विपक्षी एकता बैठकः क्या यूपीए नाम बदलेगा?
विपक्षी गठबंधन को उसके पिछले नाम यूपीए की जगह नया मिल सकता है। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि नया नाम मंगलवार को बेंगलुरु में विपक्ष की बड़ी बैठक के दौरान तय होने की संभावना है। इस बैठक में करीब 26 से अधिक पार्टियां शामिल हो रही हैं। उनमें से कुछ के नेता तो आज 17 जुलाई को ही बेंगलुरु पहुंच गए हैं।
कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूपीए 2004 से 2014 तक दो कार्यकाल के लिए केंद्र में सत्ता में रहा। इसकी अध्यक्ष पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या प्रस्तावित विपक्षी गठबंधन को कोई नया नाम मिलेगा, कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि पार्टी इस मुद्दे पर अकेले निर्णय नहीं ले रही है और बैठक के दौरान सामूहिक निर्णय लिया जाएगा।
वेणुगोपाल ने एक संवाददाता सम्मेलन में आज कहा कि "हम सभी निर्णय लेंगे। मैं आपको अभी नहीं बता सकता कि किन मुद्दों पर चर्चा होने वाली है। कांग्रेस अकेले यह निर्णय नहीं ले रही है। सभी विपक्षी दल एक साथ बैठेंगे और एकजुट होकर निर्णय लेंगे।"
#WATCH | When asked about topics for the Opposition meeting in Bengaluru and if UPA will get a new name, Congress general secretary KC Venugopal says, "We will take all decisions. I can't tell you now what are the issues that are going to be discussed. Congress is not deciding… pic.twitter.com/NLbFE6xhIw
— ANI (@ANI) July 17, 2023
सूत्रों के मुताबिक, प्रस्तावित भाजपा विरोधी गुट का एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम होगा और बैठक के दौरान राज्य-दर-राज्य आधार पर सीट बंटवारे पर चर्चा होगी।
इंडिया टुडे के मुताबिक सूत्रों ने कहा कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन के लिए सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम और कम्युनिकेशन प्वाइंच्स का मसौदा तैयार करने के लिए एक उप-समिति का गठन किया जाएगा।
वेणुगोपाल ने कहा कि विपक्षी दलों के संयुक्त प्रचार कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक उप-समिति के गठन की उम्मीद है, जिसमें रैलियां, सम्मेलन और आंदोलन शामिल हैं। बैठक मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के संबोधन के साथ शुरू होने की उम्मीद है।
बैठक के दौरान विपक्षी दल संभवतः इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) का मुद्दा भी उठाएंगे और चुनाव आयोग को सुधार का सुझाव देंगे। सूत्रों ने कहा कि प्रस्तावित गठबंधन के लिए एक साझा सचिवालय स्थापित किए जाने की संभावना है।
उधर, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आरोप लगाया कि विपक्षी दल अपनी वंशवादी राजनीति को "बचाने" के लिए गठबंधन बना रहे हैं और कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूपीए "उत्पीडन (उत्पीड़न), पक्षपात (पक्षपात) और अत्याचार (अत्याचार)" के लिए खड़ा है। नड्डा ने कहा कि विपक्षी दलों का प्रस्तावित गठबंधन "देशभक्ति लोकतांत्रिक गठबंधन" नहीं है, बल्कि "वंशवाद संरक्षण गठबंधन" है। नड्डा ने यह बात राजस्थान में कही, जहां साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं।
नड्डा ने कांग्रेस को "मां-बेटे-बेटी" की पार्टी करार दिया और कहा कि गांधी परिवार के सदस्यों को छोड़कर, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित पार्टी के अन्य सभी नेता "ठेके" पर थे, जबकि पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट "सब-कॉन्ट्रैक्ट" पर थे।