- सामना का संपादकीय
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने जोरदार हमला करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने हिंदुत्व और हिंदुओं का ठेका नहीं लिया है। भरी संसद में मोदी, शाह और उनके भाजपा के मुखौटे को गांधी ने नोच डाला और केवल हंगामा हो गया। जिसके चलते पिछले 10 सालों में अमित शाह पर ऐसी नौबत आ गई कि उन्हें लोकसभा अध्यक्ष से संरक्षण मांगना पड़ा। इस बाबत गांधी को जितनी बधाई दी जाए उतना कम है।
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने मोदी के दैवत्व का सिंदूर खरोंच फेंका। राहुल गांधी ने कहा, ‘ये लोग हिंदुत्व के नाम पर दंगे करा रहे हैं। ये ईर्ष्या, नफरत फैला रहे हैं। सच्चा हिंदुत्व संयमी, उदारवादी और निडर होकर सच्चाई का समर्थन करता है।’ प्रधानमंत्री मोदी तमतमा उठे और बोले कि गांधी हिंदू समुदाय का अपमान कर रहे हैं। इस पर गांधी ने तीखा जवाब दिया, ‘सर, आप हिंदुत्व को समझे ही नहीं हैं। भाजपा का मतलब हिंदुत्व नहीं है।’ इस पर मोदी का चेहरा देखने लायक हो गया। किसी ने मोदी-शाह के क्षेत्र में घुसकर उन्हें इस तरह से नहीं सुनाया था। इस जोड़ी ने आतंक और क्रूर बहुमत के बल पर संसद को अपने एड़ी तले रखने की कोशिश की, लेकिन गांधी के नेतृत्व में एक मजबूत विपक्षी दल के लोकसभा में अवतरित होते ही हिंदुत्व के नाम पर मनमानी करने वालों का तांगा पलट गया है।
मोदी और शाह ने दस साल तक लोगों को धर्म के नाम पर खेलाते और लड़ाते रहे। गांधी ने लोकसभा अध्यक्ष बिड़ला को भी दर्पण दिखाया। ‘जब मैंने विपक्ष के नेता के तौर पर आपसे हाथ मिलाया था तो आप तन कर खड़े थे, लेकिन जब आपने मोदी से हाथ मिलाया तो आप झुक गए। इसका मतलब है कि लोकतंत्र ही झुक गया है ऐसा कहना पड़ेगा।’ गांधी के हमले से संसद के सम्मानित चमचे और अंधभक्त औंधे मुंह गिर गए।
एक ही झटके में 100 से अधिक सांसदों को निलंबित कर खाली सभागृह में महत्वपूर्ण कानून बनाने वाले लोकसभा अध्यक्ष को नेता प्रतिपक्ष ने जो तीखे शब्द सुनाए उससे पिछले दस साल से सोई हुई संसद की दीवारें भी जाग उठीं। ‘मैं बायोलॉजिकल नहीं, बल्कि ईश्वर का पुत्र हूं और ईश्वर से सीधे संवाद करता हूं।’ मोदी जी कहते हैं। गांधी ने इस अवतार की अच्छी तरह से खिल्ली उड़ाई। उन्होंने कहा, मोदी जी नोटबंदी का संदेश सीधे भगवान की तरफ से आया था क्या? मुंबई एयरपोर्ट अडानी को देने का ऑर्डर भी ऊपर से आया होगा खटाखट खटाखट। इस पर मोदी-शाह के पास लोकसभा अध्यक्ष से सुरक्षा मांगने के अलावा कोई चारा नहीं था।
नरेंद्र मोदी अपने ही कार्यों से संसद में उपहास का पात्र बन गए। मोदी भले ही जोड़-तोड़ से प्रधानमंत्री बन गए हों, लेकिन उनके नेतृत्व में गिरावट आनी शुरू हो गई है। गांधी ने एक और खुलासा किया। उन्होंने कहा, ‘मोदी अयोध्या से चुनाव लड़ना चाहते थे। उन्होंने तीन सर्वे कंपनियों को काम सौंपा। तीनों ने मोदी को रिपोर्ट दी कि मोदी जी, मोदी जी आप राम के रास्ते पर मत जाइए। अयोध्या के लोग हरा देंगे। इसलिए मोदी फिर वाराणसी चले गए और किसी तरह जीत गए!’
मोदी के सामने इतना उपहास किसी ने नहीं किया होगा। मोदी का हिंदुत्व नफरत और हिंसा फैलाने वाला है। हिंदू-मुस्लिम में झगड़ा लगाने वाला है, पीएम मोदी ने एक बार भी हिंसाग्रस्त मणिपुर का दौरा नहीं किया।
भाजपा भय और नफरत का जहर फैलाती है। यह राष्ट्रवाद नहीं है और यह हिंदुत्व तो नहीं ही है। हिंदू धर्म संस्कारी एवं सुसंस्कृत है। ये संस्कार भाजपा में नहीं है।
चुनाव प्रचार के दौरान मोदी को याद आया ‘मुजरा’। मुसलमान तुम्हारी पत्नियों के गले से मंगलसूत्र खींच लेंगे। अगर आपके दरवाजे पर दो भैंसें हैं तो एक भैंस ले ली जाएगी, ऐसे ऊटपटांग भाषणों के बावजूद मोदी को हिंदुओं के वोट नहीं मिले। महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, केरल, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में उनकी करारी हार हुई। मोदी का नकली हिंदुत्व का सिक्का बिल्कुल नहीं चला और सोमवार को राहुल गांधी ने संसद में मोदी-शाह को पस्त कर दिया।
एक तरफ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह, किरण रिजिजू, रविशंकर प्रसाद, भूपेंद्र यादव और दूसरी तरफ ‘अकेले’ राहुल गांधी इन सभी पर भारी पड़े। गांधी ने संसद में मोदी-शाह के अहंकार को चूर किया।
मोदी-शाह ईडी, सीबीआई का दुरुपयोग कर पूरे विपक्षी दल को आतंकित करते रहे। अब वक्त आ गया है कि इन अहंकारियों के लिए लोकसभा अध्यक्ष से राहुल गांधी, जो अब विपक्ष के नेता बन गए हैं, को रोकने और उनसे रक्षा करने के लिए याचिका दायर करने की। ये वक्त द्वारा लिया गया बदला है। आने वाले समय में मोदी-शाह को इससे भी बुरे दिन देखने पड़ेंगे। गांधी को रोकना आसान नहीं है। ये संदेश ईडी, सीबीआई तक गया ही होगा!
(शिवसेना यूबीटी के मुखपत्र सामना से साभार।)