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हिरासत में बंद उमर, फारूक़ से दो माह बाद मिल पाए नेशनल कॉन्फ़्रेंस नेता

हिरासत में बंद उमर, फारूक़ से दो माह बाद मिल पाए नेशनल कॉन्फ़्रेंस नेता

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 में बदलाव के दो महीने बाद पहली बार उमर अब्दुल्ला और उनके पिता फारूक़ अब्दुल्ला को अपनी पार्टी नेशनल कॉन्फ़्रेंस के नेताओं से मिलने दिया गया। 

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 में बदलाव के दो महीने बाद पहली बार उमर अब्दुल्ला और उनके पिता फारूक़ अब्दुल्ला को अपनी पार्टी नेशनल कॉन्फ़्रेंस यानी एनसी के नेताओं से मिलने दिया गया। दो महीने से दोनों नेताओं को अलग-अलग उनके अपने आवास पर हिरासत में रखा गया है। इनसे मिलने के लिए रविवार को पार्टी के 15 नेताओं का प्रतिनिधिमंडल श्रीनगर गया था। 

प्रतिनिधिमंडल में शामिल पार्टी के प्रांतीय अध्यक्ष देवेंद्र सिंह राणा ने उनके साथ बैठक के बाद एक न्यूज़ एजेंसी से कहा कि हमें ख़ुशी है कि दोनों कुशल मंगल हैं। लेकिन साथ में उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में लिए गए फ़ैसलों से वे दुखी हैं। उन्होंने कहा कि यदि राज्य में राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करनी है तो मुख्य धारा के नेताओं को रिहा करना होगा। 

जब प्रतिनिधिमंडल के साथ नेशनल कॉन्फ़्रेंस के नेता फारूक़ अब्दुल्ला बाहर आए तो उन्होंने मीडिया के सामने हाथ उठाकर ऊँगलियों से विक्टरी का संकेत किया। उनके साथ उनकी पत्नी मॉली अब्दुल्ला भी थीं। वे सभी मीडिया के लिए फ़ोटोग्राफ़ देने के लिए बाहर आए थे।

नेशनल कॉन्फ़्रेंस के वरिष्ठ नेता अकबर लोन और हसनैन मसूदी ने कहा है कि पार्टी राज्य में होने वाले ब्लॉक डवलपमेंट काउंसिल यानी बीडीसी के चुनाव में भाग नहीं लेगी क्योंकि पूरा नेतृत्व जेल में है। जम्‍मू-कश्‍मीर में अनुच्‍छेद 370 और 35ए को हटाए जाने के बाद पहली बार स्थानीय निकायों के चुनाव होने जा रहे हैं। बता दें कि दोनों ही पार्टियों के आला नेता, फारूक़ अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला और पीडीपी की महबूबा मुफ़्ती हिरासत में हैं। बीडीसी चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तारीख़ 9 अक्टूबर है।

बता दें कि पाँच अगस्त को अनुच्छेद 370 में बदलाव किए जाने के बाद से ही कश्मीर में पाबंदी लगी है। कुछ जगहों पर पाबंदी में छूट दी गई है, लेकिन स्थिति बेहतर नहीं है। केंद्र सरकार ने 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों में फेरबदल किया था। इससे राज्य को प्राप्त विशेष दर्जा समाप्त हो गया था। राज्य को दो हिस्सों में बाँटकर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है। इस फ़ैसले के बाद से क्षेत्र में पाबंदी लगा दी गई है। 

एक रिपोर्ट के मुताबिक़ 400 से ज़्यादा नेताओं को गिरफ़्तार किया गया है। इसमें दो पूर्व मुख्यमंत्री भी शामिल हैं। भारी संख्या में सशस्त्र बल तैनात किए गए हैं। पूरे क्षेत्र में संचार माध्यम बंद कर दिए गए और आवाजाही पर पाबंदी लगा दी गई। हालाँकि हाल के दिनों में कुछ जगहों पर संचार माध्यमों की बहाली और पाबंदी हटाए जाने की ख़बरें हैं। लेकिन अभी भी वहाँ सामान्य स्थिति बहाल नहीं हुई है और घाटी में तो स्थिति ज़्यादा ही ख़राब है। ऐसी ही स्थिति में अब राज्य में बीडीसी के चुनाव होने जा रहे हैं। 

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