भारत को खाड़ी देशों की चेतावनी, कोरोना के नाम पर इसलामोफ़ोबिया बंद हो
कोरोना वायरस संक्रमण फैलाने के लिए मुसलमानों को ज़िम्मेदार ठहराने की कथित कोशिश पर पूरी इसलामी दुनिया में भारत की किरकिरी हो रही है।
ऑर्गनाइजेशन ऑफ़ इसलामिक कोऑपरेशन ने कहा है कि कोविड-19 फैलने के मुद्दे पर भारत में मुसलमानों के ख़िलाफ़ प्रचार अभियान चलाया जा रहा है, उन्हें निशाने पर लिया जा रहा है और मीडिया में उनके बारे में ग़लत बातें फैलाई जा रही हैं, नतीजतन उनके ख़िलाफ़ हिंसा हो रही है।
1/2 #OIC-IPHRC condemns the unrelenting vicious #Islamophobic campaign in #India maligning Muslims for spread of #COVID-19 as well as their negative profiling in media subjecting them to discrimination & violence with impunity.
— OIC-IPHRC (@OIC_IPHRC) April 19, 2020
ओआईसी 57 देशों का संगठन है, जिसके ज़्यादातर सदस्यों के साथ भारत के साथ मधुर रिश्ते दशकों से रहे हैं। वे भी भारत के खि़लाफ़ बोल रहे हैं। संयुक्त अरब अमीरात का मामला साफ़ है।
यूएई की शहजादी नाराज़
अमीरात की शहजादी हेंद अल क़सीमी ने ट्वीट कर इस पर चिंता जताई है कि तबलीग़ी जमात के धार्मिक कार्यक्रम के बाद से मुसलमानों को बदनाम किया जा रहा है।Anyone that is openly racist and discriminatory in the UAE will be fined and made to leave. An example; pic.twitter.com/nJW7XS5xGx
— Princess Hend Al Qassimi (@LadyVelvet_HFQ) April 15, 2020
बता दें कि तबलीग़ी जमात के दिल्ली में हुए एक धार्मिक कार्यक्रम के बाद जमात के कई लोगों को कोरोना से संक्रमित पाया गया।
निशाने पर मुसलमान!
लेकिन उसके बाद मीडिया के एक बड़े हिस्से में ऐसा नैरेटिव खड़ा किया गया मानो पूरा मुसलमान समुदाय ही इसके लिए ज़िम्मेदार है। बीजेपी और हिन्दुत्ववादी संगठनों से जुड़े कुछ लोगों ने मुसलमानों को कोरोना वायरस के संक्रमण के लिए ज़िम्मेदार ठहराना शुरू कर दिया।नतीजा यह हुआ कि कुछ इलाकों में मुसलमानों के ख़िलाफ़ हमले हुए। हिमाचल प्रदेश में एक जगह मुसलमानों पर हमला हुआ। एक दूसरी घटना में एक मुसलमान ने लोगों के तानों से तंग आकर आत्महत्या कर ली।
भारत की सफ़ाई
संयुक्त अरब अमीरात में भारत के राजदूत पवन कपूर ने ट्वीट कर कहा कि 'भारत और संयुक्त अरब अमीरात किसी भी आधार पर भेदभाव के ख़िलाफ़ हैं। किसी भी तरह का भेदभाव हमारे नैतिक तानाबाना और नियम क़ानून के ख़िलाफ़ है। अमीरात में रहने वाले सभी भारतीयों को यह हमेशा याद रखना चाहिए।'इतना ही नहीं, भारत के राजदूत को प्रधानमंत्री कार्यालय का ट्वीट शेयर करना पड़ा ताकि वह यह कह सकें कि भारत में नस्ल, जाति, रंग या धर्म के नाम पर किसी से भेदभाव नहीं किया जाता है।
India and UAE share the value of non-discrimination on any grounds. Discrimination is against our moral fabric and the Rule of law. Indian nationals in the UAE should always remember this. https://t.co/8Ui6L9EKpc
— Amb Pavan Kapoor (@AmbKapoor) April 20, 2020
इसके पहले बीजेपी के नेता तेजस्वी सूर्य ने अरब महिलाओं के बारे में घनघोर आपत्तिजनक टिप्पणी ट्विटर पर की थी। इसका अरब जगत में ज़बरदस्त विरोध हुआ।
@PMOIndia Respected Prime minister @narendramodi India's relation with the Arab world has been that of mutual respect. Do you allow your parliamentarian to publicly humiliate our women We expect your urgent punitive action against @Tejasvi_Surya for his disgraceful comment. pic.twitter.com/emymJrc5aU
— المحامي⚖مجبل الشريكة (@MJALSHRIKA) April 19, 2020
पूरे अरब जगत में तेजस्वी सूर्या के ट्वीट पर बहुत ही बवाल मचा। स्थानीय लोगों ने तो विरोध किया ही, वहाँ रहने वाले भारतीयों ने भी इसका विरोध किया।
कई ट्विटर यूजर्स ने तेजस्वी सूर्या के इस बयान को अपमानजनक बताते हुए उनसे माफ़ी माँगने को कहा। कुछ लोगों ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उन पर कार्रवाई करनी चाहिए। कुछ लोगों ने ट्विटर से शिकायत करते हुए तेजस्वी के अकाउंट को डिएक्टिवेट करने की मांग की।
भारत की फ़जीहत
भारत की यह छीछालेदर विशेष चिंता की बात इसलिए भी है कि ओआईसी समेत तीसरी दुनिया के तमाम देश भारत को अपना नेता मानते थे, भारत पर भरोसा करते थे।
ये देश मुसलमान बहुल या इसलामी राष्ट्र होते हुए भी कश्मीर जैसे मुद्दे पर भी पाकिस्तान के साथ नहीं भारत के साथ खड़े होते थे।
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर वे पाकिस्तान का विरोध करते थे, संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के प्रस्ताव के ख़िलाफ़ मतदान करते थे। लेकिन आज वे ही भारत का विरोध करते हैं, भारत को नसीहत देते हैं और भारत पर इसलामोफ़ोबिया जैसा गंभीर आरोप लगता हैं। यह आरोप उस भारत के ख़िलाफ़ लग रहा है, जहाँ इन्डोनेशिया के बाद दुनिया के सबसे ज़्यादा मुसलमान रहते हैं।
बीते कुछ समय से ऑर्गनाइजेशन ऑफ़ इसलामिक कोऑपरेशन के साथ भारत के रिश्तों में तल्ख़ी आई है। पहले कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म करने के मुद्दे पर और उसके बाद नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) पर ओआईसी ने भारत की खुल कर आलोचना की थी।
लेकिन पारंपरिक रूप से इसलामी देशों के इस संगठन के साथ भारत के बेहतर व्यापारिक रिश्ते रहे हैं। भारत अपनी तेल ज़रूरतों का बड़ा हिस्सा इन देशों से लेता है। दूसरी ओर, लाखों भारतीय इन देशों में काम करते हैं और अरबों डॉलर अपने मुल्क भेजते हैं।