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सीएम शिंदे पर लगे जमीन घोटाले के आरोप, विपक्ष ने मांगा इस्तीफा 

सीएम शिंदे पर लगे जमीन घोटाले के आरोप, विपक्ष ने मांगा इस्तीफा 

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पर एक घोटाले का आरोप लगने के बाद राज्य की राजनीति गर्मा गई है। जानिए विपक्षी नेताओं ने किस आधार पर सीएम का इस्तीफ़ा मांगा।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जमीन घोटाले के मामले में फँसते हुए दिखाई दे रहे हैं। महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन उस समय हंगामा हो गया जब विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर नागपुर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की जमीन के आवंटन में घोटाले का आरोप लगाया। इसके बाद विपक्ष ने एक आवाज में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के इस्तीफे की मांग कर डाली।

विपक्ष के नेताओं का कहना है कि एकनाथ शिंदे ने शहरी विकास मंत्री होते हुए 83 करोड की जमीन को कई अलग-अलग लोगों को कौड़ियों के भाव में बेच दिया था। हालाँकि एकनाथ शिंदे ने अपनी सफाई में कहा है कि उन्होंने जिन लोगों को इस जमीन का आवंटन किया है वह सभी नियमों के अनुसार किया गया है।

शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन जैसे ही विधान परिषद की कार्यवाही शुरू हुई वैसे ही विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने नागपुर सुधार न्यास की जमीन का मुद्दा उठा दिया। दानवे ने कहा कि नागपुर सुधार न्यास ने झुग्गी में रहने वाले लोगों के पुनर्विकास के लिए साढ़े 4 एकड़ जमीन आरक्षित की थी। लेकिन तत्कालीन शहरी विकास मंत्री और मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस जमीन के टुकड़े करके 16 निजी व्यक्तियों को आवंटित कर दिया। दानवे ने आगे आरोप लगाया कि इतना ही नहीं, एकनाथ शिंदे ने 83 करोड़ मौजूदा मूल्य की जमीन को मात्र डेढ़ करोड़ रुपये में आवंटित कर दिया।

अंबादास दानवे ने आरोप लगाया कि यह काफी गंभीर मामला है क्योंकि बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने पहले ही इस जमीन के आवंटन पर रोक लगा रखी थी तो फिर तत्कालीन शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे ने इस जमीन को 16 लोगों को कैसे आवंटित कर दिया। दानवे ने कहा कि जिस समय एकनाथ शिंदे ने इस जमीन को 16 लोगों को आवंटित किया था उस समय राज्य में महा विकास आघाडी की सरकार थी। दानवे ने आरोप लगाया कि एकनाथ शिंदे ने अदालत के कार्य में हस्तक्षेप किया है लिहाजा उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। 

जैसे ही बात विधानसभा में पहुंची तो कांग्रेस और एनसीपी के विधायकों ने भी मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग कर डाली। शोरगुल के बीच विधानसभा की कार्यवाही को दो बार स्थगित करनी पड़ी। जब एक बार फिर से विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई तो महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि यह मामला पहले से ही अदालत में चल रहा है लिहाजा इसे विधानसभा के अंदर नहीं उठाना चाहिए था। 

शोर-शराबे के चलते विधानसभा और विधान परिषद की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित हो गयी। लेकिन विपक्ष मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के इस्तीफे पर अड़ा रहा।

विपक्षी नेताओं- उद्धव ठाकरे, अजित पवार, नाना पटोले, अंबादास दानवे और जयंत पाटिल ने इस मामले को गंभीर बताते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के इस्तीफे की मांग की। नाना पटोले ने कहा कि भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर हमेशा मुखर रहने वाले उप मुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री को इस मामले को संगीनता से लेना चाहिए और फौरन ही अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए। पटोले ने कहा कि अगर भ्रष्टाचार का इतना बड़ा आरोप मुख्यमंत्री पर लगता है तो उन्हें एक पल भी इस पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है।

अजित पवार ने कहा कि जब महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी की सरकार थी और अघाडी सरकार के दो मंत्रियों अनिल देशमुख और संजय राठौड़ पर आरोप लगे थे तो महा विकास आघाडी सरकार ने उन्हें तत्काल मंत्री पद से हटा दिया था। ऐसे में मुख्यमंत्री को अपने पद से फौरन इस्तीफा दे देना चाहिए।

अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि जब पिछली सरकार में वह शहरी विकास मंत्री थे तो उस समय उनके पास इस जमीन मामले की अपील आई थी। जिसपर उस समय तत्कालीन सरकार ने कैबिनेट में फैसला लिया था और कुछ लोगों को जमीन आवंटित की गई थी। शिंदे ने कहा कि इस जमीन में घोटाले का कोई आरोप बनता ही नहीं है क्योंकि यह जमीन उन्होंने किसी बिल्डर को नहीं दी थी। शिंदे ने कहा कि जिन लोगों को उस समय जमीन का आवंटन किया गया था उन सभी लोगों ने रेडी रैकनर रेट के हिसाब से पैसा सरकार में जमा कराया था। शिंदे ने आगे कहा कि यह मामला अदालत में चल रहा है और इसलिए इस मामले में अभी ज्यादा कुछ कहना ठीक नहीं होगा। लेकिन मुख्यमंत्री बनने के 6 महीने के भीतर ही एकनाथ शिंदे पर लगे आरोपों ने मौजूदा महाराष्ट्र सरकार को बैकफुट पर ला दिया है।

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