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भारत से 3 युद्धों में सीख मिली, गंभीर बातचीत हो: पाक पीएम

भारत से 3 युद्धों में सीख मिली, गंभीर बातचीत हो: पाक पीएम

क्या भारत और पाकिस्तान के बीच शांति की कोई उम्मीद है? क्या दोनों देशों के बीच बातचीत के लिए स्थितियाँ बन रही हैं? आख़िर पाक पीएम ने क्यों कहा कि भारत के पीएम के साथ वार्ता चाहते हैं?

युद्ध का नतीजा क्या हो सकता है? सिर्फ़ तबाही? यह बात पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को समझ आ गई है और यह बात वह खुद स्वीकार करते हैं। उन्होंने कहा है कि भारत के साथ तीन युद्ध से पाकिस्तान ने सबक लिया है। उन्होंने कहा कि उन युद्धों से बर्बादी, बेरोजगारी और गरीबी आई। तो क्या वह सीधे भारतीय प्रधानमंत्री को संदेश दे रहे हैं कि आइए, टेबल पर बैठकर विवाद के सभी मुद्दों का हल निकालते हैं? आख़िर वह चाहते क्या हैं?

पाकिस्तान के पीएम का यह बयान दुबई स्थित अल-अरबिया समाचार चैनल के साथ एक साक्षात्कार में आया है। उनसे पड़ोसी देश भारत के साथ रिश्तों को लेकर सवाल पूछा गया था। सहबाज संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई की यात्रा पर गए हैं। समझा जाता है कि पाकिस्तान को यूएई से आर्थिक सहायता की उम्मीद है। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और हाल में तो वहाँ आटे का जबरदस्त संकट पैदा हो गया है। 

हालात ये हैं कि मुल्क भर में आटे की कमी हो गई है और सब्सिडी वाले आटे के लिए लोग आपस में लड़ रहे हैं। कई जगहों पर भगदड़ वाले हालात हैं। भगदड़ वाले हालात खैबर पख्तूनख्वा, सिंध और बलूचिस्तान प्रांत में कई जगहों पर देखने को मिले हैं। सब्सिडी वाले आटे को लेने के लिए मची भगदड़ में एक शख्स की मौत भी हो चुकी है। 

ऐसे हालात के बीच ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 'कश्मीर सहित ज्वलंत मुद्दों' पर 'गंभीर और ईमानदार' बातचीत का आह्वान किया है।

अल-अरबिया चैनल के साथ साक्षात्कार में शहबाज़ ने कहा, "भारत एक बहुत ही भाईचारे वाला देश है, और हमने हमेशा भाईचारे के रिश्ते साझा किए हैं और यह अद्वितीय है। भारत के साथ हमारे तीन युद्ध हुए और उन युद्धों का परिणाम अधिक दुख, बेरोजगारी और गरीबी थी। पाकिस्तान ने अपना सबक सीख लिया है। हम भारत के साथ शांति से रहना चाहते हैं बशर्ते हम अपनी समस्याओं का समाधान करने में सक्षम हों।' उनकी पार्टी पीएमएलएन ने अल अरबिया चैनल के उस इंटरव्यू को ट्वीट किया है। 

इस वीडियो में शहबाज शरीफ यह कहते सुने जा सकते हैं, 'यह हमारे ऊपर है कि हम शांति से रहें और प्रगति करें या एक-दूसरे से झगड़ा करें, और समय और संसाधनों को बर्बाद करें। हम गरीबी को कम करना चाहते हैं, समृद्धि हासिल करना चाहते हैं और अपने लोगों को शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाएं और रोजगार देना चाहते हैं। बम और गोला-बारूद पर अपने संसाधनों को बर्बाद नहीं करना चाहते हैं, यही संदेश मैं पीएम मोदी को देना चाहता हूं।'

शहबाज शरीफ इस इंटरव्यू में यह भी सुझाव देते हैं कि संयुक्त अरब अमीरात का नेतृत्व भारत और पाकिस्तान को बातचीत की मेज पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

उन्होंने कहा, 'भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को मेरा संदेश है- आइए बैठें, बात करें और हमारे सभी मुद्दों को मेज पर लाएं और इसके लिए कश्मीर जैसे ज्वलंत मुद्दे का समाधान खोजें।'

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भारत के जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने का राग भी अलापते हैं। उन्होंने फिर से आरोप लगाया कि भारत में अल्पसंख्यकों का 'उत्पीड़न' किया जा रहा है। लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा, 'हम बातचीत और शांति के लिए तैयार हैं।'

बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच आज़ादी के बाद से ही रिश्ते ख़राब रहे हैं और युद्ध भी हो चुके हैं, लेकिन हाल में दोनों देशों के बीच 2019 से फिर से तनाव बढ़ गया है, जब एक आत्मघाती हमलावर ने भारतीय कश्मीर में 40 भारतीय अर्धसैनिक बलों को मार डाला था। तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने 1971 के बाद से पाकिस्तानी धरती पर भारत के पहले हवाई हमलों को अंजाम दिया था। भारत पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने और वहाँ की जमीन का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए करने देने पर नाराज़गी जताता रहा है।

भारत के इन आरोपों के जवाब में जब तब पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को उठाता रहा है और उसके समाधान की बात कहता है। हालाँकि भारत साफ़ तौर पर कहता रहा है कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और इस पर कोई विवाद नहीं है। 

हालाँकि, इसके बाद भी दोनों देशों के बीच बातचीत की कोशिश होती रही है। भारत और पाकिस्तान के बीच जब 2019 वाले हालात 2021 में बदले थे तो उसके बाद से ही यह उम्मीद की जा रही है कि दोनों देशों के रिश्ते अब बेहतर हो सकते हैं। उस दौरान ऐसी खबरें भी आई थीं कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ की किसी दूसरे देश में मुलाकात हुई थी। हालाँकि इस ख़बर की पुष्टि नहीं हो पाई थी। तब वहाँ इमरान ख़ान की सरकार थी। हालाँकि शहबाज शरीफ की सरकार में भी शांति की उम्मीद जताई गई। पिछले साल अप्रैल में भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री चुने गए शहबाज़ शरीफ को बधाई संदेश में कहा था कि भारत इलाके में शांति और स्थिरता चाहता है जिससे हम विकास के रास्ते में आने वाली चुनौतियों पर फोकस कर सकें और अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित कर सकें। तो सवाल वही है कि क्या दोनों देशों के बीच शांति बहाली की प्रक्रिया अब शुरू हो सकती है?

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