ओवैसी का FIR पर तीखा जवाब, कहा- अपराध बताओ, मोदी, योगी पर हमला
पैगंबर पर टिप्पणी करने की आरोपी नूपुर शर्मा को जब गिरफ्तार करने की मांग चल रही हो तो ऐसे में दिल्ली पुलिस ने एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। ओवैसी ने इस एफआईआर पर न सिर्फ दिल्ली पुलिस को कटघरे में खड़ा कर दिया, बल्कि केंद्र से कई सवाल पूछ डाले हैं। ओवैसी ने मोदी को भी भी उनके नफरती भाषणों की याद दिलाई।
ओवैसी ने अपनी बात 11 ट्वीट्स के जरिए कही। उन्होंने कहा कि मुझे एफआईआर का एक अंश मिला है। यह पहली एफआईआर है जो मैंने देखी जिसमें यह तक नहीं दर्ज है कि मेरा अपराध क्या है। किसी ऐसी हत्या की एफआईआर की कल्पना करें जहां पुलिस हथियार का उल्लेख न करे या जिसमें पीड़ित की मौत हो जाए। मुझे नहीं पता कि मेरी किस खास टिप्पणी ने दिल्ली पुलिस को यह एफआईआर दर्ज करने पर मजबूर किया।
उन्होंने कहा, ऐसा लगता है कि दिल्ली पुलिस में यति नरसिंहानंद, नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल आदि के खिलाफ मामलों को आगे बढ़ाने का साहस नहीं है। वास्तव में यति नरसिंहानंद ने मुसलमानों के खिलाफ नरसंहार और इस्लाम का अपमान करके अपनी जमानत की शर्तों का बार-बार उल्लंघन किया है। दिल्ली पुलिस शायद हिंदुत्ववादी कट्टरपंथियों को ठेस पहुंचाए बिना इन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का तरीका सोचने की कोशिश कर रही थी।
1. I’ve received an excerpt of the FIR. This is the first FIR I’ve seen that’s not specifying what the crime is. Imagine an FIR about a murder where cops don’t mention the weapon or that the victim bled to death. I don’t know which specific remarks of mine have attracted the FIR pic.twitter.com/0RJW1z71aN
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) June 9, 2022
ओवैसी ने कहा, दिल्ली पुलिस "दोनों पक्षवाद" या "संतुलन-वाद" सिंड्रोम से पीड़ित है। एक पक्ष ने खुले तौर पर हमारे पैगंबर का अपमान किया है, जबकि दूसरे पक्ष का नाम बीजेपी समर्थकों को समझाने और ऐसा दिखाने के लिए दिया गया है कि दोनों पक्षों ने अभद्र भाषा बोली थी। यह भी ध्यान दें कि अभद्र भाषा सत्तारूढ़ दल के प्रवक्ताओं और प्रमुख "धर्म गुरुओं" ने बोली जो सत्तारूढ़ दल से करीबी संबंध रखते हैं। उन लोगों के बयानों को सोशल मीडिया पर बिना किसी सामाजिक या राजनीतिक स्थिति के बराबर पोस्ट किया जा रहा है। मेरे मामले में एफआईआर यह भी नहीं कह रही है कि मैंने आपत्तिजनक क्या बोला था क्या आपत्तिजनक था।
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यति नरसिंहानंद, मुस्लिमों के जनसंहार की बात कहने वाला गैंग, नूपुर, नवीन आदि कोई कार्रवाई न होने की वजह से ऐसे बोलने के आदी हो गए हैं। एफआईआर तभी की गई जब हफ्तों तक आक्रोश या अंतरराष्ट्रीय निंदा हुई या जब अदालतों ने पुलिस की खिंचाई की। इसके विपरीत, मुस्लिम छात्रों, पत्रकारों, कार्यकर्ताओं को केवल मुस्लिम होने के अपराध के लिए जेल में डाल दिया गया है।
ओवैसी, एआईएमआईएम प्रमुख, गुरुवार को एक ट्वीट में
ओवैसी ने कहा कि हिंदुत्व संगठनों की एक संस्कृति है जहां अभद्र भाषा और उग्रवाद को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ इनाम भी दिया जाता है। उदाहरण के लिए, योगी के नफरती भाषणों के बादल उन्हें लोकसभा सीट और फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी देकर सम्मानित किया गया।
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मोदी के नफरत भरे भाषणों को इसी तरह पुरस्कृत किया गया। वास्तव में जिन लोगों ने मुझे गोली मारने की कोशिश की, उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया, ताकि वे प्रमुख हिंदुत्व राजनेता बन सकें। बहरहाल, देश में यह संस्कृति खत्म होनी चाहिए। अगर मोदी ईमानदार होते तो वे नकली बैलेंस-वाद में शामिल हुए बिना अभद्र भाषा पर मुहर न लगाते। दरअसल, समुदाय संहार और नफरत की भाषा बोलने वालों को इनाम देने की बजाय गैर-जमानती कठोर कानूनों के तहत जेल में डाल दिया जाए।
-ओवैसी, एआईएमआईएम प्रमुख, गुरुवार को ट्वीट में
उन्होंने कहा कि जहां तक मेरे खिलाफ एफआईआर का सवाल है, हम अपने वकीलों से परामर्श करेंगे और जब भी जरूरत होगी, इसका समाधान करेंगे। हम इन तरीकों से भयभीत नहीं होते। अभद्र भाषा की आलोचना करने और अभद्र भाषा बोलने की तुलना नहीं की जा सकती।
ओवैसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने को राजनीतिक क्षेत्रों में काफी आश्चर्य जताया जा रहा है। क्योंकि ओवैसी ने न तो पैगंबर के खिलाफ कुछ गलत बोला और न ही ओवैसी कभी किसी हिन्दू देवी देवता के बारे में गलत बोला। उनके भाषण के आधार पर उन पर कोई कार्रवाई नामुमकिन मानी जाती है। यह सच है कि एफआईआर में दिल्ली पुलिस ने कुछ भी जिक्र नहीं किया है। इस संबंध में दिल्ली पुलिस की प्रवक्ता से भी गुरुवार को पत्रकारों ने सवाल किए थे, लेकिन वो बस दो एफआईआर दर्ज किए जाने का जिक्र करती रहीं। दिल्ली पुलिस इस बात पर चुप है कि मुलजिम नूपुर शर्मा को कब गिरफ्तार किया जाएगा। दिल्ली पुलिस की कार्रवाई से लगता है कि वो नूपुर शर्मा की गिरफ्तारी तभी करेगी, जब दोनों एफआईआर में दर्ज आरोपियों को गिरफ्तार करेगी। दिल्ली पुलिस की एफआईआर में फिर से मुस्लिम नामों की संख्या ज्यादा बताई जा रही है।