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विपक्षी एकता: 2024 में एकजुट लड़ने का निर्णय, अगली बैठक शिमला में

विपक्षी एकता: 2024 में एकजुट लड़ने का निर्णय, अगली बैठक शिमला में

बीजेपी के खिलाफ़ विपक्षी दलों ने एकजुटता की पहली और सबसे बड़ी मुश्किल क्या पार कर ली है? जानिए, इन दलों में एकजुटता पर उठ रहे संदेहों के बीच आज पहली बैठक में क्या नतीजा निकला।

2024 के लोकसभा चुनाव के लिए पटना में आज विपक्षी दल जुटे। उन्होंने सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ एक साझा मोर्चा बनाने के लिए सहमति जताई। विपक्षी दलों की पहली बैठक के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि सभी नेता एक साझा मोर्चा बनाने पर सहमत हुए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आगे बताया कि शिमला में अगली बैठक में मोर्चे की रूपरेखा को अंतिम रूप दिया जाएगा।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्ष को एकजुट करने के लिए यह बैठक बुलाई। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती, महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे, शरद पवार सहित कम से कम 15 दलों के नेता शामिल हुए।

बैठक क़रीब चार घंटे तक चली। आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और द्रमुक प्रमुख एमके स्टालिन संयुक्त संवाददाता सम्मेलन से अनुपस्थित थे। हालाँकि नीतीश कुमार ने दावा किया कि वे चले गए क्योंकि उनकी उड़ानें जल्दी थीं। नीतीश कुमार ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'शिमला बैठक में सीट बंटवारे और पार्टी-वार विभाजन सहित विवरण को अंतिम रूप दिया जाएगा।'

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि अगली बैठक अस्थायी तौर पर 10 या 12 जुलाई को होगी, जिसमें सभी राज्यों के लिए रणनीति पर विचार किया जाएगा। खड़गे ने यह भी कहा, 'हमें 2024 में एक साथ चुनाव लड़ना है। हमने भाजपा को उखाड़ फेंकने का फैसला किया है और अगली सरकार बनाने को लेकर आश्वस्त हैं।' राहुल गांधी ने लोकतांत्रिक संस्थाओं पर कथित हमले का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, 'यह विचारधाराओं की लड़ाई है। हमारे बीच कुछ मतभेद हो सकते हैं लेकिन हमने अपनी विचारधारा की रक्षा के लिए लचीलेपन के साथ मिलकर काम करने का फैसला किया है। यह एक प्रक्रिया है और हम इसे जारी रखेंगे।'

पटना में विपक्ष की बैठक के बाद ममता बनर्जी ने कहा, 'मैंने नीतीश कुमार से कहा कि वे पटना से एक बैठक शुरू करें और यह एक जन आंदोलन बन जाएगा। पिछली बैठक हमने दिल्ली में की थी लेकिन वह सफल नहीं रही। यह बैठक अच्छी रही।'

वैसे तो सभी दल एक साथ चुनाव लड़ने के लिए सहमत हो गए हैं, लेकिन विवरण को अंतिम रूप देने के लिए अगले महीने हिमाचल प्रदेश के शिमला में एक और बैठक होगी।

ममता बनर्जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'तीन चीजें हल हो गई हैं- हम एकजुट हैं, हम एकजुट होकर लड़ेंगे, और हमारी लड़ाई को विपक्ष की लड़ाई नहीं कहा जाना चाहिए, बल्कि भाजपा की तानाशाही और उनके काले कानूनों के खिलाफ लड़ाई और उनके राजनीतिक प्रतिशोध के ख़िलाफ़ लड़ाई कहा जाना चाहिए।'

ममता ने कहा, 'राजभवन एक वैकल्पिक सरकार बन गया है। उन्होंने हमसे सलाह किए बिना हमारे राज्य के लिए स्थापना दिवस का आयोजन किया। अगर हम उनका विरोध करते हैं, तो ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल हमारे खिलाफ किया जाता है। वे अदालत में वकील भेजते हैं और हमें किसी न किसी मामले में फंसाते हैं, लेकिन वे बेरोजगारी, आम लोगों या अर्थव्यवस्था के विनाश, दलित उत्पीड़न या महिलाओं के खिलाफ हिंसा के बारे में बात नहीं करते हैं। वे आवास या सड़कों के लिए पैसा नहीं देते हैं और विश्वविद्यालयों में अपनी इच्छानुसार लोगों की भर्ती करते हैं।' उन्होंने आगे कहा और दावा किया कि अगर भाजपा सत्ता में लौटती है तो देश में आगे चुनाव नहीं होंगे।

ममता बनर्जी ने कहा, 'जरूरत पड़ने पर हमारा खून बहे तो बहे, लेकिन हम अपने लोगों की रक्षा करेंगे... बीजेपी चाहती है कि इतिहास बदला जाए, लेकिन इतिहास बिहार से बचाया जाएगा।'

 - Satya Hindi

पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा, 'जो मुल्क के अंदर हो रहा है और हमारे लोकतंत्र, संविधान, सेक्युलरिज्म पर हमला हो रहा है उसका प्रयोगशाला हमारा जम्मू-कश्मीर बन चुका है। इसकी शुरुआत जम्मू-कश्मीर से हुई है और पूरे मुल्क में वही हो रहा है जो हमारे साथ हुआ है।'

उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'हमारा मक़सद ताक़त हासिल करना नहीं है। ये देश के संविधान को बचाने की लड़ाई है। हम तमाम दल देश को बर्बादी से बचाने के लिए एक साथ आए हैं।'

आप की फिर से बहिष्कार की चेतावनी

आज पटना में संयुक्त विपक्ष की बैठक के बाद आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने दिल्ली में केंद्र के अध्यादेश की आलोचना करने से इनकार कर दिया है और जब तक 'काले अध्यादेश' की आलोचना नहीं की जाती तब तक पार्टी समान विचारधारा वाले दलों की भविष्य की बैठकों में भाग नहीं लेगी। 

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