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चिदंबरम की हिरासत एक दिन के लिए और बढ़ी

चिदंबरम की हिरासत एक दिन के लिए और बढ़ी

आईएनएक्स मीडिया मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम की हिरासत एक दिन के लिए और बढ़ा दी है।

आईएनएक्स मीडिया मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम की हिरासत एक दिन के लिए और बढ़ा दी है। सीबीआई की अदालत ने यह भी फ़ैसला दिया है कि वह चिदंबरम की अंतरिम जमानत की याचिका पर कल सुनवाई करेगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने चिदंबरम को सीबीआई रिमांड पर भेजने के अपने आदेश में बदलाव किया था। सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को अब इस मामले की दोबारा सुनवाई करेगा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से अपने आदेश पर पुनर्विचार करने की गुजारिश की थी। चिदंबरम की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया था कि उनकी उम्र 74 साल है और उन्हें सुरक्षा की ज़रूरत है। बता दें कि चिदंबरम 21 अगस्त से सीबीआई की हिरासत में हैं।

आईएनएक्स मीडिया मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के द्वारा अग्रिम जमानत याचिका को रद्द किये जाने के बाद चिदंबरम को दिल्ली के जोरबाग स्थित उनके आवास से सीबीआई ने गिरफ़्तार कर लिया गया था। आरोप है कि 2007 में जब पी. चिदंबरम वित्त मंत्री थे तब नियमों को ताक पर रखकर आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश की मंज़ूरी दिलायी गयी थी। 

यह भी आरोप है कि कार्ति चिदंबरम ने अपने पिता पी. चिदंबरम के ज़रिए आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश प्रमोशन बोर्ड से विदेशी निवेश की मंज़ूरी दिलाई थी। हालाँकि चिदंबरम सीबीआई के इन आरोपों को ख़ारिज़ करते रहे हैं। वह कहते रहे हैं कि इन कंपनियों के विदेशी निवेश के प्रस्तावों को मंज़ूरी देने में कोई भी गड़बड़ी नहीं की गयी है।

अदालत ने की थी सख़्त टिप्पणी

इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने अदालत ने चिदंबरम की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए बेहद सख़्त रुख दिखाया था। अदालत ने कहा था कि उन्हें सिर्फ़ इसलिए जमानत नहीं दी जा सकती कि वह सांसद हैं। जस्टिस सुनील गौर ने कहा था, ‘इस मामले में पहली नज़र में तो तथ्य सामने आये हैं वे यह बताते हैं कि याचिकाकर्ता ही इस मामले का सूत्रधार है और वही इस मामले का मुख्य साज़िशकर्ता भी है।’ जस्टिस गौर ने कहा था कि यह एक आर्थिक अपराध है और इस मामले से सख़्ती से निपटा जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि इतने बड़े आर्थिक अपराध के मामले में जाँच एजेंसी के हाथों को बाँधकर नहीं रखा जा सकता। 

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