पाक ने दी थीं करगिल युद्ध के हीरो नचिकेता को अमानवीय यातनाएँ
भारतीय वायुसेना के पायलट विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान के पाकिस्तान में क़ब्ज़े में होने की ख़बर ने 1999 के कारगिल वार हीरो नचिकेता की यादें ताज़ा करा दीं। 27 मई 1999 में करगिल युद्ध के समय फ़्लाइट लेफ़्टिनेंट के. नचिकेता मिग-27 लड़ाकू विमान से पाकिस्तान की सेना के घुसपैठियों पर बमबारी कर रहे थे। तभी पाकिस्तानी सेना के घात लगाकर किये गये हमले में उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
नचिकेता ने 18000 फ़ीट की ऊँचाई पर ख़ुद को इजेक्ट कर लिया था और वह विमान पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में गिर गया था। तब वह विमान से सुरक्षित बाहर निकलने में सफल रहे, लेकिन उन्हें पाकिस्तानी सैनिकों ने पकड़ लिया था।
तब भारत ने एक दूसरे पायलट स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा को खो दिया था। आहूजा नचिकेता को ढूंढने के लिए पीछे-पीछे गये थे। रिपोर्टों के मुताबिक़, आहूजा ने तब फ़्लाइट लेफ़्टिनेंट नचिकेता को फ़्लाइट से इजेक्ट करते हुये देखा था। उसी दौरान आहूजा को पाकिस्तानी मिसाइल ने निशाना बनाया। उस हमले में आहूजा शहीद हो गये। 26 वर्षीय फ़्लाइट लेफ़्टिनेंट नचिकेता को पाकिस्तानी सेना ने 27 मई 1999 ग़िरफ़्तार कर लिया था। कारगिल वार के दौरान नचिकेता इकलौते युद्धबंदी थे।
भारत ने नचिकेता की रिहाई के लिए पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ाया। अंतरराष्ट्रीय दबाव में पाकिस्तान ने उसी साल 3 जून को नचिकेता को रेड क्रॉस के हवाले कर दिया। फिर भारतीय अधिकारी ने 4 जून को उन्हें वाघा बॉर्डर के रास्ते वापस भारत लेकर आए थे।
क्यों दी थी प्रताड़ना
उस दौरान नचिकेता को काफ़ी प्रताड़ित किया गया था। वायुसेना के अहम ठिकानों की जानकारी निकालने के लिए पाकिस्तानी सेना ने उनके साथ बदसलूकी और अमानवीयता की थी। हालाँकि, अभिनंदन के मामले में अब तक ऐसा किया गया नहीं लगता है। जैसा कि अभिनंदन का वीडियो सोशल मीडिया पर चल रहा है, उसमें वह कहते सुने जा सकते हैं कि उनके साथ पाकिस्तान ने अच्छा व्यवहार किया है। हालाँकि, इस वीडियो के आधार पर अभिनंदन के साथ पाक सेना के व्यवहार को लेकर किसी नतीजे पर इतनी जल्दी नहीं पहुँचा जा सकता है।
‘तब लगा था मौत का रास्ता आसान होता होगा’
वायुसेना में अब ग्रुप कैप्टन के. नचिकेता ने पाकिस्तानी सेना द्वारा की गयी प्रताड़ना का ज़िक्र उन्होंने 2016 में हिंदुस्तान टाइम्स के साथ एक इंटरव्यू में किया था। उन्होंने कहा था, ‘यह काफ़ी मुश्किल था। मैं उन लम्लों को शब्दों में नहीं बता सकता। तब मुझे लगता था कि मौत आसान रास्ता होता होगा। लेकिन मैं ईश्वर का शुक्रगुज़ार हूँ कि नियति मेरे साथ थी। मेरे साथ तीन-चार दिनों तक बहुत ही मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना की गयी।’
नचिकेता सुरक्षित लौट तो गये थे लेकिन उनके घाव भरने में वर्षों लग गये। उन्हें तीन साल तक विमान उड़ाने की इजाज़त नहीं दी गयी थी क्योंकि मिग-27 से इजेक्ट करने के कारण उनकी हड्डियों में फ्रैक्चर हुआ था। 2000 में नचिकेता को वायु सेना मेडल से सम्मानित किया गया था।
अब सवाल उठता है कि क्या नचिकेता की तरह अभिनंदन को भी वापस लाना आसान होगा जानकारों के मुताबिक़ विंग कमांडर अभिनंदन के प्रत्यर्पण का मामला भी जिनेवा कन्वेंशन के दायरे में आएगा। ग़ौरतलब है कि युद्ध के दौरान असैन्य नागरिकों के जानमाल की रक्षा और घायल सैनिकों के मानवाधिकारों की हिफाज़त के लिये जिनेवा कन्वेंशन हुई थी। अभिनंदन को देश वापस लाने की संभावना इस बात पर निर्भर करेगी कि अंतरराष्ट्रीय दबाव कितना बनता है, इस दबाव के आगे पाकिस्तान कितना झुकता है और भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता है या घटता है