अविश्वास प्रस्ताव से पहले इस्तीफा देने से इनकार करते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि 'आखिरी गेंद तक लड़ता हूँ, कभी हार नहीं मानी।' उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी सरकार के ख़िलाफ़ विदेशी साज़िश चल रही है। इमरान ने कहा कि देश के अंदर दुश्मन भी हैं जो उनके साथ सहयोग कर रहे हैं।
अपने देश के नाम संबोधन की शुरुआत में ही इमरान ने संकेत दे दिया था कि वह इस्तीफ़ा नहीं देंगे। उन्होंने अपने संबोधन में कहा है कि वह हमेशा कहते रहे हैं कि वह किसी के सामने झुकेंगे नहीं। इमरान ने कहा, 'हमें चींटियों की तरह क्यों रेंगना चाहिए? अपने लोगों को किसी के आगे झुकने नहीं देंगे'। प्रमुख विपक्षी दल अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले ही उनके इस्तीफ़े की मांग इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उनकी सरकार अल्पमत में आ गई लगती है। उनके कई सहयोगी दलों ने अपना समर्थन वापस ले लिया है।
इमरान ने गुरुवार को कहा कि देश अपने इतिहास में एक निर्णायक क्षण में पहुँच गया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने पाकिस्तान के उतार-चढ़ाव देखे हैं। उन्होंने आगे कहा, 'एक बच्चे के तौर पर मैंने पाकिस्तान को शीर्ष पर जाते देखा है। दक्षिण कोरिया यह जानने के लिए पाकिस्तान आया था कि हम कैसे आगे बढ़े, मलेशियाई राजकुमार मेरे साथ स्कूल में पढ़ते थे। मध्य पूर्व हमारे विश्वविद्यालयों में आया करता था। मैंने यह सब डूबते देखा है, अपने देश का अपमान होते देखा है।'
अपनी हुकूमत को बचाने की पुरजोर कोशिशों में जुटे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अविश्वास प्रस्ताव से पहले अपने देश को संबोधित किया। हालाँकि, उनका यह संबोधन स्थानीय समय के अनुसार 7:15 बजे (भारत के समय के अनुसार 7:45 पर) होना था, लेकिन उनकी एक बैठक होने के कारण संबोधन में देरी हुई। अपने संबोधन में उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वह हमेशा पाकिस्तान की स्वतंत्र विदेश नीति चाहते हैं।
उन्होंने कहा, 'हमें कुछ विदेशी देशों से संदेश मिल रहे हैं। वे कहते हैं कि अगर इमरान खान जाते हैं तो वे पाकिस्तान को माफ कर देंगे।' साजिश का ज़िक्र करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसे संदेश हैं कि 'अगर वे मुझे बाहर करने में विफल रहते हैं, तो पाकिस्तान को मुश्किल परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा'।
पाक पीएम ने कहा,
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तीन कठपुतली यहाँ बैठे हैं और विदेशी ताक़तों के साथ काम कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि इमरान खान को बाहर कर दिया जाए और वे चाहते हैं कि यह व्यक्ति यह जगह ले और तब सब कुछ ठीक हो जाएगा।
इमरान ख़ान
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के संबोधन से पहले पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली में विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर बहस नहीं हो पाई। सदन को रविवार सुबह तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। रविवार को ही अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होगी। इससे पहले इमरान खान ने नेशनल सिक्योरिटी कमेटी की बैठक बुलाई और इसमें तमाम महकमों के आला अफसर मौजूद रहे।
दुनिया के तमाम मुल्कों की नजरें इस बात पर लगी हैं कि पाकिस्तान में सियासी तसवीर क्या बनती है। इमरान को बुधवार को अवाम को खिताब करना था लेकिन पाकिस्तानी फौज के मुखिया क़मर जावेद बाजवा और आईएसआई के चीफ़ नदीम अंजुम से मुलाकात के बाद उन्होंने मुल्क को खिताब करने का फ़ैसला टाल दिया।
कुछ दिन पहले यह ख़बर आई थी कि बाजवा ने इमरान को हुकूमत से हट जाने के लिए कहा लेकिन इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ यानी पीटीआई ने इस तरह की ख़बरों को खारिज कर दिया था।
बुधवार को इमरान को बड़ा झटका तब लगा था जब पीटीआई के सहयोगी दल मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान ने उसका साथ छोड़ दिया था। विपक्षी दलों के गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट यानी पीडीएम ने इमरान को हुकूमत से हटाने के लिए पूरा जोर लगाया हुआ है और पाकिस्तान मुसलिम लीग (नवाज़) के नेता शहबाज़ शरीफ को वज़ीर-ए-आज़म पद के लिए उम्मीदवार घोषित किया है।
यह साफ दिखाई दे रहा है कि इमरान नंबर गेम में बुरी तरह पिछड़ गए हैं और उनकी हुकूमत का जाना अब तय है।
इस बीच पाकिस्तान में एक खत को लेकर सियासत जोरों पर है। इमरान खान ने कहा है कि उनकी हुकूमत को गिराने के लिए विदेशी ताकतें साजिश कर रही हैं। उन्होंने इस्लामाबाद की रैली में यह खत दिखाते हुए कहा था कि उनके पास उनकी हुकूमत को गिराने के लिए हो रही अंतरराष्ट्रीय साजिश के सुबूत हैं।
172 सांसद चाहिए
पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली में 342 सांसद हैं। इनमें पीटीआई के पास 155 सांसद हैं। एमक्यूएम पाकिस्तान के पास सात, पीएमएल (क्यू) के पास पांच, बीएपी के पास पांच, ग्रैंड डेमोक्रेटिक एलाइंस (जीडीए) के पास तीन और अवामी मुसलिम लीग (पाकिस्तान) के पास एक सांसद है। इमरान अब तक इन दलों के समर्थन से अपनी हुकूमत चला रहे थे। हुकूमत चलाने के लिए 172 सांसदों की जरूरत है।
जबकि विपक्षी दलों पीएमएल (एन) के पास 84, पाकिस्तान पीपल्स पार्टी यानी पीपीपी के पास 56, मुत्ताहिदा मजलिस ए अमल (एमएमए) के पास 15, बलूचिस्तान नेशनल पार्टी (मेंगल) के पास चार, आवामी नेशनल पार्टी के पास एक और एक निर्दलीय सांसद हैं।
यह पूरी तरह साफ है कि अब कोई बड़ा उलटफेर ही इमरान की हुकूमत को बचा सकता है।