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सीएए अधिसूचना इलेक्टोरल बॉन्ड घोटाले पर हेडलाइन मैनेज करने का प्रयास: विपक्ष

सीएए अधिसूचना इलेक्टोरल बॉन्ड घोटाले पर हेडलाइन मैनेज करने का प्रयास: विपक्ष

नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीएए को पाँच साल पहले क़ानून बनाया गया था? तो अब क्यों लागू किया गया? वह भी उस दिन जिस दिन इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगने के दिन? जानिए, विपक्ष ने क्या कहा।

सीएए को अब अधिसूचित किए जाने को विपक्षी दलों ने बीजेपी की वोट बैंक की राजनीति और इलेक्टोरल बॉन्ड के खुलासे पर पर्दा डालने का प्रयास बताया है। कांग्रस ने कहा है कि 'सीएए के नियमों को अधिसूचित करने में लिया गया इतना समय प्रधानमंत्री के सफ़ेद झूठ की एक और झलक है।'

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा है, 'नियमों की अधिसूचना के लिए नौ बार एक्सटेंशन मांगने के बाद घोषणा करने के लिए जानबूझकर लोकसभा चुनाव से ठीक पहले का समय चुना गया है। ऐसा स्पष्ट रूप से चुनाव को ध्रुवीकृत करने के लिए किया गया है, विशेष रूप से असम और बंगाल में। यह इलेक्टोरल बॉन्ड घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार और सख़्ती के बाद हेडलाइन को मैनेज करने का प्रयास भी प्रतीत होता है।'

उन्होंने आगे कहा, 'दिसंबर 2019 में संसद द्वारा पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियमों को अधिसूचित करने में मोदी सरकार को चार साल और तीन महीने लग गए। प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि उनकी सरकार बिल्कुल प्रोफेशनल ढंग से और समयबद्ध तरीक़े से काम करती है।'

उनकी प्रतिक्रिया तब आई है जब नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीएए को आख़िरकार अधिसूचित कर दिया गया। इसको क़रीब पाँच साल पहले ही क़ानून बना दिया गया था। लेकिन इसको लागू किए जाने और पूरी प्रक्रिया के लिए नियम-क़ायदों को अधिसूचित नहीं किया गया था और इस वजह से इसे लागू नहीं किया जा सका था। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान के नागरिकों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। इन देशों के हिंदू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी समुदाय के उन लोगों को नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए थे।

सीएए को उस दिन अधिसूचित किया गया है जिस दिन इलेक्टोरल बॉन्ड के मामले में एसबीआई को झटका लगा है। एसबीआई ने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वालों के बारे में जानकारी देने के लिए तीन माह का समय मांगा था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया और 24 घंटे के भीतर इसको मुहैया कराने का आदेश दिया। 

भेदभाव हुआ तो टीएमसी सड़कों पर उतरेगी: ममता

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि अगर उनमें कोई भेदभाव हुआ तो तृणमूल कांग्रेस सड़कों पर उतरेगी। उन्होंने इस कदम को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राजनीतिक दिखावा बताया।

उन्होंने कहा, 'चुनाव से पहले इस तरह की उत्तेजना गैरज़रूरी है। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे और इसका विरोध करेंगे।' उन्होंने कहा, 'हम इसका विरोध करेंगे। मैं आपको घोषणा से पहले बता रही हूं कि अगर कुछ विभाजनकारी घोषणा की जाएगी तो हम उसका विरोध करेंगे। मतदान से ठीक पहले इसकी घोषणा क्यों की जा रही है? रमज़ान शुरू होने से ठीक पहले क्यों? सभी लोगों को व्रत रखना चाहिए और हिंदुओं को होली जैसे त्योहार मनाना चाहिए।'

 - Satya Hindi

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी इस फ़ैसले की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा, "जब देश के नागरिक रोज़ी-रोटी के लिए बाहर जाने पर मजबूर हैं तो दूसरों के लिए ‘नागरिकता क़ानून’ लाने से क्या होगा? जनता अब भटकावे की राजनीति का भाजपाई खेल समझ चुकी है। भाजपा सरकार ये बताए कि उनके 10 सालों के राज में लाखों नागरिक देश की नागरिकता छोड़ कर क्यों चले गये।  चाहे कुछ हो जाए कल ‘इलेक्टोरल बॉन्ड’ का हिसाब तो देना ही पड़ेगा और फिर ‘केयर फ़ंड’ का भी।

मायावती ने भी फ़ैसले का विरोध करते हुए कहा है कि 'सीएए को लेकर लोगों में जो संदेह, असमंजस व आशंकाएं हैं उन्हें पूरी तरह से दूर करने के बाद ही इसे लागू किया जाना ही बेहतर होता।'

दस सालों में 11 लाख उद्योगपति देश छोड़ गए...: केजरीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने भी मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना की है। उन्होंने कहा, 'पिछले दस सालों में 11 लाख से ज़्यादा व्यापारी और उद्योगपति इनकी नीतियों और अत्याचारों से तंग आकर देश छोड़कर चले गये। उन्हें वापिस लाने की बजाय ये पड़ोसी देश के ग़रीबों को लाकर भारत में बसाना चाहते हैं। क्यों? सिर्फ़ अपना वोट बैंक बनाने के लिए?'

केजरीवाल ने कहा, 'दस साल देश पर राज करने के बाद ऐन चुनाव के पहले मोदी सरकार सीएए लेकर आयी है। ऐसे वक़्त जब गरीब और मध्यम वर्ग महंगाई से कराह रहा है और बेरोज़गार युवा रोज़गार के लिए दर दर की ठोकरें खा रहा है, उन असली मुद्दों का समाधान करने की बजाय ये लोग सीएए लाये हैं।'

उन्होंने कहा, 'कह रहे हैं कि तीन पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता दी जाएगी। यानी ये पड़ोसी देशों के लोगों को भारत में लाकर बसाना चाहते हैं। क्यों? अपना वोट बैंक बनाने के लिए। जब हमारे युवाओं के पास रोज़गार नहीं है तो पड़ोसी देशों से आने वाले लोगों को रोज़गार कौन देगा? उनके लिए घर कौन बनाएगा? क्या बीजेपी उनको रोज़गार देगी? क्या बीजेपी उनके लिए घर बनाएगी?'

केजरीवाल ने कहा कि पूरा देश सीएए का विरोध करता है। उन्होंने कहा, 'पहले हमारे बच्चों को नौकरी दो, पहले हमारे लोगों को घर दो। फिर दूसरे देशों के लोगों को हमारे देश में लाना। पूरी दुनिया में हर देश दूसरे देशों के ग़रीबों को अपने देश में आने से रोकता है क्योंकि इस से स्थानीय लोगों के रोज़गार कम होते हैं। बीजेपी शायद दुनिया की अकेली पार्टी है जो पड़ोसी देशों के ग़रीबों को अपना वोट बैंक बनाने के लिए ये गंदी राजनीति कर रही है। ये देश के ख़िलाफ़ है।

उन्होंने कहा, 'ख़ासकर असम और पूरे उत्तर पूर्वी भारत के लोग इसका सख़्त विरोध करते हैं जो बांग्लादेश से होने वाले माइग्रेशन के शिकार रहे हैं और जिनकी भाषा और संस्कृति आज ख़तरे में है। बीजेपी ने असम और पूरे उत्तर पूर्वी राज्यों के लोगों को धोखा दिया है। लोग इसका लोक सभा चुनाव में जवाब देंगे।' 

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