+
क्या महाराष्ट्र में घर वापसी करेंगे बीजेपी नेता? 

क्या महाराष्ट्र में घर वापसी करेंगे बीजेपी नेता? 

महाराष्ट्र में ऑपरेशन लोटस चलेगा या घर वापसी होगी! यह सवाल इन दिनों प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। 

महाराष्ट्र में ऑपरेशन लोटस चलेगा या घर वापसी होगी! यह सवाल इन दिनों प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। राजस्थान के एपिसोड के बाद इस पर चर्चाएं कुछ ज्यादा ही बढ़ गयी हैं। लेकिन पहले जो चर्चाएं बंद दरवाजों के भीतर हुआ करती थीं, अब उनको लेकर सार्वजनिक रूप से बयान दिए जाने लगे हैं। 

एक सप्ताह में महाराष्ट्र की राजनीति में कई महत्वपूर्ण बयान आये हैं। पहला बयान आया प्रदेश की वर्तमान सरकार के शिल्पकार शरद पवार का।

शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के कार्यकारी संपादक व राज्यसभा सदस्य संजय राउत को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, “प्रदेश में ऑपरेशन लोटस सफल नहीं होगा क्योंकि यहां मैं बैठा हूँ।” उसके बाद बयान आया उनके करीबी तथा महाराष्ट्र की राजनीति के मंझे हुए नेता छगन भुजबल का। 

देवेंद्र फडणवीस बार-बार दिल्ली का दौरा और प्रदेश सरकार के गिरने की बात इसलिए करते हैं जिससे वे बीजेपी के 105 विधायकों को संभाल कर रख सकें।


छगन भुजबल, पूर्व उप मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र

शाह से मिले फडणवीस

फिर कांग्रेस की नेता तथा मंत्री यशोमति ठाकुर का भी बयान आया। उन्होंने कहा, “जैसे ही देवेंद्र फडणवीस को इस बात की भनक लगी कि उनकी पार्टी के कुछ विधायक हमारे संपर्क में हैं, वे अपने शीर्ष नेताओं से मिलने दिल्ली निकल लिए!” कुछ देर बाद दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाक़ात के बाद देवेंद्र फडणवीस का भी बयान आ गया। उन्होंने फिर एक बार राज्य में सरकार के गिरने की बात कही और कहा, “हमें अब इसकी कोई चिंता नहीं है। यह सरकार अपने आप गिर जाएगी।” 

फडणवीस ने कहा कि वे प्रदेश की गन्ना मिलों की समस्याओं और उनके राहत पैकेज के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए दिल्ली आये हुए हैं और शाह से उनकी बैठक में किसी राजनीतिक विषय पर चर्चा नहीं हुई।

फडणवीस का बयान दो कारणों से सबको अटपटा लगा। पहला, अमित शाह से बैठक में राजनीति पर चर्चा नहीं होने का। दूसरा, शुगर लॉबी के पैकेज का।

यह सबको पता है कि केंद्र में जब से मोदी सरकार आयी है महाराष्ट्र की शुगर लॉबी का प्रतिनिधित्व नितिन गडकरी करते हैं क्योंकि वे भी शुगर मिल संचालित करते हैं और इस मुद्दे पर वर्षों से उनकी पकड़ है। गडकरी के रहते इस लॉबी के पैकेज की बात अकेले फडणवीस द्वारा किये जाने की बात कुछ हजम होने जैसी नहीं है। 

फडणवीस दिल्ली में ही हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का इंतज़ार कर रहे हैं। यह बात सही है कि उनके साथ गन्ना मिलों या महाराष्ट्र में जिसे शुगर लॉबी बोला जाता है, से संबद्ध नेता भी गए हैं। लेकिन बात सिर्फ बयानों तक ही सीमित नहीं है। 

ठाकरे की पवार संग बैठक 

शरद पवार ने जो इंटरव्यू दिया था उसमें उन्होंने राजस्थान में विधायकों की खरीद-फरोख़्त के संकेत भी दिए थे। यहां गौर करने वाली बात यह है कि राजस्थान का एपिसोड शुरू होने से करीब एक सप्ताह पहले यह इंटरव्यू लिया गया था। जिस दिन राजस्थान के विधायक सचिन पायलट के साथ दिल्ली रवाना हुए थे, उसी रात शरद पवार मुंबई में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे तथा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष और वर्तमान सरकार में राजस्व मंत्री बाला साहब थोरात के साथ बैठक कर रहे थे। 

उद्धव ठाकरे ने भी शुक्रवार को अपने सभी सांसदों के साथ बैठक की। सभी को स्पष्ट रूप से निर्देश भी दिए गए कि उनके जिले में या लोकसभा क्षेत्र में क्या राजनीति चल रही है, इस पर बारीक नज़र रखें। 

कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता सचिन सावंत की तरफ से एक प्रेस रिलीज भी आयी, जिसमें कहा गया कि कर्नाटक के बाद राजस्थान की सत्ता गिराने तथा विधायकों को खरीदने के लिए चंदा मुंबई और महाराष्ट्र से इकठ्ठा किया गया और इसमें इनकम टैक्स तथा ईडी के दबाव का इस्तेमाल किया गया। 

कांग्रेस नेता ने कहा कि इस बात की जानकारी उन्होंने प्रदेश के गृहमंत्री को दे दी है तथा छानबीन करने की अपील की है। इस बात के दो अर्थ निकाले जा रहे हैं। पहला यह कि केंद्र सरकार की जांच एजेंसियों के इस प्रकार के दबाव तंत्र पर नजर रखी जाए तथा दूसरा कहीं महाराष्ट्र या मुंबई में ही इस प्रकार से पैसे इकट्ठे कर महाराष्ट्र सरकार को अस्थिर करने की तो कोई साजिश नहीं चल रही है। 

छगन भुजबल और यशोमति ठाकुर ने जो बात कही है, वह नई नहीं है। प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा बहुत दिनों से है और शायद कोरोना की वजह से कोई राजनीतिक उथल-पुथल नहीं हो पायी है।

असरदार है शुगर लॉबी 

दरअसल, महाराष्ट्र की राजनीति में शुगर लॉबी का बहुत दखल है। पहले इस लॉबी पर कांग्रेस का अधिपत्य हुआ करता था। बाद में जब शरद पवार अलग हुए तो उन्होंने इसका एक हिस्सा अपने साथ जोड़ लिया। पहली बार जब शिवसेना-बीजेपी की सरकार आयी तो तत्कालीन उप मुख्यमंत्री गोपीनाथ मुंडे ने इस लॉबी में बीजेपी को घुसाने की कोशिश की और कुछ हद तक सफल भी रहे। आज मुंडे परिवार और नितिन गडकरी परिवार की भी तीन-तीन शुगर मिलें हैं। 

2019 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले देवेंद्र फडणवीस ने राष्ट्रवादी कांग्रेस और कांग्रेस के जिन विधायकों को बड़ी संख्या में तोड़कर बीजेपी में प्रवेश दिलाया था उनमें से अधिकाँश शुगर लॉबी के ही थे। 

महाराष्ट्र में शुगर लॉबी हमेशा सरकार से जुड़ी रहती है क्योंकि सरकार से उद्योगपतियों को सब्सिडी, कर्ज आदि के रूप में आर्थिक सहयोग मिलता रहता है।

महाराष्ट्र सहकारी बैंक घोटाले का जो प्रकरण है जिसमें उप मुख्यमंत्री अजीत पवार का नाम बार-बार उछला, वह इसी बात को दर्शाता है कि यह लॉबी सरकार के करीब रहकर या सरकार में बैठकर किस तरह से बैंकों से असुरक्षित या बिना गारंटी वाला कर्ज भी हासिल करती रहती है। 

बदले समीकरण से बिगड़ा खेल 

दरअसल, विधानसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र में किसी ने यह नहीं सोचा था कि आने वाली सरकार का ऐसा भी समीकरण बन सकता है। यह लॉबी केंद्र में बीजेपी को मिली जीत के बाद आश्वस्त हो गयी थी कि प्रदेश में बीजेपी की ही सरकार आएगी। इसका परिणाम यह हुआ कि चार साल विरोधी पक्ष के नेता रहे राधाकृष्ण विखे पाटिल जो अनेकों बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक रहे और मंत्री बने तथा जिनके पिता 9 बार कांग्रेस के टिकट से सांसद का चुनाव जीते, बीजेपी में चले गये। 

शरद पवार के करीबी जिनको उन्होंने उप मुख्यमंत्री तक का पद दिया था और अजीत पवार की ससुराल पक्ष के लोगों तक ने उस माहौल में उनका साथ छोड़ बीजेपी का कमल थाम लिया था। लेकिन जब सत्ता का नया समीकरण प्रदेश में बना तो इन दल-बदलू नेताओं की बैचेनी बढ़ने लगी। दल बदलने वाले आधे से अधिक विधायक जो चुनाव हार गए, की स्थिति तो "माया मिली न राम" जैसी हो गयी है। 

इस तरह की ख़बरें बहुत दिनों से चर्चा में हैं कि जो लोग छोड़ कर गए थे वे फिर से अपनी पुरानी पार्टी के नेताओं से संपर्क करने लगे हैं। ऐसे में शरद पवार के बाद भुजबल और यशोमति ठाकुर का बयान आना नई राजनीतिक हलचल का संकेत दे रहा है।  

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें