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राहुल मानहानि केस: विपक्षी सांसदों का मार्च- 'ख़तरे में लोकतंत्र'

राहुल मानहानि केस: विपक्षी सांसदों का मार्च- 'ख़तरे में लोकतंत्र'

क्या राहुल गांधी के ख़िलाफ़ मानहानि के मामले में पूरा विपक्ष एकजुट हो गया है? जानिए विपक्षी सांसदों ने राष्ट्रपति भवन तक के लिए मार्च क्यों निकाला।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मानहानि के मामले में दोषी ठहराए जाने के एक दिन बाद विपक्षी सांसदों ने संसद से मार्च निकाला। सांसदों ने संसद में राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के कार्यालय में एक बैठक की और फिर पोस्टर के साथ राष्ट्रपति भवन के लिए मार्च निकाला गया। विरोध को देखते हुए विजय चौक इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। समझा जाता है कि इन सुरक्षा कर्मियों को नेताओं को गंतव्य तक पहुंचने से रोकने का काम सौंपा गया है। विपक्षी सांसदों ने कहा है कि 'लोकतंत्र खतरे में है'। 

कांग्रेस ने कहा है कि "राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ विपक्ष के सांसदों का 'मोदी-शाही' के खिलाफ पार्लियामेंट हाउस से विजय चौक तक मार्च। इस तानाशाही के खिलाफ हम लड़ते रहेंगे। पीएम मोदी को अडानी महाघोटाले पर जवाब देना ही होगा।" विपक्षी नेताओं ने एक विशाल बैनल ले रखा है जिस पर लिखा है- 'लोकतंत्र ख़तरे में'। 

ये पार्टियाँ 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की सजा का विरोध कर रही हैं और अडानी-हिंडनबर्ग मामले की संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी जांच की अपनी मांग दोहरा रही हैं। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलने का समय मांगा है। कई राज्यों में कांग्रेस इकाइयों ने केंद्र पर राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगाते हुए एक साथ विरोध प्रदर्शन शुरू किया है। कर्नाटक पुलिस ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार और सूरत कोर्ट के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पार्टी के अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया है।

कांग्रेस ने इसे राहुल गांधी को चुप कराने का एक बहाना बताया है। राहुल ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर लंदन में अपनी टिप्पणी के बारे में आरोपों का जवाब देने के लिए समय दिए जाने का अनुरोध किया था। कांग्रेस प्रमुख और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र पर केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर विपक्षी नेताओं को परेशान करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि यह मार्च देश में संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए है।

बता दें कि राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद उनकी संसद सदस्यता अमान्य होने को लेकर सवाल उठ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी को लेकर राहुल को गुजरात की एक अदालत से दो साल की जेल की सजा मिली है। उन्हें जमानत मिल गई है और फैसले के खिलाफ अपील दायर करने के लिए उन्हें 30 दिनों का समय दिया गया है। कहा जा रहा है कि राहुल के पास ऊपरी अदालत में एक महीने तक अपील करने तक के लिए उनके पास मोहलत है। 

कानूनी दिग्गज और पूर्व केंद्रीय क़ानून मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी दो साल की जेल की सजा के साथ ही एक सांसद के रूप में स्वत: ही अयोग्य हो जाते हैं। हालाँकि इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि वह सजा अपने आप में 'विचित्र' है।

कांग्रेस के नेतृत्व में चौदह विपक्षी दलों ने अपने नेताओं के खिलाफ सीबीआई और ईडी के कथित मनमाने इस्तेमाल को लेकर आज ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को स्वीकार कर लिया है और 5 अप्रैल को इस पर सुनवाई करने पर सहमत हो गया।

द्रमुक, राजद, भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सहित 14 याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि 14 राजनीतिक दल याचिका का हिस्सा हैं। 

उन्होंने आरोप लगाया है कि सीबीआई और ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों द्वारा दर्ज किए गए 95 प्रतिशत मामले विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ थे। उन्होंने यह भी कहा है कि भाजपा में शामिल होने के बाद नेताओं के खिलाफ मामलों को अक्सर हटा दिया जाता है या ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। हालाँकि भाजपा इन आरोपों का खंडन करते हुए कहती रही है कि एजेंसियां स्वतंत्र रूप से काम करती हैं।

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