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ओडिशा ट्रेन हादसाः शास्त्री जी जैसा उदाहरण देने वाले अब कहां

ओडिशा ट्रेन हादसाः शास्त्री जी जैसा उदाहरण देने वाले अब कहां

ट्रेन हादसे पर जिम्मेदारी लेने वाली जैसी परंपरा पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने शुरू की थी, मौजूदा दौर के नेताओं में वो बात कहां है। बात किसी हादसे की नहीं, बल्कि उस नैतिकता, शुचिता की है, जिसकी दुहाई आज के नेता देते रहते हैं। 

 23 नवंबर 1956 की सुबह तमिलनाडु में हुए अरियालुर रेल हादसे में 114 लोगों के मरने के बाद तत्कालीन रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दिया था।

 

इस्तीफा को स्वीकार करने के बाद लोकसभा में प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि वह इस्तीफा इसलिए स्वीकार नहीं कर रहे हैं कि इस हादसे में किसी भी तरह से लाल बहादुर शास्त्री जिम्मेदार हैं। बल्कि इसलिए कर रहे हैं कि यह आने वाले भविष्य में एक नजीर बने।

इससे पूर्व 2 सितंबर 1956 को हैदराबाद के नजदीक महबूबनगर में पुल टूटने से एक बड़ा रेल हादसा हुआ था। इसमें 112 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद लाल बहादुर शास्त्री ने रेल मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन तब प्रधानमंत्री नेहरु ने इसे अस्वीकार कर दिया था।

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नीतीश कुमार

नीतीश कुमार ने भी दे दिया था इस्तीफा

1999 में तत्कालीन रेलमंत्री नीतीश कुमार ने अगस्त 1999 में असम में हुए गैसल रेल हादसे  की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था, इस हादसे में करीब 290 लोग मारे गए थे। हालांकि नीतीश कुमार 2001 में रेल मंत्री के रूप में वापस आ गए थे

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ममता बनर्जी

ममता बनर्जी ने भी दे दिया था इस्तीफा

साल 2000 में ममता बनर्जी ने एक ही साल में दो ट्रेन हादसों के बाद इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी ने उनका इस्तीफा नामंजूर कर दिया था।

सुरेश प्रभु ने भी छोड़ा था पद 

चार दिन के अंदर दो ट्रेनों के पटरी से उतर जाने की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए सुरेश प्रभु ने 23 अगस्त, 2017 को रेल मंत्री के पद से इस्तीफा की पेशकश की थी। तब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें प्रतीक्षा करने के लिए कहा, लेकिन प्रभु ने अगले महीने ही रेलमंत्री का पद छोड़ दिया। पटना-इंदौर एक्सप्रेस के 14 डिब्बे कानपुर के पास पटरी से उतर जाने से करीब 150 लोगों की मौत हुई थी।

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