह से उनकी पार्टी द्वारा भोजन मुहैया कराया जा रहा था लेकिन प्रशासन ने उसे बंद करवा दिया है और इसके विरोध में वे भी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं और दवा भी नहीं लेंगे।
पप्पू यादव ने उन्हें मिले समर्थन के लिए देश के सभी नागरिकों, सभी राजनीतिक दल के साथियों, बुद्धिजीवियों, लेखकों-चिंतकों, इतिहासकारों, साहित्यकारों, शिक्षकों, छात्रों, किसानों, युवाओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं का आभार जताया।
देखिए, इस मामले में चर्चा-
आरजेडी कार्यकर्ता ने बाल उतरवाए
पप्पू यादव की गिरफ़्तारी के विरोध में जन अधिकार पार्टी के अलावा आरजेडी कार्यकर्ताओं ने भी प्रदर्शन किया। वैशाली जिले में आरजेडी कार्यकर्ताओं ने गिरफ़्तारी की निंदा करते हुए कहा कि बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी की गिरफ़्तारी होनी चाहिए। एक कार्यकर्ता ने विरोध में अपने बाल भी उतरवाए और नीतीश सरकार के विरोध में जमकर नारेबाज़ी की।
मांझी के बाद सहनी ने किया विरोध
पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बाद बिहार सरकार में मंत्री मुकेश सहनी ने भी पप्पू यादव की गिरफ़्तारी का विरोध किया है। सहनी ने कहा कि सरकार को जन प्रतिनिधि, सामाजिक संस्था एवं कार्यकर्ता को आमजन की मदद के लिए प्रेरित करना चाहिए। कोरोना के समय में सेवा में लगे पप्पू यादव को गिरफ़्तार करना असंवेदनशील है। इससे पहले मांझी ने ट्वीट कर कहा था कि ऐसी घटना मानवता के लिए ख़तरनाक है।
‘आम आदमी का मददगार’ की छवि
पप्पू यादव कोरोना काल में ‘आम आदमी का मददगार’ की छवि बनाने में कामयाब रहे थे।
पप्पू यादव कोरोना काल में ही नहीं पटना में जब बाढ़ आई थी, तब भी आम लोगों की मदद के लिए सबसे आगे आए थे। शायद इसीलिए उन्हें ट्विटर और फ़ेसबुक पर आम लोगों का खासा समर्थन मिल रहा है।
पप्पू यादव ने कोरोना काल में पटना, आरा, छपरा सहित कई जगहों के अस्पतालों में जाकर सोशल मीडिया पर दिखाया कि मरीज किस परेशानी से गुजर रहे हैं। इससे शायद नीतीश सरकार परेशान हो गई और सबसे बड़ा धमाका पप्पू यादव ने तब किया जब उन्होंने बीजेपी के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी के घर के पीछे बेकार खड़ी कई दर्जनों एंबुलेंस को मीडिया को दिखाया।