क्या इमरान खान पागल हो गए हैं?
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने मंगलवार को पाकिस्तानी संसद को संबोधित करते हुए कहा कि ‘इसमें कोई शक नहीं है कि भारत कराची स्टॉक एक्सचेंज पर हमले का ज़िम्मेदार है’।
अतिशयोक्ति और झूठ बोलना नेताओं में प्रायः आम बात होती है लेकिन यह कथन वास्तव में सबसे बदतर है!
इस दावे के समर्थन में सबूत कहाँ हैं या अब इन सबूतों का निर्माण किया जाएगा
इमरान ख़ान ने यह भी कहा कि उनके मंत्रिमंडल को इस हमले के बारे में दो महीने पहले ही पता चल गया था। लेकिन न तो उन्होंने और न ही उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों, जैसे उनके विश्वस्त फवाद चौधरी, ने पहले कभी इसका उल्लेख किया।
बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के मजीद ब्रिगेड ने हमले की ज़िम्मेदारी ली है जिसमें ग्रेनेड और राइफल का इस्तेमाल किया गया और कई लोग मारे गए। कुछ पाकिस्तानियों ने जैसे कि अमजद शोएब, एक पाकिस्तानी रक्षा विश्लेषक और सेवानिवृत्त जनरल, बिना किसी विलम्ब के ये बयान दिए कि भारत बी एल ए को हथियार, प्रशिक्षण और धन मुहैया करा रहा है। लेकिन इसका सबूत कहाँ है
भारत और बलूचिस्तान के बीच कोई सन्निहित सीमा नहीं है। भारतीय सीमा सिंध और पंजाब से लगी हुई है और इस सीमा पर बहुत कड़ी सुरक्षा है।
फिर भारतीय हथियार बलूचिस्तान तक कैसे पहुँच सकते हैं और भारत द्वारा बी एल ए को प्रशिक्षण या धन उपलब्ध करावाने का प्रमाण कहाँ है।
पाकिस्तान सरकार के कुप्रबंधन के कारण आज पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमरा गयी है, लोग घोर संकट में हैं, व्यापक पैमाने पर भयंकर ग़रीबी, बढ़ती बेरोज़गारी, बाल कुपोषण के चौंकाने वाले आँकड़े सामने आ रहे हैं, स्वास्थ्य सेवायें अत्यंत दुर्लभ हैं और अधिकाँश जनता के लिए अच्छी शिक्षा या शैक्षणिक संस्थान तक उपलब्ध नहीं है।
इसलिए जनता का ध्यान हटाने के लिए ऐसे मुद्दों और बहानों का इजाद किया जा रहा है। पाकिस्तानी अधिकारियों के लिए ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीक़ा है, भारत को पाकिस्तान की सभी बीमारियों के लिए दोषी ठहराना।
एसप की दंतकथाओं (Aesop's fables ) में एक ऐसे लड़के की कहानी है जो ‘भेड़िया आया, भेड़िया आया’ चिल्ला कर गाँव वालों को बेवक़ूफ़ बनाता है मानो भेड़ के झुंड पर भेड़िया हमला करने वाला हो। बाद में जब एक असली भेड़िये ने भेड़ पर हमला किया और जब लड़के ने मदद की गुहार की तब इस बार गाँव वालों ने उस पर विश्वास नहीं किया और भेड़िये ने सभी भेड़ों को मार डाला।
इमरान ख़ान को अच्छी तरह से इस कहानी को पढ़ने की ज़रूरत है, और जनता की नज़र में ख़ुद को हर बार मूर्ख साबित करना बंद करने की भी।