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मोदी भी मेरा राजनीतिक करियर खत्म नहीं कर सकते: पंकजा मुंडे

मोदी भी मेरा राजनीतिक करियर खत्म नहीं कर सकते: पंकजा मुंडे

पंकजा के बयानों से साफ पता चलता है कि वह बीजेपी नेतृत्व से नाराज हैं। लेकिन लगातार सियासी उपेक्षा की वजह से क्या वह बीजेपी को अलविदा कह देंगी?

बीजेपी की राष्ट्रीय सचिव पंकजा मुंडे ने कहा है कि अगर वह लोगों के दिल और दिमाग में हैं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनका राजनीतिक करियर खत्म नहीं कर सकते। पंकजा मुंडे ने यह बात मंगलवार को अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कही। पंकजा के भाषण का यह वीडियो जोरदार ढंग से वायरल हो रहा है। 

पंकजा ने कहा, “कांग्रेस में वंशवाद की राजनीति चलती है, हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वंशवादी शासन को समाप्त करना चाहते हैं, मैं एक राजनीतिक परिवार से संबंध रखती हूं लेकिन अगर मैं आपके दिल और दिमाग में रहती हूं तो कोई भी मुझे खत्म नहीं कर सकता।”

महाराष्ट्र बीजेपी के नेताओं ने इस मामले में किसी तरह की प्रतिक्रिया देने से इनकार किया है। हालांकि बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा, "हमें पंकजा मुंडे की टिप्पणी के संदर्भ को देखना चाहिए। हालांकि उनके कद का बीजेपी का कोई राष्ट्रीय नेता अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम का जिक्र करने से बच सकता था।" 

पंकजा मुंडे ने पिछले महीने हुए बीजेपी-एकनाथ शिंदे सरकार के कैबिनेट विस्तार में जगह न मिलने पर नाराजगी जाहिर की थी। पंकजा ने पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की ओर इशारा करते हुए कहा था, “जो उनके अनुसार योग्य होगा उसे कैबिनेट में शामिल किया जाएगा। मैं अपने स्वाभिमान को बनाए रखते हुए अपनी राजनीति करने की कोशिश करती हूं।”

भाजपा के दिग्गज नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा को जून में हुए विधान परिषद के चुनाव में भी बीजेपी ने उम्मीदवार नहीं बनाया था। पंकजा मुंडे देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली बीजेपी-शिवसेना सरकार में कैबिनेट मंत्री थीं।

 - Satya Hindi

पंकजा मुंडे 2019 में परली विधानसभा सीट से चुनाव हार गई थीं। उन्हें उनके चचेरे भाई और एनसीपी नेता धनंजय मुंडे ने हराया था। पंकजा मुंडे राज्य में ओबीसी राजनीति का एक बड़ा चेहरा भी हैं। साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद पंकजा मुंडे के बीजेपी छोड़ने की अटकलें लगने लगी थीं। पंकजा ने बगावती तेवर दिखाए थे और ट्विटर बायो से बीजेपी शब्द हटा लिया था। लेकिन बीजेपी हाईकमान ने उन्हें मध्य प्रदेश का प्रभारी और राष्ट्रीय सचिव बनाकर मना लिया था। 

फडणवीस से है राजनीतिक लड़ाई

2014 के विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी सत्ता में आई तो दिल्ली से नरेंद्र मोदी-अमित शाह की पसंद के नाम पर देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बना दिया गया। पंकजा फडणवीस सरकार में मंत्री बनीं जबकि वह मुख्यमंत्री बनने की सियासी ख़्वाहिश रखती थीं। 

कहा जाता है कि पंकजा मुंडे ने ख़ुद के सियासी विस्तार की बहुत कोशिश की लेकिन फडणवीस ने उन्हें मंत्री पद तक ही सीमित कर दिया। महाराष्ट्र की सियासत में कहा जाता है कि फडणवीस से छत्तीस के आंकड़े के चलते ही पंकजा मुंडे बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भी नहीं बन सकी थीं।

गोपीनाथ मुंडे और एकनाथ खडसे 

बीजेपी को महाराष्ट्र में ओबीसी समाज के मतदाताओं के वोट दिलाने वाले प्रमुख नेता गोपीनाथ मुंडे और एकनाथ खडसे ही थे। इन दोनों नेताओं की बदौलत ही मराठा समुदाय के प्रभुत्व वाले महाराष्ट्र में बीजेपी को राजनीतिक ज़मीन मिली और वह शिवसेना के साथ मिलकर सत्ता तक पहुंची। गोपीनाथ मुंडे 1980 से लेकर 2009 तक विधायक रहे और महाराष्ट्र विधानसभा में नेता विपक्ष सहित कई अहम पदों पर रहे। 

एकनाथ खडसे भी महाराष्ट्र बीजेपी में बड़े क़द के नेता थे और 2014 तक विधानसभा में नेता विरोधी दल थे। 2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री पद पर उनका दावा सबसे प्रबल था। लेकिन देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने के बाद वह लगातार पिछड़ते चले गए।

एकनाथ खडसे ने साल 2020 में बीजेपी को अलविदा कह दिया था पार्टी छोड़ते वक्त उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर जमकर आरोप लगाए थे। खडसे बीजेपी छोड़कर एनसीपी में चले गए थे। 

पंकजा के बयानों से साफ पता चलता है कि वह बीजेपी नेतृत्व से नाराज हैं। लेकिन लगातार सियासी उपेक्षा की वजह से क्या वह भी बीजेपी को अलविदा कह देंगी?

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