अस्पतालों में ऑक्सीज़न ख़त्म हो रही, कुछ राज्यों ने ही सप्लाई रोकी!
ऑक्सीजन के लिए कई राज्यों में हाहाकार मचा है। ऑक्सीजन की कमी होने से मरीज़ों के मरने की ख़बरें आ रही हैं। कोरोना मरीज़ों की ऑक्सीजन के लिए चीखें सुनाई दे रही हैं। कर्नाटक से लेकर दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी है। कई अस्पतालों में सिर्फ़ कुछ घंटों के लिए ऑक्सीजन बची है। हाई कोर्टों में मामला पहुँचा और फिर सुप्रीम कोर्ट ने भी दखल दे दिया। इस पूरी अव्यवस्था के केंद्र में केंद्र सरकार तो है ही। कई जगहों पर ऑक्सीजन की सप्लाई रोके जाने तक की ख़बरें आईं। एक समय तो दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बीच में विवाद भी हो गया। यह विवाद कितना बड़ा संकट बनता जा रहा था इसका अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि केंद्र सरकार को आदेश जारी करना पड़ा कि ऑक्सीजन परिवहर को कोई रोक नहीं सकता है। दिल्ली हाई कोर्ट ने तो कहा कि ऑक्सीजन की सप्लाई रोके जाने पर आपराधिक कार्रवाई की जाएगी।
देश में ऑक्सीज़न का संकट कितना गंभीर है? इसका जवाब इससे मिलता है कि कई अस्पतालों में ऑक्सीजन ख़त्म होने को है। दिल्ली सरकार ने आज शाम को कहा कि सरोज सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के अलावा शांति मुकुंद अस्पताल, तीरथ राम शाह अस्पताल, यूके नर्सिंग होम, राठी अस्पताल और सैंटम अस्पताल में ऑक्सीजन ख़त्म हो गई है। इससे पहले दिल्ली के सरोज सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल सुबह से ही शिकायतें कर रहा था कि ऑक्सीजन कुछ घंटों के लिए ही बची है। जब कहीं से सप्लाई की व्यवस्था नहीं हुई तो अस्पताल का मैनेजमेंट दिल्ली हाई कोर्ट में गुहार लगाने पहुँचा। इसने गुहार लगाई कि यदि ऑक्सीजन सप्लाई नहीं की गई तो मरीज़ों की जान पर ख़तरा हो सकता है। बिल्कुल ऐसी ही स्थिति मैक्स अस्पताल की थी तो उसने एक दिन पहले दिल्ली हाई कोर्ट से गुहार लगाई थी। इसी मामले में हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को संवेदनहीन बताया था और कहा था कि लगता है कि सरकार को इंसानों की ज़िंदगियों की कद्र ही नहीं है। जस्टिस विपिन सांघी और रेखा पल्ली की डिवीजन बेंच ने ऑक्सीजन को लेकर कहा कि 'यह एक राष्ट्रीय आपातकाल है। भीख माँगें, उधार लें या चोरी करें। लेकिन इसका इंतज़ाम करें।'
ऑक्सीजन की आपूर्ति, ज़रूरी दवाओं और टीकाकरण की कमी को लेकर देश के कम से कम छह उच्च न्यायालयों में याचिकाएँ दाखिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी पूछा है कि आख़िर इस पर राष्ट्रीय योजना क्या है।
ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए तमिलनाडु में अपने बंद तांबे के संयंत्र को खोलने के लिए वेदांता की याचिका पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने टिप्पणी की कि 'वर्तमान स्थिति राष्ट्रीय आपातकाल की तरह है'। यह प्लांट पर्यावरणीय नियम कायदों के उल्लंघन करने के कारण बंद है और अब संकट की स्थिति में इससे ऑक्सीजन का उत्पादन शुरू करने के लिए याचिका लगाई गई।
ऑक्सीजन की कमी को लेकर राज्यों के बीच इसको लेकर मारामारी है। हरियाणा के पानीपत में ऑक्सीजन से भरे ट्रकों को रोके जाने की ख़बर आई।
अपोलो हॉस्पिटल की ज्वाइंट एमडी संगीता रेड्डी ने गुरुवार को ट्वीट किया, 'IOCL के एयर लिक्विड पानीपत संयंत्र के गेट के बाहर एक ऑक्सीजन टैंकर है और उसे अंदर नहीं जाने दिया जा रहा है। हरियाणा पुलिस इसे रोक रही है और ऑक्सीजन को हरियाणा से बाहर नहीं जाने दे रही है। तत्काल हस्तक्षेप की ज़रूरत है।'
I urge central govt and Govt of Haryana to kindly facilitate smooth passage to oxygen vehicles. https://t.co/ODOTo4SQru
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) April 22, 2021
इस पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मुद्दे को उठाया। बाद में उन्होंने जानकारी दी, 'मैंने हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर से बात की। उन्होंने हरियाणा से दिल्ली तक ऑक्सीजन ट्रकों के परिवहन की सुविधा में अपना समर्थन दिया। उन्होंने पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया है।'
I spoke to Hon’ble CM of Haryana Sh Manohar Lal Khattar ji. Sought his support in facilitating transport of oxygen trucks from Haryana to Delhi. He has assured full support.
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) April 22, 2021
उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने तो हरियाणा के साथ-साथ यूपी पर भी ऑक्सीजन नहीं लाने देने का आरोप लगाया। मनीष सिसोदिया ने कहा कि हरियाणा व यूपी दोनों राज्यों ने जंगल राज बनाया हुआ है और प्लांटों पर पुलिस बैठा दी है। उन्होंने आरोप लगाया था कि दिल्ली के टैंकर न ही प्लांट में जाने दे रहे और न ही प्लांट से दिल्ली में ऑक्सीजन आने दे रहे हैं।
कई राज्यों के बीच ऑक्सीजन आपूर्ति को लेकर विवाद के बीच अब केंद्र सरकार को निर्देश जारी करना पड़ा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी किया है जिसमें ऑक्सीजन ले जाने वाले वाहनों के मुक्त अंतर-राज्यीय आवाजाही की अनुमति दी गई है। आदेश में कहा गया है, 'राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के सिर्फ़ अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति सीमित करने के लिए ऑक्सीजन निर्माताओं और आपूर्तिकर्ताओं पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा।'
ऐसा नहीं है कि ऑक्सीजन की कमी सिर्फ़ कुछ राज्यों में है, बल्कि उन सभी राज्यों में है जहाँ कोरोना के मामले काफ़ी ज़्यादा आ रहे हैं। दिल्ली के अलावा यूपी, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, छत्तीसगढ़, राजस्थान जैसे राज्यों में भी काफ़ी बड़ी समस्या है। मध्य प्रदेश के शहडोल में तो ऑक्सीजन ख़त्म हो जाने के कारण 12 मरीज़ों की मौत की ख़बर आई थी। लखनऊ से लगातार ऐसी ख़बरें आ रही हैं कि ऑक्सीज़न के लिए मारामारी है। अस्पतालों में बेड और आईसीयू बेड की तो भयावह कमी है ही।
हाल ही में कर्नाटक से भी ऐसी ही ख़बर आई थी। इसी वजह से कर्नाटक सरकार ने बुधवार को बेंगलुरु के अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन और रेमडेसिविर की आपूर्ति को देखने के लिए बेंगलुरु में एक वॉर रूम का संचालन शुरू किया। स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा मंत्री के सुधाकर ने एक ट्वीट में पुष्टि की, 'ऑक्सीजन समय पर और पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 24/7 वॉर रूम की स्थापना 3 शिफ्ट में चौबीस घंटे काम करने वाले कर्मचारियों के साथ की गई है।' ऐसा इसलिए किया गया है कि पिछले हफ्ते से चिकित्सा ऑक्सीजन की कमी की रिपोर्ट लगातार आ रही है।