मोदी को 12 विपक्षी दलों की चिट्ठी, कोरोना से निपटने के उपाय सुझाए
बारह विपक्षी दलों ने एक संयुक्त चिट्ठी लिख कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोरोना से निपटने के उपाय सुझाए हैं और कुछ बेहद अहम माँगे रखी हैं, जिनमें सबको मुफ़्त कोरोना टीका देना सबसे ऊपर है।
विपक्षी दलों का यह हस्तक्षेप ऐसे समय हुआ है जब कोरोना महामारी की दूसरी लहर से देश तबाह है, रोज़ाना लगभग चार हज़ार लोगों की मौत हो रही है, अस्पतालों में जगह नहीं है, ऑक्सीजन नहीं है, वेंटीलेटर नहीं है और अब ज़रूरत के मुताबिक कोरोना वैक्सीन नहीं है।
क्या कहा गया है चिट्ठी में?
इस चिट्ठी में कहा गया है, 'हमने एक साथ और अलग-अलग होकर अलग-अलग समय में कई बार आपको कई तरह के सुझाव दिए हैं, आपका ध्यान खींचा है कि केंद्र सरकार को क्या क्या करना चाहिए। दुर्भाग्यवश आपकी सरकार ने उन उपायों की अनदेखी की है या उन्हें खारिज कर दिया है। इससे स्थिति विनाशकारी और मानवीय त्रासदी में बदल गई है।'ख़त में दिए गए मुख्य सुझाव
- केंद्र सरकार घरेलू और अंतरराष्ट्रीय-हर स्रोत से कोरोना टीका खरीदे।
- सबको मुफ़्त कोरोना टीका तुरन्त दिया जाए।
- देश में कोरोना टीका उत्पादन बढ़ाने के लिए अनिवार्य लाइसेंसिंग प्रणाली शुरू की जाए।
- बजट में आबंटित 35 हज़ार करोड़ रुपए टीकाकरण पर खर्च हों।
- सेंट्रल विस्टा परियोजना रोक दी जाए और उस पैसे से कोरोना टीका और ऑक्सीजन का इंतजाम किया जाए।
- पीएम केअर्स फंड में जमा पैसे तुरन्त निकाले जाए और उससे कोरोना टीका, ऑक्सीजन और मेडिकल उपकरण खरीदे जाएं।
- हर बेरोज़गार को हर महीने 6,000 रुपए की मदद दी जाए।
- ज़रूरतमंद लोगों को मुफ़्त राशन मिले।
- कृषि क़ानूनों को रद्द कर दिया जाए ताकि किसान उस वजह से कोरोना की चपेट में न आएं।
इस चिट्ठी पर बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल के दस्तख़त नहीं हैं।
इस चिट्ठी पर कांग्रेस की सोनिया गांधी, एनसीपी के शरद पवार, टीएमसी की ममता बनर्जी, शिवसेना के उद्धव ठाकरे, डीएमके के एम. के. स्टालिन, झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन, जम्मू-कश्मीर पीपल्स अलायंस के फ़ारूक़ अब्दुल्ला, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव, आरजेडी के तेजस्वी यादव, सीपीआई के डी. राजा और सीपीआईएम के सीताराम येचुरी ने हस्ताक्षर किए हैं। इनमें से ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे, एम. के. स्टालिन और हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री भी हैं।
सरकार सुझाव मानेगी का हमला करेगी?
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि सरकार इन सुझावों को पूरी तरह या आंशिक रूप से ही मानेगी या इसके उलट इन दलों पर ही हमला करेगी और उन्हें जली-कटी सुनाएगी। ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि अब तक सरकार ऐसा ही करती आई है, वह सुझावों को मानने की तो बात दूर, पलटवार करती है।
सोनिया पर नड्डा ने किया था हमला
कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसके पहले प्रधानमंत्री को कोरोना से जुड़े सुझाव दिए और सर्वदलीय बैठक बुलाने को कहा तो बीजेपी अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने उस पर बहुत ही तीखा हमला बोल दिया।
नड्डा ने कहा कि सोनिया नकारात्मक बातें करती हैं, ग़लत व भ्रामक सूचनाएं फैलाती हैं, बेवजह लोगों में घबराहट फैलाती हैं और दोमुँही बातें करती हैं। बीजेपी अध्यक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस के नेताओं ने 'मेड इन इंडिया' का मजाक उड़ाया और कोवैक्सीन टीका को लेकर लोगो के मन में संशय की स्थिति पैदा की और वह भी महामारी के बीच में, इसके पहले इस टीके को लेकर कोई भ्रम नहीं था।
हर्षवर्द्धन ने मनमोहन पर किया था पलटवार
याद दिला दें कि इसके पहले अप्रैल महीन में पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिख कर कुछ सुझाव दिए थे। लेकिन केंद्र सरकार ने उसे गंभीरता से लेने के बजाय सिंह पर ज़ोरदार पलटवार किया था और उनकी व कांग्रेस पार्टी की तीखी आलोचना की थी।
मनमोहन सिंह ने यह कहा था कि सरकार को चाहिए कि वह टीका खुराकों की आपूर्ति में पारदर्शिता बरते, वह बताए कि कैसे इन टीकों की आपूर्ति की जाएगी।
मनमोहन सिंह ने सलाह दी कि केंद्र सरकार को चाहिए कि वह 10 प्रतिशत खुराकें आपातकालीन आपूर्ति के लिए अपने पास रखे और बाकी राज्यों के दे दे।
राहुल को बताया था दलाल
इसी तरह कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार को सलाह दी थी कि कोरोना टीका बनाने वाली विदेशी कंपनियों को भारत में टीका बनाने और बेचने की अनुमति दे दी जाए। इस पर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि राहुल गांधी विदेशी दवा कंपनियों की दलाली कर रहे हैं।
यह बात और है कि इसके कुछ दिन बाद ही केंद्र सरकार ने कई विदेशी टीका उत्पादकों को अपने टीके भारत में बेचने की अनुमति दे दी।
कोरोना टीका पर सरकार की क्या नीति रही है और वह क्या कर पाई है, सुनिए वरिष्ठ पत्रकार अंबरीश कुमार को।