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अल्पसंख्यक उत्पीड़न के लिए बदनाम पाक में हिंदू के समर्थन में प्रदर्शन क्यों?

अल्पसंख्यक उत्पीड़न के लिए बदनाम पाक में हिंदू के समर्थन में प्रदर्शन क्यों?

अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न, धर्मांतरण और हिंसा के लिए बदनाम रहे पाकिस्तान में एक हिंदू लड़की का शव मिलने पर अब पूरा कराची शहर समर्थन में आ गया। न्याय दिलाने की माँग उठी। हज़ारों लोग जुटे। कैंडल मार्च निकला

अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न, धर्मांतरण और हिंसा के लिए बदनाम रहे पाकिस्तान में एक हिंदू लड़की का शव मिलने पर अब पूरा कराची शहर समर्थन में आ गया। न्याय दिलाने की माँग उठी। हज़ारों लोग जुटे। कैंडल मार्च निकला और एक आवाज़ में 'हत्यारों' को गिरफ़्तार करने की माँग की गई। लड़की अल्पसंख्यक समुदाय से थी लेकिन साथ था पूरा बहुसंख्यक समाज भी। भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में एक अल्पसंख्यक के लिए बहुसंख्यक नागरिक समाज की इस प्रतिक्रिया का क्या संदेश है?  

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ घृणा अपराध के मामले तो कई आते रहे हैं लेकिन सबसे ज़्यादा जो सुर्खियाँ बनती हैं वे हैं जबरन धर्मांतरण की। एक स्थानीय मानवाधिकार ग्रुप साउथ एशिया पार्टनरशिप-पाकिस्तान के अनुसार पाकिस्तान में प्रत्येक साल क़रीब एक हज़ार लड़कियों को जबरन धर्म परिवर्तन कराकर मुसलिम बनाते हैं। इसमें से अधिकतर हिंदू लड़कियाँ होती हैं। पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के अनुसार ऐसी पीड़ा से छुटकारा पाने के लिए क़रीब 5000 पाकिस्तानी हिंदू प्रत्येक साल देश छोड़कर भारत चले आते हैं। 

ऐसी स्थिति में एक हिंदू परिवार के साथ पूरे कराची का आ जाना सामान्य घटना नहीं है। यह घटना लिंचिंग जैसी नहीं है। दरअसल, पाकिस्तान के सिंध में निमेर्ता चंदानी का अपने हॉस्टल में शव मिलने का है। निमेर्ता के भाई डॉ. विशाल ने संदिग्ध परिस्थिति का हवाला देकर आरोप लगाया कि उसकी हत्या की गई है। शुरुआती पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी ऐसा लगता है कि यह आत्महत्या नहीं, बल्कि हत्या का मामला है। हत्या का आरोप लगाते हुए ही विशाल ने कहा कि हम अल्पसंख्यक हैं इसलिए हमारा साथ दें। तब यह बात चली कि यह कथित तौर पर घृणा हत्या का मामला है। इसके साथ ही पूरे पाकिस्तान में इस घटना की निंदा की गई और निमेर्ता के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए प्रदर्शन हुए। बता दें कि इस मामले में रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है और इसकी जाँच की जा रही है। 

कराची में तो बहुत बड़ा प्रदर्शन हुआ। पूरा नागरिक समाज साथ आ गया। उन्होंने प्रदर्शन किया और कैंडल लाइट मार्च निकाला। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शन में शामिल एक व्यक्ति ने कहा कि हम निमेर्ता के परिवार के साथ हैं, इस हत्या की घोर निंदा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम हमारे हिंदू अल्पसंख्यकों के साथ हर पल साथ हैं और उनके दुख में शामिल हैं। 

कराची और पाकिस्तान के कई अन्य जगहों पर प्रदर्शन के बाद यह ख़बर दुनिया भर में छाई। हर तरफ़ से यही माँग उठी कि इस मामले में न्याय मिलना चाहिए और दोषियों को सज़ा मिलनी चाहिए। पाकिस्तान में ट्विटर पर जस्टिसफॉरनिमेर्ता हैशटैग ट्रेंड किया। 

क्रिकेटर शोएब अख्तर ने भी निमेर्ता को न्याय दिलाने की माँग की। उन्होंने ट्वीट किया, 'संदिग्ध हालत में युवा और मासूम लड़की निमेर्ता की मौत से बेहद दुखी हूँ और मुझे आघात लगा है। उम्मीद है कि न्याय होगा और दोषियों को ढूंढ लिया जाएगा। मेरा दिल हर पाकिस्तानी के लिए धड़कता है चाहे वह किसी धर्म का क्यों न हो।...' एक वकील एम. जिब्रान नासिर ने कराची में प्रदर्शन की तसवीरें पोस्ट कर ट्वीट किया है कि निमेर्ता को न्याय मिलना चाहिए।

सामाजिक कार्यकर्ता वक़ार ज़ाका ने लिखा है, 'मुझे बहुत दुख है निमेर्ता और मैं उम्मीद करता हूँ कि सरकार इस पर गंभीर और आधिकारिक कार्रवाई करेगी जैसा कि उसने दावा किया है। निमेर्ता के लिए न्याय।'

पाकिस्तान की जानी मानी पत्रकार नायला इनायत भी निमेर्ता के मामले को उठा रही हैं। उन्होंने इस मामले में कई ट्वीट किए। एक ट्वीट में उन्होंने उस वीडियो को भी शेयर किया है जिसमें निमेर्ता के भाई विशाल निमेर्ता के शरीर पर चोट के निशान बताते हुए हत्या का आरोप लगाते हैं और लोगों से समर्थन की अपील करते हैं। 

पाकिस्तान में किसी अल्पसंख्यक के ख़िलाफ़ हिंसा पर जब तब पाकिस्तान के सामाजिक कार्यकर्ता बोलते रहे हैं, लेकिन ऐसे मामले छिटपुट ही रहे हैं। निमेर्ता के मामले में जिस तरह से एक सुर में नागरिक समाज ने आवाज़ उठाई है, यह अप्रत्याशित है। पहले भी हिंदू, ईसाई जैसे अल्पसंख्यकों के धर्मांतरण और हिंसा की दूसरी घटनाएँ भी आती रही हैं, लेकिन इतने बड़े स्तर पर विरोध-प्रदर्शन नहीं हुआ। भारत में पड़ोसी मुल्क में क्या यह बदलाव का संदेश है?

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