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पाकिस्तान: क्या अगले वज़ीर-ए-आज़म होंगे शहबाज़ शरीफ?

पाकिस्तान: क्या अगले वज़ीर-ए-आज़म होंगे शहबाज़ शरीफ?

पाकिस्तान में चारों ओर यही सवाल पूछा जा रहा है कि क्या इमरान ख़ान अपनी हुकूमत को बचा पाएंगे और उनके बाद क्या नेशनल एसेंबली में विपक्ष के नेता शहबाज़ शरीफ हुकूमत संभालेंगे। 

पाकिस्तान में लगता है कि इमरान ख़ान की हुकूमत की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। विपक्षी दलों के गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट यानी पीडीएम की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को लेकर इमरान ख़ान की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। अविश्वास प्रस्ताव पर 28 मार्च को वोटिंग हो सकती है। लेकिन उससे पहले एक सवाल पाकिस्तान की सियासत में खड़ा हो गया है कि क्या शहबाज़ शरीफ मुल्क़ के अगले वज़ीर-ए-आज़म होंगे?

शहबाज़ शरीफ के मुल्क़ का अगला वज़ीर-ए-आज़म बनने की चर्चा इसलिए भी सामने आई है क्योंकि पीएमएल (एन) ने उन्हें वज़ीर-ए-आज़म के पद के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है।

कौन हैं शहबाज़ शरीफ?

शहबाज़ शरीफ पाकिस्तान के पूर्व वज़ीर-ए-आज़म नवाज़ शरीफ के छोटे भाई हैं। वर्तमान में वह पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली में विपक्ष के नेता हैं और पंजाब सूबे के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। शहबाज़ शरीफ पाकिस्तान मुसलिम लीग नवाज के अध्यक्ष हैं और चार दशक से पाकिस्तान की सियासत के बड़े चेहरे हैं।

1947 में बने इस मुल्क़ की यह बदकिस्मती ही रही है कि यहां की हुकूमत में रहने के लिए फौज़ का हाथ सिर पर होना जरूरी है। पाकिस्तान में कई फौज़ी हुक्मरानों ने लंबे वक्त तक सत्ता संभाली है और इमरान ख़ान जब मुल्क़ के वज़ीर-ए-आज़म बने तो यही कहा गया था कि फौज़ ने उन्हें इस ओहदे पर बैठाया है।

फौज़ ने हाथ हटाया

पाकिस्तानी मीडिया की ख़बरों के मुताबिक़, पाकिस्तानी फौज़ के चीफ़ क़मर जावेद बाजवा ने इमरान ख़ान से इस्तीफा देने के लिए कहा है। इमरान ख़ान को हटाने का यह फैसला जनरल बाजवा और फौज़ के तीन सीनियर लेफ्टिनेंट जनरल की बैठक में लिया गया है। इस बीच, बाजवा और आईएसआई चीफ़ नदीम अंजुम की इमरान ख़ान से मुलाकात भी हुई है।

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शहबाज़ शरीफ ने कुछ दिन पहले कहा है कि पाकिस्तानी सेना मुल्क़़ के अंदर चल रहे सियासी संकट में किसी का पक्ष नहीं ले रही है। इससे भी पता चलता है कि शहबाज़ शरीफ को पाकिस्तानी फौज़ का इशारा मिल चुका है।

नवाज़ शरीफ पाकिस्तान की सियासत के कद्दावर नेता हैं और इलाज के नाम पर बीते कुछ सालों से मुल्क़ से बाहर हैं। लेकिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वह पीडीएम की रैलियों को खिताब करते रहे हैं और उनके अप्रैल में मुल्क़ में वापस आने की चर्चा शुरू हो गई है। 

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इमरान की मुश्किलें

इमरान ख़ान नए पाकिस्तान का वादा कर हुकूमत में आए थे और उन्होंने मुल्क़ के बाकी नेताओं को भ्रष्टाचारी बताकर उन पर संगीन आरोप लगाए थे। लेकिन इमरान के हुकूमत में आने के बाद पाकिस्तान में महंगाई बेतहाशा बढ़ गई और कोरोना के कारण इमरान की मुसीबतों में जबरदस्त इजाफा हो गया। कुछ दिन पहले इमरान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ़ यानी पीटीआई के 24 सांसदों ने बग़ावत की है और इसे लेकर पूरे मुल्क़ में पीटीआई के कारकून एहतेजाज कर रहे हैं।

बचेगी सरकार?

पाकिस्तानी फौज़ का हाथ सिर के ऊपर से हटने और पीटीआई के सांसदों की बगावत के बाद इमरान के लिए हुकूमत में बने रहना बेहद मुश्किल हो गया है। इमरान इन दिनों मुल्क़ के मुख़्तलिफ़ इलाक़ों में जाकर जलसे कर रहे हैं और बग़ावत करने वाले सांसदों पर हमला बोल रहे हैं। 

लेकिन सवाल यही है कि क्या इमरान अपनी हुकूमत को बचा पाएंगे।

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