राष्ट्रपति के लिखित भाषण पर विपक्ष निराश, क्या इमरजेंसी के अलावा मुद्दे नहीं हैं
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का भाषण मोदी सरकार के गुणगान पर केंद्रित था। भाजपा और मोदी 1975 के आपातकाल पर जो कह रहे हैं, वही बातें मुर्मू के भाषण में भी थीं। मुर्मू ने नीट पेपर लीक और ईवीएम पर विपक्ष को नसीहत दे डाली। विपक्ष का कहना था कि उनके भाषण से यह लग रहा था कि वो सिर्फ एनडीए की राष्ट्रपति हैं, देश की नहीं। विपक्ष राष्ट्रपति के भाषण से निराश है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "मोदी सरकार द्वारा लिखित राष्ट्रपति का अभिभाषण सुनकर ऐसा लगा जैसे मोदी जी जनादेश को नकारने की हर संभव कोशिश कर रहें हैं। जनादेश उनके ख़िलाफ़ था, क्योंकि देश की जनता ने “400 पार” के उनके नारे को ठुकराया और भाजपा को 272 के आँकड़े से दूर रखा। मोदी जी इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। ऐसा बरताव कर रहें हैं जैसे कुछ बदला ही नहीं, बल्कि सच्चाई है कि देश की जनता ने बदलाव माँगा था। मोदी जी इस बात को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं, इसीलिए वह दिखावा कर रहे हैं कि कुछ भी नहीं बदला है, लेकिन सच्चाई यह है कि देश के लोगों ने बदलाव मांगा था।''
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि उन्हें राष्ट्रपति के आपातकाल पर बोलने के पीछे कोई कारण नहीं मिला। थरूर ने कहा- "49 साल बाद संबोधन में आपातकाल के बारे में बात करने का कोई तर्क नहीं है। उन्हें आज के मुद्दों के बारे में बोलना चाहिए था। हमने नीट परीक्षा या बेरोजगारी के बारे में कुछ भी नहीं सुना... मणिपुर शब्द राष्ट्रपति मुर्मू या पीएम के मुंह से नहीं आया। संबोधन में भारत-चीन सीमा जैसे मुद्दों को उठाना चाहिए था।''
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को संसद में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संयुक्त संबोधन की आलोचना करते हुए कहा कि इसमें अल्पसंख्यकों या बेरोजगारी का जिक्र नहीं था।
#WATCH | Delhi: On President Droupadi Murmu's address, AIMIM MP Asaduddin Owaisi says "In the entire address, there was no mention of minorities or unemployment. US State Secretary Antony Blinken said yesterday that there has been an increase in hate speech in India and religious… pic.twitter.com/CjhIqq9A0g
— ANI (@ANI) June 27, 2024
ओवैसी ने कहा कि “पूरे संबोधन में अल्पसंख्यकों या बेरोजगारी का कोई जिक्र नहीं था। अमेरिकी विदेश सचिव एंटनी ब्लिंकन ने कल कहा कि भारत में नफरत फैलाने वाले भाषण में वृद्धि हुई है और अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों को ध्वस्त किया जा रहा है। संबोधन में कुछ भी नया नहीं था, यह नई बोतल में पुरानी शराब जैसा था।''
संघ परिवार क्या कर रहा था
ओवैसी ने आपातकाल की बात करते हुए कहा कि संघ परिवार क्या कर रहा था? सावरकर की दया याचिकाओं की महान परंपरा का पालन करते हुए, आरएसएस इंदिरा गांधी को खुश करने के लिए उत्सुक था। आरएसएस नेताओं ने आपातकाल का विरोध नहीं किया, वे तो बस यही चाहते थे कि आरएसएस पर से प्रतिबंध हटा दिया जाए।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि राष्ट्रपति का भाषण केंद्र के दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने कहा- “यह परंपरा है और यह हर बार होता है। हम राष्ट्रपति की बात सुनते हैं. यह वास्तव में सरकार का भाषण है।”
वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि "संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण से विपक्ष को उम्मीदें थीं। मैं निराश हो गया। उन्होंने कुछ ऐसी चीजों पर बात की जिनकी आवश्यकता नहीं थी...।”
डीएमके सांसद टी शिवा ने कहा, "जब कोई नई सरकार सत्ता में आती है, तो राष्ट्रपति के अभिभाषण में सरकार के नीतिगत फैसलों के बारे में बात होनी चाहिए, लेकिन इसमें अतीत में जो हुआ उसके बारे में बात की गई। उनके (बीजेपी) के पास स्पष्ट बहुमत नहीं है। वे सहयोगियों के दम पर सरकार में हैं।"
#WATCH | Azad Samaj Party (Kanshi Ram) MP Chandra Shekhar Aazad says, "It is good that the President mentioned the Emergency period in her address, but what about the undeclared emergency in the country today?...If we don't talk about fundamental issues, then how will things… pic.twitter.com/jrVj15xuvd
— ANI (@ANI) June 27, 2024
आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के सांसद चंद्र शेखर आजाद ने कहा- ''यह अच्छा है कि राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में आपातकाल के दौर का जिक्र किया, लेकिन आज देश में जो अघोषित आपातकाल है, उसके बारे में क्या?...अगर हम मौलिक मुद्दों पर बात नहीं करते हैं, तो कैसे होंगे काम? नगीना में रोजगार के अवसर नहीं हैं, बाढ़ की समस्या है...जातीय अत्याचार बढ़ रहे हैं...हमें उम्मीद थी कि राष्ट्रपति इन सभी मुद्दों पर बोलेंगे, लेकिन राष्ट्रपति ने ऐसा नहीं किया। अब हम इन मुद्दों पर बात करेंगे।''
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा- "नियमों के अनुसार, राष्ट्रपति सरकार द्वारा लिखित भाषण पढ़ते हैं। इसलिए, सरकार की समस्या यह है कि वह अभी भी समझ नहीं रही है कि वह 303 (सीटों) से घटकर 240 (सीटों) पर आ गई है। उन्होंने जो भाषण तैयार किया था राष्ट्रपति के लिए 303 (सीटों) पर आधारित था। यह अल्पमत सरकार है, लेकिन उन्होंने कहा कि सरकार के पास स्पष्ट बहुमत है।"
शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने कहा- "यह अब राष्ट्रपति का संबोधन नहीं है, 10 साल से यही मोदी का संबोधन है. मोदी जी जो चाहेंगे वही उनके भाषण में निकलेगा। अल्पमत सरकार है, मोदी जी पहले ही बहुमत खो चुके हैं, लेकिन उसका कोई जिक्र नहीं... 50 साल बाद भी इमरजेंसी की बात कर रहे हैं, इस देश में 10 साल से इमरजेंसी लगी है, उसे हटाओ.. ।"