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पकौड़ा सुपर पावर बनाम अंडा इकॉनमी

पकौड़ा सुपर पावर बनाम अंडा इकॉनमी

इमरान खान के प्रधानमंत्री बनते ही भारत और पाकिस्तान में  एक नई जंग भी छिड़ गई है। एक ऐसी जंग जो 1947  के बाद से अब तक नहीं हुई थी। ये जंग है, मौलिक विचारों की, ये जंग है, हंड्रेड परसेंट ऑरिजनल आइडियाज़ की। ये जंग है, पकौड़े और अंडों की!

इमरान खान के प्रधानमंत्री बनते ही भारत और पाकिस्तान में  एक नई जंग भी छिड़ गई है। एक ऐसी जंग जो 1947  के बाद से अब तक नहीं हुई थी। ये जंग है, मौलिक विचारों की, ये जंग है, हंड्रेड परसेंट ऑरिजनल आइडियाज़ की। ये जंग है, पकौड़े और अंडों की। 2014 के बाद भारत में जो नई क्रांति हुई है, उसके बाद पूरी दुनिया हमसे जलने लगी।  हम हिंदुस्तानियों के मन में भी गुरूर आ गया।  हम पड़ोसी मुल्कों को हिकारत की नज़र से देखने लगे। हम जैसे आम भारतीय अक्सर पाकिस्तानियों से सवाल करते थे—  मेरे पास नोटबंदी है, दुनिया की सबसे शानदार जीएसटी है, जियो जैसी वर्ल्ड क्लास यूनिवर्सिटी है, पकौड़ा रोजगार योजना है, तुम्हारे पास क्या है पाकिस्तानी चुप हो जाते थे।लेकिन अब सरहद के उस पार से जवाब आ गया है। यह जवाब किसी और ने नहीं बल्कि खुद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान  ने दिया है। इमरान साहब ने फरमाया है— मेरे पास अंडा है। इमरान ने जिस समय पाकिस्तान की बागडोर संभाली, मुल्क की इकॉनमी अंडा बन चुकी थी। वही शून्य जिसकी खोज महान आर्यावर्त में हुई थी। कर्ज देने वाले मुंह मोड़ रहे थे, दुनिया हंस रही थी, अमेरिका ड्रोन पर ड्रोन दाग रहा था। इमरान सब्र के साथ इकॉनमी का अंडा सेते रहे। लेकिन विकास नहीं निकला। हर तरफ से निराश होने के बाद उन्होने मोदीजी को याद किया, उनसे प्रेरणा लेकर दिमाग की बत्ती जलाई और नतीजे में सामने आई पकौड़ा रोजगार योजना को टक्कर देती हुई एक स्कीम। 

आप इसे `इमरान अंडा योजना’ कह सकते हैं। इमरान ने कहा— इकॉनमी अंडा हो गई तो क्या हुआ, इस मुल्क की मुर्गियां जब तक जिंदा है, आवाम भूखों नहीं मरेगी। .. और इस तरह इमरान अहमद खान नियाजी साहब ने गांवों में मुर्गियां बंटवाने की स्कीम शुरू करवा दी।

 - Satya Hindi

गांव की औरतों से कहा गया कि खूब मुर्गे-मुर्गियां पालो। जब मुर्गियां होंगी तो अंडे होंगे, जब अंडे होंगे तो और मुर्गियां होंगी और इस तरह पाकिस्तान देखते-देखते एक खुदमुख्तार मुल्क हो जाएगा। मुर्गे और अंडे इंशा-अल्लाह इतने होंगे कि हम दुनिया के पॉल्ट्री किंग कहलाएंगे।  खान साहब ने कहा- बस मुर्गे-मुर्गियां ले आओ। उन्हे टीका लगाकर सेहतमंद रखने की जिम्मेदारी सरकार उठाएगी। पाकिस्तान में खानदानी मंसूबेबंदी यानी यानी परिवार नियोजन का कार्यक्रम लागू है। लेकिन जब बात मुर्गे-मुर्गियों की आई तो इमरान ने कहा—खानदानी मंसूबेबंदी भूल जाओ। कौम की भलाई चाहते हो ज्यादा से ज्यादा अंडे और मुर्गे पैदा करो। मुर्गियां बचेगी तभी कौम बचेगा। तो इस तरह पाकिस्तान निकल पड़ा इमरान की अगुवाई में मुर्गिस्तान बनने की राह पर। पाकिस्तानी खुशी से नाचने लगे। उन्होने पड़ोसी मुल्क को मुंह चिढ़ाया—  देख लो हिंदुस्तानियों हमारे पीएम के पास भी है विजन। लेकिन अच्छी बातों का मजाक उड़ाने वाले दुनिया के हर कोने में होते हैं। पाकिस्तान में भी हैं। सोशल मीडिया पर कई लोगो ने इमरान को ट्रोल करना शुरू कर दिया। एक भाई ने गुजारिश की— `पीएम साहब मेरे पास एक मुर्गा है, लेकिन अंडे नहीं देता है। इसे प्लीज इंजेक्शन लगवा दीजिये ताकि मेरा घर भी चूज़ों से गुलज़ार हो और पाकिस्तान इकॉनमिक सुपर पावर बन सके’। मुर्गियां जिस रफ्तार से अंडे दे रही हैं, पाकिस्तानी उसी रफ्तार से अपने पीएम को चिढ़ाने के लिए ट्वीट भी कर रहे हैं।जो लोग कौम की खिदमत में रात दिन लगे रहते हैं, वे इमोशनल भी होते हैं। मोदीजी ने भावुक होकर देश की खातिर घर छोड़ दिया था। इमरान ने भावुक होकर  चार शादियां कर लीं। अपने-अपने रास्ते हैं लेकिन मंजिल एक है।  मोदी अक्सर भावुक होकर रीयेक्ट करते हैं। फिर इमरान क्यों ना करें। उन्होने बिल गेट्स का एक पुराना ट्वीट निकालकर आलोचकों के मुंह पर दे मारा है। बिल गेट्स फांउडेशन ने अफ्रीका के कुछ देशों में गरीबों के लिए स्वरोजगार योजना के तहत मुर्गियां बंटवाई थीं।ऑक्सफोर्ड में पढ़े इमरान ने बेहद जज्बाती होकर पूछा है— मेरे जैसा कोई देसी आदमी आइडिया दे तो उसका मजाक और कोई विलायती कहे तो वाह-वाह। ये कैसा इंसाफ हैसुना है कि इमरान के इस इमोशनल बयान के बाद पाकिस्तान के मुर्गे ओवर टाइम करने लगे हैं और मुर्गियों ने प्रोडक्शन 20 परसेंट बढ़ा दिया है।  जब सवाल कौम की इज्ज़त का हो तो सबको एकजुट हो जाना चाहिए। कुल मिलाकर इमरान ने यह बताने की कोशिश की है कि ऑरिजनल आइडियाज़ पर भारत अपनी मोनोपॉली ना समझे। दिमाग़ हम भी रखते हैं। लेकिन यह सुनकर भारत के लोग पेट पकड़कर  हंस रहे हैं। मुर्गी और अंडे पर इतना इतरा रहे हैं, इमरान साहब अपने यहां तो आइडियाज़ की भरमार है। नोटबंदी छोड़ दीजिये, नाली से कुकिंग गैस, प्लास्टिक सर्जरी से सिर जोड़ने की टेक्नोलॉजी, गाय से ऑक्सीजन सप्लाई और नैनो चिप वाले नोट। आपके आइडिया जहां से खत्म होते हैं, हम वहां से सोचना शुरू करते हैं। मोदीजी की बराबरी करने का ख्याल मन से निकाल दीजिये, अगर सचमुच कुछ सीखना चाहते हैं तो पहले त्रिपुरा के जीनियस बिप्लव देब की शार्गिदी में आइए।

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