फिर से साल 2014 के चुनाव याद आने लगे हैं। लगता है कांग्रेस के कुछ नेता शायद चाहते ही नहीं कि उनकी पार्टी को चुनावी फायदा हो जाए या उसकी संसदीय ताक़त बढ़ जाए। याद कीजिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर का वह ‘चायवाला’ का बयान, जिसमें बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी का मज़ाक़ उड़ाने की कोशिश की गई थी और मोदी उसी को लेकर पूरे चुनाव के दौरान कांग्रेस पर हमला करते रहे। बीजेपी ने आक्रामक तरीक़े से ‘चाय पर चर्चा’ कार्यक्रम शुरू करके पूरे चुनाव अभियान की हवा बदल दी।
साल 2019 के चुनाव से पहले खुद राहुल गांधी ने नारा दिया– ‘चौकीदार चोर है’, देखते ही देखते सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ‘मैं भी चौकीदार’ अभियान ने जगह ले ली और कांग्रेस के लिए उसका जवाब देना मुश्किल हो गया।
अगले साल की शुरुआत में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं जिसमें उत्तर प्रदेश जैसा बड़ा राज्य शामिल है। बीजेपी वहां राम मंदिर निर्माण शुरू होने के वादे पर खेल रही है तो इसके जवाब में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पूरे यूपी में मंदिर-मंदिर जाकर नरम हिंदुत्व के सहारे अपना चुनाव अभियान चला रही हैं और राहुल गांधी भी धोती पहन, जनेऊ धारण कर इस रास्ते पर चलने लगे हैं। ऐसे वक़्त में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद की नई किताब ‘सनराइज ओवर अयोध्याः नेशनहुड इन आवर टाइम्स’ ने नया विवाद शुरू कर दिया है। बीजेपी ने इस मसले को लपक लिया है और कांग्रेस नेतृत्व को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश होने लगी है।
कहा जाता है कि खुर्शीद ने अपनी इस किताब के एक चैप्टर में हिंदुत्व की तुलना आतंकवादी तंजीमों आईएसआईएस और बोको हरम से की है। खुर्शीद की किताब के दिल्ली में विमोचन के कार्यक्रम में दो और कांग्रेसी नेता मौजूद थे– पी चिदम्बरम और दिग्विजय सिंह। दोनों नेताओं की छवि हिन्दू विरोधी जैसी रही है। अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर टिप्पणी करते हुए चिदम्बरम ने कहा कि जिस तरह जेसिका लाल को किसी ने नहीं मारा, उसी तरह बाबरी मसजिद को भी किसी ने नहीं तोड़ा।
आपको शायद याद हो कि कांग्रेस के ही एक वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री विनोद शर्मा के बेटे मनु शर्मा ने 30 अप्रैल 1999 को जेसिका लाल की गोली मार कर हत्या कर दी थी, जिसके लिए उन्हें सजा का सामना करना पड़ा। जेसिका लाल पर फ़ैसले के वक़्त कुछ अख़बारों ने हैडलाइन बनाया था - 'नो वन किल्ड जेसिका'।
इसी कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का कहना था कि हिंदुत्व का हिंदू धर्म और सनातनी परपंराओं से कोई लेना-देना नहीं है। दरअसल, यह मूल सनातनी परपंराओं के ठीक उलट है।
बीजेपी यह आरोप बरसों से लगाती रही है कि दिग्विजय सिंह ने ही हिंदुओं के ख़िलाफ़ भगवा आतंकवाद शब्द गढ़ा था। इसी के नाम पर साध्वी प्रज्ञा और कुछ लोगों को गिरफ्तार कर जेल में रखा गया था।
उनके बयान पर टिप्पणी का वक़्त नहीं है लेकिन हिन्दुस्तान की राजनीति में ऐसे बयान अक्सर नुक़सान पहुँचाते हैं। खासतौर से तब जबकि कांग्रेस के दोनों आला नेता प्रियंका गांधी और राहुल गांधी नर्म हिंदुत्व के रास्ते पर चल रहे हैं। हर दिन दोनों नेता किसी ना किसा मंदिर या धार्मिक स्थल पर दर्शन के लिए जाते हुए दिख सकते हैं। जाहिर है कि बीजेपी इस मुद्दे को चुनाव के दौरान उछालने से नहीं चूकेगी। वैसे, इन सारे विवादों पर लेखक सलमान खुर्शीद ने कहा है कि ऐसे सवाल वो लोग उठा रहे हैं जो हिंदू धर्म के बारे में नहीं जानते और इसलाम को नहीं समझते। खुर्शीद का कहना है कि हिंदू धर्म बहुत सुंदर है।
बीजेपी हिंदुत्व पर अपनी दावेदारी जताने का कोई मौक़ा नहीं चूकना चाहती, साथ ही वो किसी ना किसी बहाने कांग्रेस की मुसलिम समर्थक छवि को भी उस पर चस्पा रखना चाहती है। कांग्रेस के कुछ नेता सलमान खुर्शीद के इस बयान से खुद को दूर रखने के लिए चुप्पी साधना बेहतर समझ रहे हैं, साथ ही उनका कहना है कि बीजेपी की कांग्रेस को हिंदू विरोधी बताने की कोशिश किसी हाल में कामयाब नहीं होगी।
यूँ तो एक ज़माने में साल 1989 के आम चुनावों में कांग्रेस के चुनाव अभियान की शुरुआत राजीव गांधी ने अयोध्या से की थी। फिर साल 2017 के विधानसभा चुनावों में राहुल गांधी ने मंदिरों और मठों की परिक्रमा शुरू की थी। फिर उन्होंने बताया कि वे जनेऊधारी ब्राह्मण हैं और अपने ब्राह्मण होने के दावा को पुख्ता करने के लिए अपना गौत्र भी बताया। इसका कुछ हद तक राजनीतिक फायदा भी हुआ। गुजरात में कांग्रेस की सरकार भले ही नहीं बन पाई हो, लेकिन उसने अपनी स्थिति काफी मज़बूत की थी।
अब यूपी विधानसभा चुनावों से पहले ही प्रियंका गांधी वाड्रा हिंदुत्व के रास्ते पर उतर गई हैं। पिछले दिनों उन्होंने वाराणसी में जब न्याय रैली का आयोजन किया तो उनके माथे पर चंदन का त्रिपुंड चमक रहा था। वो बाबा विश्वनाथ के मंदिर में दर्शन करने भी पहुंचती हैं और नवरात्र में देवी मां के जयकारे भी लगाती हैं। अलग-अलग मंदिरों में वो पूजा करने की तसवीरें जारी करने से नहीं चूक रहीं। रुद्राक्ष की माला में भी उनके गले में हिंदू होने की निशानी को राजनीतिक मज़बूती देती है। यह अलग बात है कि ज़्यादातर हिंदू रुद्राक्ष माला नहीं पहनते। बीजेपी के नेता अक्सर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शारदीय नवरात्र के व्रत उपवास का खासा प्रचार करते हैं। इसके जवाब में प्रियंका गांधी ने रैली में बताया कि आज नवरात्र का चौथा दिन है और मेरा व्रत है। यानी वो किसी से कम हिंदू नहीं हैं।
खुर्शीद की किताब के एक चैप्टर ‘द सेफ्रन स्काई’ में हिंदुत्व पर इस टिप्पणी पर सबसे पहले बीजेपी के नेता अमित मालवीय ने बोला। अमित मालवीय बीजेपी के सोशल मीडिया को देखते हैं और वो इसकी ताक़त को बखूबी समझते हैं। उनकी कोशिश का नतीजा रहा कि एक ही दिन में यह विवाद हंगामे में बदल गया। बीजेपी के दूसरे नेता और प्रवक्ता गौरव भाटिया ने इसे आगे बढ़ाते हुए सलमान खुर्शीद के साथ-साथ कांग्रेस के आला नेताओं को भी शामिल कर लिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की विचारधारा हिंदुओं से नफ़रत करने की है।
भाटिया ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी इस पर अपनी राय रखने की बात की तो राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को घेरते हुए कहा कि वो इच्छाधारी हिंदू हैं यानी जब इच्छा हो हिंदुत्व के दुशाला को ओढ़ लेते हैं। उत्तर प्रदेश की चुनावी ज़मीन वैसे ही धर्म की राजनीति के लिए खासी उपजाऊ है तो चुनावों से ऐन पहले इस तरह का बयान उसकी राजनीतिक फ़सल को पकने से पहले ही ख़त्म कर देगी।
इस मसले पर दिल्ली में सलमान खुर्शीद के ख़िलाफ़ हिंदुत्व को बदनाम करने की कोशिश के आरोप की शिकायत दर्ज करा दी गई है यानी उसे लंबा खींचने की तैयारी है।
अभी राहुल गांधी ‘महात्मा गांधी की हत्या में आरएसएस का नाम’ शामिल करने पर देश भर में कई अदालतों में चक्कर लगा रहे हैं। खुर्शीद का यह बयान कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा सकता है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने मुझसे कहा कि बीजेपी सलमान खुर्शीद को हिंदू विरोधी नेता बताने में लगी है जबकि हमारे यहाँ हाल यह है कि एक ज़माने पहले जब उत्तर प्रदेश से सलमान खुर्शीद को कांग्रेस नेतृत्व ने टिकट दिया तो उस शहर में कांग्रेसी नेताओं ने विरोध में नारा लगाया- ‘हमने मांगा मुसलमान, आपने दिया सलमान’। यानी मुसलिम समाज खुर्शीद को मुसलिम नेता मानने को तैयार नहीं है। यह इसलिए भी अहम है क्योंकि खुर्शीद पर कांग्रेस का चुनावी घोषणा पत्र बनाने की ज़िम्मेदारी भी है।
फ़ाइल फ़ोटो
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में अब सौ दिन भी नहीं बचे हैं और वोटिंग के लिए राजनीतिक दलों ने उलटी गिनती शुरू कर दी है। इस दौरान हर घटना और बयान के खास मायने होते हैं। ऐसे में कोई भी ग़लती किसी के लिए भी महंगी पड़ सकती है। खासतौर से यह समझना कि इस एक मुद्दे से क्या फर्क पड़ जाएगा, चुनावी भविष्य को मुश्किल में डाल सकता है। चुनावी राजनीति में छवि अहम होती है यानी आपके कुछ होने से ज़्यादा अहम होता है कि आप लोगों के मन में उस छवि को बिठा सकें। असली और नकली होने की बहस यूँ तो बेमायना हो सकती है लेकिन यदि कोई आपकी छवि नकली बनाने में जुट जाए तो आपसे कामयाबी भी छीनना नामुमकिन नहीं।