जंतर-मंतर: किसान संसद में पहुंचे विपक्षी दलों के नेता
केंद्र सरकार के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में विपक्षी सांसदों ने शुक्रवार को जंतर-मंतर की ओर कूच कर दिया है।
केंद्र सरकार के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में विपक्षी सांसद शुक्रवार को जंतर-मंतर पहुंचे हैं। इन सांसदों में कांग्रेस से लेकर आरजेडी सहित 14 दलों के सांसद शामिल हैं। बता दें कि जंतर-मंतर पर किसानों की संसद जारी है।
विपक्षी सांसदों की अगुवाई कर रहे राहुल गांधी ने जंतर-मंतर पर पहुंचकर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि विपक्ष ने किसान आंदोलन को पूरा समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि संसद में हम पेगासस मामले पर बात करना चाहते हैं लेकिन सरकार ऐसा नहीं होने दे रही है।
किसान संसद को देश की संसद की तर्ज पर ही चलाया जा रहा है। इसमें शामिल सदस्य अपने सवाल स्पीकर बनाए गए शख़्स के सामने रखते हैं और संसद में शामिल बाक़ी किसान इन सवालों के जवाब देते हैं।
जंतर-मंतर कूच से पहले विपक्षी दलों के सांसदों ने बैठक भी की। इस बैठक में भी कई विपक्षी दलों के सांसद मौजूद रहे और उन्होंने संसद सत्र के दौरान उठाए जा रहे मुद्दों को लेकर चर्चा की। ऐसा करके यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि विपक्ष जनहित के मुद्दों पर पूरी तरह एकजुट है।
विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश
संसद के मानसून सत्र में मोदी सरकार विपक्ष के हमलों से बुरी तरह घिर गई है। पेगासस जासूसी मामला, किसान आंदोलन सहित कई और मुद्दों पर विपक्ष एकजुट है और इससे सरकार की सांस फूली हुई है। कुछ दिन पहले राहुल गांधी ने विपक्षी दलों के नेताओं को नाश्ते पर बुलाया था और इसके बाद सभी नेता साइकिल से संसद पहुंचे थे। कांग्रेस ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह विपक्ष को एकजुट करने के काम में जुटी है।
ट्रैक्टर चलाकर संसद पहुंचे थे राहुल
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी कुछ दिन पहले ट्रैक्टर चलाकर संसद पहुंचे थे। राहुल गांधी ने कहा था कि ये तीनों कृषि क़ानून दो-तीन उद्योगपतियों के फ़ायदे के लिए लाए गए हैं और सरकार को ये क़ानून वापस लेने ही पड़ेंगे। किसानों को विपक्षी राजनीतिक दलों की ओर से भी जोरदार समर्थन मिल रहा है। सियासी माहौल गर्म, घिरी सरकार
किसान आंदोलन को लेकर पिछले 8 महीने से देश का सियासी माहौल बेहद गर्म है। तमाम विपक्षी दल किसानों की आवाज़ को संसद में उठा रहे हैं। सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की बातचीत भी हुई थी लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला था। किसानों का कहना है कि तीनों कृषि क़ानून रद्द होने और एमएसपी को लेकर गारंटी एक्ट बनने तक वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे। तमाम विपक्षी दलों के किसान आंदोलन को समर्थन देने के बाद सरकार घिर गई है। मुज़फ्फरनगर में होगी पंचायत
बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा अब उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के चुनाव में हुंकार भरने जा रहा है। इन दोनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकार है और 7 महीने बाद इन राज्यों में चुनाव होने हैं। किसानों की इस हुंकार की शुरुआत 5 सितंबर को मुज़फ्फरनगर से होगी, जहां इस दिन राष्ट्रीय महापंचायत रखी गई है। 9 माह का कठिन संघर्ष
पंजाब से चले किसान 26 नवंबर को दिल्ली के बॉर्डर्स पर पहुंचे थे और बाद में हरियाणा-राजस्थान में भी किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिया था। इसके बाद किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। इस दौरान किसान ठंड, गर्मी और भयंकर बरसात से भी नहीं डिगे और खूंटा गाड़कर बैठे हैं। इस दौरान उन्होंने रेल रोको से लेकर भारत बंद तक कई आयोजन किए।