जो दल बीजेपी को हराना चाहते हैं, उनसे गठबंधन के लिए तैयार: राजभर
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने शुक्रवार को कहा है कि बीजेपी डूबती हुई नैया है, जिसको इनके रथ पर सवार होना है हो जाये लेकिन वे इस पर सवार नहीं होंगे। राजभर ने कहा कि जो भी राजनीतिक दल उत्तर प्रदेश में बीजेपी को हराना चाहते हैं, हम उनसे गठबंधन करने के लिए तैयार हैं।
ओम प्रकाश राजभर अपनी बुलंद आवाज़ और अलग तेवरों के लिए जाने जाते हैं। 2017 में योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री बनने वाले ओम प्रकाश राजभर आए दिन सरकार से भिड़ते रहे और बाद में वह सरकार से बाहर भी निकल गए।
राजभर ने कहा है कि जिन मुद्दों को लेकर उन्होंने बीजेपी से समझौता किया था, सरकार बनने के साढ़े चार साल के बाद भी एक भी मुद्दा हल नहीं हुआ है।
पूर्व कैबिनेट मंत्री राजभर ने कहा कि बीजेपी सरकार ने यूपी में शिक्षक भर्ती में पिछड़ों का हक लूटा और अब वह किस मुंह से पिछड़ों से वोट मांगने आएगी। राजभर ने कहा कि जब चुनाव नजदीक आता है तो बीजेपी को पिछड़ों की याद आती है और जब मुख्यमंत्री बनाना होता है तो बाहर से लाकर बना देते हैं।
राजभर चाहते हैं कि पिछड़ों के 27 प्रतिशत आरक्षण को तीन हिस्सों में बांटा जाए। राजभर का कहना है कि कुछ पिछड़ी जातियों को पिछड़ों के आरक्षण का सही हक़ नहीं मिल पाया और ये हमेशा वंचित ही रहीं।
भागीदारी संकल्प मोर्चा
ओमप्रकाश राजभर अति पिछड़ों के साथ ही दलितों-मुसलमानों का गठजोड़ बनाकर उत्तर प्रदेश के सियासी समर में उतरना चाहते हैं। उन्होंने कई छोटे दलों को मिलाकर भागीदारी संकल्प मोर्चा बनाया है और इसमें वह अब तक दस दलों को जोड़ चुके हैं। इसमें उनकी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अलावा पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा की जन अधिकार पार्टी, कृष्णा पटेल का अपना दल, ओवैसी की एआईएमआईएम शामिल हैं। इसके अलावा वह आम आदमी पार्टी और शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) को भी इसमें शामिल करने की कोशिश कर रहे हैं।
अखिलेश भी जुटे
एसपी मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी उत्तर प्रदेश के चुनावों को नज़दीक आते देख एक बार फिर से गठबंधन की दिशा में क़दम बढ़ाया है। अखिलेश इससे पहले बीएसपी और कांग्रेस के साथ भी गठबंधन कर चुके हैं।
आरएलडी के साथ चल रहे अपने गठबंधन में उन्होंने आज़ाद समाज पार्टी के अलावा कुछ और छोटे राजनीतिक दलों को जोड़ने की कवायद शुरू की है। क्योंकि अखिलेश जानते हैं कि बीजेपी को हराने के लिए वोटों के बंटवारे को रोकना बेहद ज़रूरी है और यह काम गठबंधन ही कर सकता है।