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क्या आर्थिक दिवालियेपन की ओर बढ़ रहा है पाकिस्तान?

क्या आर्थिक दिवालियेपन की ओर बढ़ रहा है पाकिस्तान?

क्या पाकिस्तान के आर्थिक हालात इतने ख़राब हो चुके हैं कि उसके लिए फिर से खड़ा होना बेहद मुश्किल हो चुका है।

क्या हमारा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान लगातार बर्बादी की ओर बढ़ता जा रहा है। क्या पाकिस्तान के आर्थिक हालात इतने ख़राब हो चुके हैं कि उसके लिए फिर से खड़ा होना बेहद मुश्किल हो चुका है। आसमान छूती महँगाई से लोग परेशान हैं और इमरान ख़ान सरकार ने टैक्सों में बढ़ोतरी कर दी है। हालात इतने ख़राब हैं कि वहाँ के चीफ़ जस्टिस आसिफ़ सईद खोसा तक बेहद निराश हो चुके हैं।

चीफ़ जस्टिस खोसा ने कहा है कि इन दिनों पाकिस्तानियों को निराशाजनक ख़बरें ही मिल रही हैं, फिर चाहे वह क्रिकेट से मैदान से हो या देश की अर्थव्यवस्था से। बता दें कि 16 जून को विश्व कप में हुए मैच में भारतीय टीम ने पाकिस्तान को हरा दिया था।

जस्टिस खोसा ने कहा कि आजकल हम अर्थव्यवस्था के बारे में सुनते हैं कि यह आईसीयू में है या फिर आईसीयू से अभी बाहर ही आई है। जस्टिस खोसा पाकिस्तान की लगातार गिर रही अर्थव्यवस्था पर यह बात कह रहे थे। बता दें कि पाकिस्तान कर्जों के बोझ से बुरी तरह दबा हुआ है।

पैसों की कमी से जूझ रही इमरान ख़ान सरकार कोशिश कर रही है कि उसे कुछ बेलआउट पैकेज मिल जाए। आईएमएफ़ ने पाकिस्‍तान को इन ख़राब हालात से उबारने के लिए छह बिलियन डॉलर के बेलआउट पैकेज को मंजूरी दे दी है। लेकिन उसके बाद भी पड़ोसी देश के सामने चुनौतियाँ कम नहीं हैं।

कुछ ही दिन पहले पाकिस्तान को तब ख़ासी शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी जब एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) ने उसे 3.4 अरब डॉलर की मदद देने से इनकार कर दिया था। जबकि इमरान सरकार ने दावा किया था कि वह एडीबी से यह सहायता प्राप्त कर लेगी।

राजनीतिक हालात भी ख़राब बता दें कि कुछ ही दिन पहले पाकिस्तान पुलिस ने पूर्व राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी को गिरफ़्तार कर लिया था। माना जा रहा है कि पाकिस्तान की अंदरूनी सियासत के चलते यह कार्रवाई हुई है। ज़रदारी को जिस मामले में हिरासत में लिया गया है, वह मामला बेनामी लेन-देन और फ़र्जी खाते का है। ज़रदारी की गिरफ़्तारी ने पाकिस्तान के अंदर इस बहस को जन्म दे दिया है कि यह क़दम सियासत से प्रेरित है। पूरे पाकिस्तान में जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के कार्यकर्ता विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। 

पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ जेल में हैं और अब ज़रदारी को भी गिरफ़्तार कर लिया गया है। जानकारों का कहना है कि इमरान ख़ान नहीं चाहते कि देश में उनके ख़िलाफ़ मजबूत विपक्ष हो। इसीलिए वह विपक्षी नेताओं के ख़िलाफ़ कार्रवाईयाँ करवा रहे हैं।

ज़रदारी के समर्थकों का कहना है कि न तो उनके नेता को अदालत ने भगोड़ा घोषित किया है न ही उनके भाग जाने की कोई आशंका है, ऐसे में सिर्फ़ इमरान ख़ान की पार्टी की मदद करने के लिए ही उन्हें गिरफ़्तार किया गया है। नवाज़ शरीफ़ की पार्टी ने भी इमरान सरकार पर बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाया था।

जबकि इमरान सरकार का कहना है कि ज़रदारी के ख़िलाफ़ मामला दर्ज करने का फ़ैसला भ्रष्टाचार रोकने के लिए बनी संस्था नेशनल अकाउंटिबिलिटी ब्यूरो का था, इसमें सरकार का कोई हाथ नहीं है।

ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक़, अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले एक पाकिस्‍तानी रुपये की कीमत 157 रुपये तक गिर गई है। रुपये की लगातार कम होती क़ीमत से लोग ख़ासे परेशान हैं और सरकार इन हालात से निपटने में पूरी तरह विफ़ल होती दिखाई दे रही है।

सब्जियाँ-दूध सब महँगा

जैसे-जैसे पाकिस्तान में रुपया गिरता जा रहा है खाने-पीने की चीजों के दाम तेज़ी से बढ़ रहे हैं। कराची में एक लीटर दूध के लिए लोगों को 200 रुपये तक देने पड़ रहे हैं। इसके अलावा मटन 1100 रुपये किलो, सेब 400 रुपये किलो और एक किलो टमाटर 300 रुपये किलो बिक रहा है। इसी तरह बाक़ी सब्जियों और ज़रूरी चीजों के भाव भी आसमान छू रहे हैं। स्टेट बैंक ऑफ़ पाकिस्तान (एसबीपी) ने चेतावनी दी है कि यदि महँगाई पर लगाम नहीं लगाई गई तो देश के आर्थिक हालात बेक़ाबू हो जाएँगे। एसबीपी ने ब्याज दर को बढ़ाकर 12.25 प्रतिशत कर दी है और उसे उम्मीद है कि ब्याज दर बढ़ाने से महँगाई को क़ाबू में किया जा सकेगा।

महँगाई से बचने के लिए पाकिस्तान सरकार ने हाल ही में पेश किए बजट में कई नए तरह के टैक्स लगाए हैं और कई सख्त नीतियाँ बनाई हैं। ऐसे में लग रहा है कि पाकिस्तान के लोगों के लिए आने वाला समय बहुत ही मुश्किलों भरा रहने वाला है।

इमरान ने की भावुक अपील

बजट पेश होने के बाद पाकिस्तानियों से अपील करते हुए इमरान ख़ान ने कहा, सबसे ज़्यादा ख़ैरात देने वाली पाकिस्तानी कौम से हमें टैक्स इकट्ठा करना है और इसके लिए मुझे आपकी ज़रूरत है। उन्होंने भावुक होते हुए कहा, ‘खुद्दार मुल्क बनने के लिए ऐसा नहीं हो सकता है कि हम दुनिया में सबसे कम टैक्स भरें और सबके सामने हाथ फैलाएँ। मैं आपके साथ मिलकर कुर्बानी दूंगा। ये चंद महीने का समय हमारे लिए मुश्किल वक़्त है, फिर लोग यहाँ निवेश करने के लिए दौड़े हुए आएँगे।’

जियो टीवी के अनुसार, हाल ही में पाक के वित्तमंत्री असद उमर ने कहा था कि देश का मूल्य ऋण इतनी खतरनाक ऊंचाई पर चला गया है कि मुल्क कभी भी दिवालिया हो सकता है। उमर ने कहा था कि हमें अर्थव्यवस्था और कर्ज के भारी अंतर को कम करना होगा।

कहा जाता है कि पाकिस्तान में सरकार से बड़ी ताक़त फ़ौज़ है और उसका पूरा समर्थन इमरान ख़ान के साथ है। लेकिन सवाल यह है कि अगर इमरान ख़ान से अर्थव्यवस्था की हालत नहीं संभली तो वह लोगों को क्या जवाब देंगे। सवाल यह भी है कि इतने ख़राब हालातों के बीच आख़िर इमरान ख़ान ‘नया पाकिस्तान’ बनाने का अपना वादा कैसे पूरा कर पाएँगे। बता दें कि चुनाव के दौरान उन्होंने जनता से बड़े-बड़े वादे किए थे और मुल्क के हालात बेहतर करने का वादा किया था। चुनाव के दौरान उनके वादों पर ही लोगों ने उन्हें वोट दिए थे लेकिन अब हालात इतने ख़राब हो चुके हैं कि लोगों का धैर्य टूटता जा रहा है।

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