जम्मू-कश्मीर: गुपकार गठबंधन मिलकर लड़ेगा विधानसभा चुनाव
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की आहट शुरू हो चुकी है और गुपकार गठबंधन ने कहा है कि वह विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ेगा। माना जा रहा है कि इस साल के अंत या अगले साल की शुरुआत में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा के चुनाव हो सकते हैं।
विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ने का यह फैसला पूर्व मुख्यमंत्री और गुपकार गठबंधन के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और गठबंधन की उपाध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने लिया है।
हालांकि इससे पहले भी उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने संकेत दिए थे कि गठबंधन में शामिल दल मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं और अब इस पर मुहर लग गई है। इससे पहले इन दलों ने डीडीसी का चुनाव भी मिलकर लड़ा था।
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद कुछ विपक्षी दलों ने मिलकर पीपल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन यानी गुपकार गठबंधन बनाया था। इसमें पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), नेशनल कॉन्फ्रेन्स, जम्मू-कश्मीर पीपल्स कॉन्फ्रेन्स, आवामी नेशनल कॉन्फ्रेन्स और सीपीआईएम शामिल थे। लेकिन अब जम्मू-कश्मीर पीपल्स कॉन्फ्रेन्स इससे अलग हो गई है।
विधानसभा चुनाव को लेकर परिसीमन आयोग की रिपोर्ट और हाल ही में मतदाता सूची में संशोधन के बाद सभी राजनीतिक दल चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं।
फारूक़ अब्दुल्ला ने पीपल्स कॉन्फ्रेन्स के नेता सज्जाद लोन को लेकर सवाल उठाए हैं और कहा है कि उनकी पार्टी का गुपकार गठबंधन में शामिल होना एक साजिश थी। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग चाहते हैं कि हम साथ रहें और अपने खोए हुए सम्मान को वापस लाएं।
गुपकार गठबंधन के मिलकर मैदान में उतरने के बाद बीजेपी और कांग्रेस के लिए तो यह गठबंधन एक बड़ी चुनौती बनेगा ही। यह राज्य की छोटी पार्टियों जैसे अपनी पार्टी और पीपल्स कॉन्फ्रेन्स की भूमिका को भी बहुत हद तक सीमित कर देगा।
लेकिन गुपकार गठबंधन के लिए भी सीटों का बंटवारा करना आसान नहीं होगा।
बता दें कि परिसीमन आयोग ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या को 83 से बढ़ाकर 90 किया था। ऐसा पहली बार हुआ है कि जम्मू-कश्मीर में 9 सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित की गई हैं।
आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू में विधानसभा की 6 सीटें बढ़ेंगी जबकि कश्मीर में एक। अब तक जम्मू में 37 सीटें थीं जबकि कश्मीर में 46। इस तरह जम्मू में अब 43 सीटें हो जाएंगी जबकि कश्मीर में 47।
5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया गया था और इसके साथ ही राज्य को दो हिस्सों में बांट दिया गया था और पूर्ण राज्य का दर्जा भी खत्म कर दिया गया था। राज्य में जून, 2018 के बाद से ही कोई सरकार अस्तित्व में नहीं है।