सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अजीब सा वाकिया देखने को मिला, शुरुआत हुई एक बैंच द्वारा मामला दूसरी बैंच में भेजे जाने को लेकर जिसपर दूसरी बैंच ने खुले तौर पर अपनी नाखुशी जताई। दूसरी बैंच जिसे केस ट्रांसफर किया गया था, उसका कहना है कि कोर्ट की बनी-बनाई परंपरा है, और वह परंपरा यह है कि केस की सुनवाई कौन सी बैंच करेगी इसका निर्णय चीफ जस्टिस करते हैं।
सीजेआई "मास्टर ऑफ रोस्टर" का प्रयोग करते हुए मामले बेंचों को सौंपते हैं। जूनियर जज इस मसले का निर्धारण नहीं करते हैं कि मामले को किसी अन्य बैंच के समक्ष सूचीबद्ध किया जाना चाहिए। सोमवार को कोर्ट में इस परंपरा का पालन न किए जाने पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की बैंच नाराज हो गई और अपनी नाखुशी जाहिर की।
इस वाकिये की शुरुआत हुई कि जस्टिस एमआर शाह और सीटी रविकुमार की बेंच ने 27 फरवरी को एक आदेश पारित किया जिमसें निर्देशित किया गया था कि जस्टिस बीआर गवई के नेतृत्व वाली बेंच के समक्ष मामला सूचीबद्ध किया जाए।
जस्टिस शाह की बैंच ने यह आदेश इसलिए दिया था कि मामले की उसी मामला एक बार पहले जस्टिस गवई की बैंच के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था। जस्टिस शाह ने इस आदेश को पारित करते हुए कहा कि , "वर्तमान आवेदन को जल्द से जल्द जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बैंच के समक्ष रखा जाए।"
जब मामला जस्टिस गवई की बैंच के सामने आया तो बैंच ने एक समन्वयित बैंच को मामला सौंपे जाने पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि " यदि किन्हीं विशेष परिस्थितियों में किसी विशेष बैंच को है कि मामले को किसी दूसरी बैंच के समक्ष रखने की आवश्यकता है, तो इसके लिए उचित आदेश के लिए मामले को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखने का निर्देश देना आवश्यक है।" जस्टिस गवई की बैंच ने दूसरी बैंच के आदेश पर लिस्टिंग की अस्वीकृति दर्ज की। जस्टिस गवई ने यह भी कहा कि सितंबर 2022 में उनकी बैंच के समक्ष मामले को सूचीबद्ध किए जाने पर कोई प्रभावी आदेश पारित नहीं किया गया था।
जस्टिस गवई ने यह भी समझाया, "यह इस न्यायालय की एक सामान्य प्रथा है कि मामला उस न्यायाधीश को सौंपा जाता जो बेंच का हिस्सा है, जिसने मामले में एक प्रभावी आदेश पारित किया हो।"
यह देखते हुए कि वर्तमान कार्यवाही में प्रभावी आदेश जस्टिस एएम खानविलकर (अब सेवानिवृत्त) और जस्टिस सीटी रविकुमार की बैंच द्वारा पारित किया गया था। जस्टिस गवई की बैंच ने आदेश दिया, “चूंकि एक आदेश उस पीठ द्वारा पारित किया गया था जिसमें जस्टिस सीटी रविकुमार सदस्य थे, इस मामले को भी उस पीठ का पालन करना चाहिए था जिसका वह हिस्सा हैं। इस मामले में उचित आदेश के लिए बैंच रजिस्ट्री निर्देश देती है कि वह मामले को चीफ जस्टिस के समक्ष रखे।