कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने सवर्ण समेत आर्थिक रूप से पिछड़े सभी लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रस्ताव को चुनावी स्टंट क़रार दिया है। उसका कहना है कि सरकार रोज़गार के मौके नहीं बना रही है।
कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों को सरका्री नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में दाखिले के समय आरक्षण देने से जुड़े प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के मुद्दे पर नरेंद्र मोदी सरकार की मंशा पर सवालिया निशान लगाया है। उन्होंने सरकार से सवाल किया है कि वह आख़िर यह आreरक्षण देगी कैसे, यह साफ़ करे। उन्होंने कैबिनट के इस क़दम को चुनावी स्टेंट क़रार दिया।
कांग्रेस के आधिकारिक प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि सरकार आरक्षण की बात तो करती है, पर रोजगार के मौके इसने नहीं बनाए हैं। उन्होंने कहा कि बेरोज़गारी की दर 7.5 प्रतिशत है और यह बीते 23 महीने में उच्चतम स्तर पर है। सालाना दो करोड़ नौकरियाँ पैदा करने की बात करने वाली सरकार नए रोज़गार सृजन करने में बुरी तरह नाकाम रही है। उन्होने कहा कि कांग्रेस पार्टी आरक्षण का समर्थन करती है, पर सरकार यह बताए कि वह रोज़गार कब पैदा करेगी।
सुरजेवाला ने कहा, 'स्वयं सरकार ने संसद में यह माना है कि लगभग 24 लाख सरकारी पद खाली पड़े हैं। सरकार इन खाली पदों पर भी लोगों की बहाली नहीं कर रही है।'
नैशनल कॉन्फ़्रेंस के उमर अब्दुल्ला ने इस पर व्यंग्य करते हुए ट्वीट किया और लिखा, 'लगता है कि चुनाव का बिगुल बज गया है।'
केरल के मुख्यमंत्री और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी के पोलित ब्यूरो सदस्य पी विजयन ने इसका स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी हमेशा ही आर्थिक आधार पर आरक्षण की पक्षधर रही हैं, पर कुछ दूसरे लोग पूरी आरक्षण व्यवस्था को ही नष्ट करने पर तुले हुए हैं। उन्होंने कहा कि वे सरकार के इस क़दम का समर्थन करते हैं। पाटीदार आंदोलन के नेता हार्तिक पटेल ने सरकार के इस क़दम को 'मोदी का अंतिम वाण' बताया है
राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि आरक्षण का मूल मक़सद लोगों की आार्थिक स्थिति सुधारनी नहीं रहा है, बल्कि इसका उद्येश्य लोगों की भागीदारी बढ़ाना रहा है। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा, 'माली हालत ही सुधारनी है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर किसी के खाते में 15 लाख रुपये डलवा दें।'