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उप राष्ट्रपति चुनाव: मार्गरेट अल्वा ने दाखिल किया नामांकन

उप राष्ट्रपति चुनाव: मार्गरेट अल्वा ने दाखिल किया नामांकन

जगदीप धनखड़ और मार्गरेट अल्वा के बीच उप राष्ट्रपति चुनाव में क्या जोरदार मुक़ाबला हो सकता है?

उप राष्ट्रपति चुनाव में कुछ विपक्षी दलों की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा ने मंगलवार को नामांकन दाखिल कर दिया। अल्वा के नामांकन दाखिल करते वक्त सहित कांग्रेस नेता राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और अधीर रंजन चौधरी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, शिवसेना के संजय राउत सहित विपक्षी दलों के कई नेता मौजूद रहे।

सोमवार को एनडीए के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ ने नामांकन दाखिल किया था। उनके साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान सहित बीजेपी व एनडीए के कई बड़े नेता मौजूद रहे थे। 

उप राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान 6 अगस्त को होगा और इसके नतीजे उसी दिन आ जाएंगे।

जगदीप धनखड़ और मार्गरेट अल्वा आने वाले दिनों में चुनाव प्रचार शुरू करेंगे। विपक्षी दल बीजेडी और एआईएडीएमके ने उप राष्ट्रपति के चुनाव में जगदीप धनखड़ को अपना समर्थन दे दिया है।

कौन हैं अल्वा?

कुछ विपक्षी दलों की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा राज्यसभा की उपसभापति रही हैं व कांग्रेस की वरिष्ठ नेताओं में शुमार हैं। 

अल्वा ने कर्नाटक में कांग्रेस के लिए काफी काम किया है और वह 1972 में कर्नाटक महिला कांग्रेस की संयोजक चुनी गई थीं। अल्वा ने अपना संसदीय जीवन 1974 में शुरू किया था जब वह पहली बार राज्यसभा के लिए चुनी गई थीं। अल्वा 1999 में लोकसभा की सांसद बनीं।

अल्वा एक नामी वकील, सामाजिक कार्यकर्ता और राजनेता होने के साथ ही ट्रेड यूनियन की नेता भी रही हैं। वह चार बार राज्यसभा और एक बार लोकसभा की सांसद रही हैं। अल्वा 1984 से 85 तक केंद्र सरकार में युवा और खेल मंत्रालय के राज्यमंत्री के रूप में काम कर चुकी हैं। 1991 में पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार में भी वह मंत्री रह चुकी हैं। वह कांग्रेस की महिला मोर्चा की राष्ट्रीय संयोजक भी रही हैं और महिला अध्यक्ष अधिकारों की वकालत करती रही हैं। उनके सास और ससुर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे।

टिकट बेचने का लगाया था आरोप

अल्वा के कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के साथ रिश्ते तब खराब हुए थे जब साल 2008 में उन्होंने कर्नाटक कांग्रेस पर टिकट बेचने का आरोप लगाया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि योग्यता के आधार पर उम्मीदवारों को चुनने के बजाय सबसे अधिक बोली लगाने वालों को चुनावी टिकट बेचा गया। इसके बाद उन पर कार्रवाई की गई थी और उन्हें पार्टी के पदों से हटा दिया गया था। हालांकि इसके बाद वह राजस्थान, गुजरात और गोवा में राज्यपाल रहीं और बीते कुछ वर्षों से सक्रिय राजनीति से दूर हैं। उनके बेटे निवेदित अल्वा उत्तर कन्नड़ इलाके में राजनीति में सक्रिय हैं।

कांग्रेस की ओर से उनका नाम काफी सोच-समझ कर आगे बढ़ाया गया क्योंकि 4 फैक्टर उनके पक्ष में जाते हैं। उनके पास विशाल अनुभव है, वह महिला हैं, दक्षिण से आती हैं और अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय से ताल्लुक रखती हैं।

 - Satya Hindi

कौन हैं जगदीप धनखड़?

राजस्थान के झुंझुनू जिले के किठाणा गांव में 1951 में जन्मे जगदीप धनखड़ प्रभावशाली जाट बिरादरी से आते हैं। राजस्थान के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली के बाहरी इलाकों में जाट समुदाय की अच्छी-खासी आबादी है। पंजाब में सिख जाट ताकतवर हैं। माना जा रहा है कि जाट मतदाताओं को अपनी ओर खींचने के लिए ही बीजेपी ने जगदीप धनखड़ को चुनाव मैदान में उतारा है। पेशे से वकील रहे जगदीप धनखड़ बीजेपी, आरएसएस और उसके सहयोगी संगठनों को कानूनी सलाह और सहायता देते रहे हैं।

जगदीप धनखड़ 1989 में ही राजनीति में आए। धनखड़ 1989 से 91 तक जनता दल के टिकट पर राजस्थान की झुंझुनू सीट से सांसद रहे हैं और 1990 में केंद्र सरकार में मंत्री भी बने। धनखड़ राजस्थान हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे हैं और उन्होंने लंबे वक्त तक सुप्रीम कोर्ट में भी वकालत की है। वह 1993 से 98 तक किशनगढ़ विधानसभा सीट से विधायक भी रहे।

उप राष्ट्रपति के चुनाव में राज्यसभा के 233 सांसदों के साथ ही 12 मनोनीत सांसद और लोकसभा के सभी 543 सांसद मतदान करते हैं। बीजेपी के पास अकेले लोकसभा और राज्यसभा में 394 सांसद हैं। ऐसे में निश्चित रूप से वह इस चुनाव में काफी आगे है। उप राष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं।

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