उद्धव ने केजरीवाल से कहा- हम साथ-साथ हैं
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ आप की लड़ाई के लिए समर्थन मांगने के लिए बुधवार को मुंबई में उनके आवास पर शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात की। उनके साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह और राघव चड्ढा के साथ-साथ दिल्ली की मंत्री आतिशी भी थीं।
Uddhav Thackeray has promised us that they will support us in the Parliament and if this bill (ordinance) does not pass in the Parliament then in 2024, the Modi government will not be coming back to power: Delhi CM and AAP national convenor Arvind Kejriwal pic.twitter.com/1Cgi6mz6Iy
— ANI (@ANI) May 24, 2023
इस मुलाकात के बाद केजरीवाल ने कहा - उद्धव ठाकरे ने हमसे वादा किया है कि वे संसद में हमारा समर्थन करेंगे और अगर यह विधेयक (अध्यादेश) संसद में पारित नहीं हुआ तो 2024 में मोदी सरकार सत्ता में वापस नहीं आएगी।
#WATCH | We all have come together to save the country and democracy. I think we should not be called 'opposition' parties in fact they (Centre) should be called 'opposition' since they are against Democracy and Constitution: Former Maharashtra CM Uddhav Thackeray pic.twitter.com/gk3izB2sLZ
— ANI (@ANI) May 24, 2023
इस मौके पर शिवसेना यूबीटी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा - हम सब देश और लोकतंत्र को बचाने के लिए एक साथ आए हैं। मुझे लगता है कि हमें 'विपक्षी' दल नहीं कहा जाना चाहिए, बल्कि उन्हें (केंद्र को) 'विपक्षी' कहा जाना चाहिए क्योंकि वे लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ हैं।
आप के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ समर्थन मांगने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार से भी मिलेंगे। मंगलवार को केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ आप की लड़ाई के लिए समर्थन जुटाने के लिए अपने देशव्यापी दौरे के तहत कोलकाता में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की थी। केंद्र ने पिछले शुक्रवार को दिल्ली में ग्रुप-ए अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग के लिए एक प्राधिकरण बनाने के लिए एक अध्यादेश जारी किया था, जिसे आप सरकार ने सेवाओं के नियंत्रण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ धोखा बताया था।
केंद्र का वो अध्यादेश, सुप्रीम कोर्ट के 11 मई के उस फैसले के बाद आया, जिसमें अदालत ने कहा था कि पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि को छोड़कर दिल्ली में सेवाओं का नियंत्रण निर्वाचित सरकार के पास होना चाहिए। दिल्ली राज्य सरकार के पास अफसरों के ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार है।