महिला कोटा में ओबीसी: अब कांग्रेस और सपा, आरजेडी की एक राय
महिला आरक्षण विधेयक पर इस बार कांग्रेस और सपा व आरजेडी एक राय दिख रहे हैं। वे महिला आरक्षण में ही ओबीसी कोटा की मांग कर रहे हैं। ऐसी ही सहमति विपक्षी गठबंधन के अन्य दलों में भी है। इस विधेयक से जुड़े अन्य मुद्दों पर भी विपक्षी गठबंधन एकमत हैं। लेकिन इन्हीं दलों में से कई दल ऐसे हैं जो पिछली यूपीए सरकार में लाए गए महिला आरक्षण विधेयक पर एकराय नहीं थे और इस वजह से वह विधेयक लोकसभा से पास नहीं हो सका था।
बहरहाल, मंगलवार को जैसे ही महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में पेश किया गया विपक्ष ने इस विधेयक को जुमला क़रार दिया क्योंकि इसमें जनगणना और परिसीमन की शर्तें लगाई गईं। पार्टियों ने कहा कि विधेयक महिलाओं की उम्मीदों के साथ एक बड़ा धोखा है क्योंकि इसको लागू करने की तारीख साफ़ नहीं है। इसके अलावा विपक्षी दलों ने पिछड़े वर्गों के लिए कोटा नहीं देने के लिए सरकार की आलोचना की।
महिला आरक्षण विधेयक में ओबीसी के लिए आरक्षण की मांग कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने भी बुधवार को की। इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार को सदन में अपने भाषण के दौरान ही ओबीसी कोटे की मांग की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में कहा, 'जब तक संवैधानिक संशोधन ओबीसी को एक तिहाई कोटा नहीं देते हैं, तब तक उनको नुकसान होगा। उनकी महिलाओं को इसका लाभ नहीं मिलेगा। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, यह पिछड़े वर्गों के साथ अन्याय होगा।'
आरजेडी नेता मनोज कुमार झा ने कहा, 'यदि महिला आरक्षण विधेयक के पीछे का विचार महिलाओं को व्यापक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना रहता तो यह एससी, एसटी और ओबीसी की महिलाओं तक पहुंच बनाए बिना नहीं हो सकता था...।'
सपा नेता अखिलेश यादव ने कहा कि महिला आरक्षण लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए। इसमें पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी (PDA) की महिलाओं का आरक्षण निश्चित प्रतिशत रूप में स्पष्ट होना चाहिए। नीतीश कुमार ने भी कहा है कि महिला आरक्षण के दायरे में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की तरह पिछड़े और अतिपिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिये भी आरक्षण का प्रावधान किया जाना चाहिये।
कांग्रेस 2010 में सपा और आरजेडी के कड़े विरोध के कारण लोकसभा में विधेयक को आगे बढ़ाने में विफल रही थी। हालाँकि तब इसे राज्यसभा में मंजूरी मिल गई थी। तब सपा और आरजेडी अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों के लिए कोटा के भीतर कोटा की मांग ही कर रहे थे।
यही कारण है कि जब कांग्रेस ने भी ओबीसी कोटा का मुद्दा उठाया तो विपक्षी गठबंधन इंडिया में एकराय दिखी।
इन मुद्दों पर बीजेपी से विपक्षी गठबंधन के दलों की असहमति होने के बाद भी कांग्रेस समेत ज्यादातर पार्टियां इस बिल का विरोध नहीं करेंगी, लेकिन विपक्ष संसद में बिल पर चर्चा के दौरान ओबीसी के लिए आरक्षण की मांग कर रहा है।
विपक्षी गठबंधन के सदस्य दल आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने कहा है, 'इसका दोष इंडिया गठबंधन पर न आए, इसके कारण यह सहमति बनी है कि हम इस विधेयक का समर्थन करेंगे। लेकिन हम अपना विरोध भी दर्ज कराएँगे, नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी बीजेपी की नीयत को बताएँगे कि जैसे इनका सारा वादा जुमला रहा है, वैसे ये भी एक जुमला है। 2024 में इस विधेयक को सही स्वरूप में लाएँगे।'
कुछ विपक्षी दलों ने कहा है कि वे ओबीसी के लिए आरक्षण का प्रस्ताव करते हुए संशोधन लाएंगे। सीपीआई (एम) और आप ने सरकार की आलोचना की, जबकि राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी, और बहुजन समाज पार्टी जैसे दलों ने ओबीसी के लिए कोटा के भीतर कोटा की अपनी मांग दोहराई।