राज्यसभा स्थगित, लोकसभा में ओबीसी विधेयक पर चर्चा जारी
पेगासस जासूसी मामले को लेकर कांग्रेस समेत विपक्षी दलों का हमलावर रूख़ जारी है। मंगलवार को संसद की कार्यवाही शुरू होने पर संसद के दोनों सदनों में इस मुद्दे पर हंगामा हुआ। इससे नाराज़ होकर लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा कि सदस्यों का यह व्यवहार संसद की मर्यादाओं के ख़िलाफ़ है।
हंगामे के कारण राज्यसभा को पहले कई बार और फिर दिन भर के लिए स्थगित करना पड़ा जबकि लोकसभा में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) संशोधन विधेयक पर चर्चा जारी है। संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले बीजेपी संसदीय दल की बैठक भी हुई।
मोदी सरकार की ओर से लोकसभा में ओबीसी संशोधन विधेयक लाया गया है। इसे विपक्ष ने भी पूरा समर्थन दिया है। यह विधेयक केंद्र शासित प्रदेशों को यह ताक़त देता है कि वे अपनी ओबीसी जातियों की सूची ख़ुद बना सकते हैं।
अधीर ने सरकार को घेरा
ओबीसी विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने सरकार से सवाल पूछा कि संविधान में 127वें संशोधन की नौबत क्यों आई। उन्होंने कहा कि जब सरकार ने 102वां संविधान संशोधन किया था तभी कांग्रेस ने सरकार को सचेत किया था लेकिन सरकार ने हमारी बात नहीं सुनी।
मोदी सरकार ने 2018 में 102वें संविधान संशोधन के जरिये अनुच्छेद 342-ए पेश किया था। यह अनुच्छेद पिछड़ी जातियों के राष्ट्रीय आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के लिए लाया गया था। तब विपक्षी दलों ने सरकार को चेताया था कि यह संशोधन ओबीसी जातियों की सूची तैयार करने के राज्यों के अधिकार को प्रभावित कर सकता है।
अधीर ने कहा कि जब ओबीसी समुदाय के लोगों ने आंदोलन किया तो सरकार डर के मारे ओबीसी संविधान संशोधन विधेयक लाकर राज्यों को ओबीसी जातियों को जोड़ने का हक़ देने की राह पर आगे बढ़ी है। चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने कहा कि मोदी सरकार ने ओबीसी समुदाय के हित में कई क़दम उठाए हैं।
अपना दल की अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि मोदी सरकार ने ओबीसी समुदाय के लिए अपनी प्रतिबद्धता को लगातार साबित किया है और उनका दल 127वें संविधान संशोधन विधेयक का समर्थन करता है। बीएसपी के सांसद मलूक नागर ने कहा कि आरक्षण की सीमा को 50 फ़ीसदी से आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में महाराष्ट्र सरकार के उस फ़ैसले को खारिज कर दिया था जिसमें उसने मराठा समुदाय को आरक्षण दिया था। कोर्ट ने कहा था कि अनुच्छेद 342-ए के तहत सिर्फ़ केंद्र सरकार को ही इस बात का अधिकार है कि वह ओबीसी जातियों की केंद्रीय सूची को तैयार करे।
लेकिन एक बार संसद जब संविधान के अनुच्छेद 342-ए और 366 (26) सी को संशोधित कर देगी तो इससे हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश को यह ताक़त मिलेगी कि वे ख़ुद ही ओबीसी की सूची में जातियों को जोड़ सकेंगे।
पेगासस जासूसी मामले और किसान आंदोलन को लेकर संसद से सड़क तक माहौल बेहद गर्म है और विपक्षी दलों ने अपनी सियासी क़दमताल से सरकार को संकट में डाल दिया है। मानसून सत्र में हर दिन संसद के दोनों सदनों में जमकर हंगामा व शोरगुल हुआ है। संसद का यह सत्र 13 अगस्त तक चलेगा।